Tantra Ke Gan: निडर होकर कोरोना काल में सुरुचि बनाती रहीं रिपोर्ट, काम बढ़ा तो पति ने किया सहयोग
कोरोना रिपोर्ट बनाने के साथ ही डेंगू और मलेरिया की जांच भी खुद करती रहीं। मुंह से मास्क नहीं हटाया और हाथों को सैनिटाइज करने से वह संक्रमित भी नहीं हुई हैं। साल 2012 में माइक्रोबायोलाजिस्ट के पद पर तैनात डॉ. सुरुचि मूल रूप से आगरा की रहने वाली हैं।
गाजियाबाद [मदन पांचाल]। कोरोना महामारी की दस्तक के साथ ही बच्चों को भूलकर डॉ. सुरुचि सैनी कोरोना जांच रिपोर्ट बनाने में लगी रहीं। दिन-रात काम करती रहीं। सैंपल देने के बाद लोगों का हुजूम इंटीग्रेटेड डिसीज सर्विलांस प्रोग्राम (आइडीएसपी) कार्यालय के बाहर लगा रहता था। किसी को ड्यूटी ज्वाइन करने तो किसी को फ्लाइट के लिए कोरोना जांच रिपोर्ट की जरूरत रहती थी। कई बार लोग डर के चलते रोज जांच रिपोर्ट लेने उनके पास पहुंच जाते थे।
मरीजों के साथ ही बंदियों की जांच रिपोर्ट अनिवार्य होने पर सुरुचि सैनी ने रात के बारह बजे तक रिपोर्ट बनाई। दस महीने में करीब तीन लाख से अधिक लोगों की जांच रिपोर्ट बनाने और सात लाख सैंपलों के असाइनमेंट बनाने वाली सुरुचि के कार्य से स्वास्थ्य विभाग के अफसर भी गर्व महसूस करते हैं।
कोरोना रिपोर्ट बनाने के साथ ही डेंगू और मलेरिया की जांच भी खुद करती रहीं। मुंह से मास्क नहीं हटाया और हाथों को सैनिटाइज करने से वह संक्रमित भी नहीं हुई हैं। साल 2012 में माइक्रोबायोलाजिस्ट के पद पर तैनात 40 वर्षीय डॉ. सुरुचि सैनी मूल रूप से आगरा की रहने वाली हैं। उनकी शादी स्वास्थ्य विभाग में ही ककोड़ बुलंदशहर में कार्यरत डॉ. पवन सैनी से हुई है।
उनकी एक बेटी तनु प्रिया और बेटा स्वर्णिम हैं। कोरोना के चलते सुरूचि ने बेटी और बेटे को फरवरी में ही नानी के पास भेज दिया। सितंबर में बच्चे घर लौटे। शुरू में कोरोना जांच के सैंपल की रिपोर्ट पांच से दस दिन में आती थी। ऐसे में रिपोर्ट के लिए भीड़ लगी रहती थी। उल्लेखनीय है कि सुबह से देर रात तक जांच रिपोर्ट बनाने का काम करने वाली सुरुचि सैनी ने कई बार मन बनाया कि अवकाश ले लूं, लेकिन हर बार सीएमओ स्तर से उनके अवकाश की अर्जी नामंजूर कर दी जाती रही।
काम बढ़ा तो पति ने किया सहयोग
अप्रैल और मई में कोरोना जांच रिपोर्ट बनाने और सैंपलों के दस्तावेज बनाने का काम अधिक बढ़ गया। रात को 11 बजे तक ड्यूटी करती रहीं। पति पवन सैनी को पता चला तो वह आइडीएसपी पहुंच गए। पति ने रात के एक बजे तक काम करवाया और काम खत्म करने के बाद ही दोनों घर गए। स्वास्थ्य विभाग के अफसरों को जब यह पता चला तो अगले दिल सभी ने मिलकर उनकी तारीफ की और बुके देकर कोरोना यौद्धा के रूप में सुरूचि का सम्मान किया
बेटी बीमार, पर ड्यूटी बरकरार
अक्टूबर में उनकी बेटी तनु प्रिया को बुखार हो गया। जांच कराने पर डेंगू की रिपोर्ट पाजिटिव आ गई। बेटी को निजी अस्पताल में भर्ती करा दिया गया। फोन पर बेटी का हालचाल लेती रहीं लेकिन ड्यूटी भी लगातार करती रहीं। 10 मई को बेटे का जन्म दिन था लेकिन कोविड ड्यूटी के चलते नहीं मनाया गया। 11 मई को शादी की सालगिरह भी ड्यूटी करते-करते याद नहीं रही। देर शाम को स्टाफ के अन्य लोगों ने बधाई जरूर दी।
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