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संघ प्रमुख मोहन भागवत का बड़ा बयान, कहा- गौ माता पूजनीय लेकिन लिंचिंग करने वाले हिंदुत्‍व के खिलाफ

हिंदू-मुस्लिम एक हैं और इसका आधार है हमारी मातृभूमि। पूजन विधि के आधार पर हमें अलग नहीं किया जा सकता। सभी भारतीयों का डीएनए एक है। अब समय आ चुका है कि भाषा प्रांत और अन्य विषमताओं को छोड़कर हम एक हों और भारत को विश्वगुरू बनाएं।

By Mangal YadavEdited By: Published: Sun, 04 Jul 2021 09:15 PM (IST)Updated: Mon, 05 Jul 2021 09:34 AM (IST)
संघ प्रमुख मोहन भागवत का बड़ा बयान, कहा- गौ माता पूजनीय लेकिन लिंचिंग करने वाले हिंदुत्‍व के खिलाफ
आरएसएस चीफ मोहन भागवत संबोधित करते हुए

गाजियाबाद [सौरभ पांडेय]। हिंदू-मुस्लिम एक हैं, और इसका आधार है हमारी मातृभूमि। पूजन विधि के आधार पर हमें अलग नहीं किया जा सकता। सभी भारतीयों का डीएनए एक है। अब समय आ चुका है कि भाषा, प्रांत और अन्य विषमताओं को छोड़कर हम एक हों और भारत को विश्वगुरू बनाएं। भारत विश्वगुरू बनेगा तभी दुनिया सुरक्षित रहेगी। ये बातें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरंसघचालक मोहन भागवत ने गाजियाबाद वसुंधरा स्थित मेवाड़ कालेज में अपने उद्बोधन के दौरान कहीं। संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि राजनीति ने जो अलगाव पैदा किया है उसे हटाना होगा। हम कहते हैं कि गौ माता पूजनीय है, भारत हिन्दू राष्ट्र है लेकिन लिंचिंग करने वाले अपराधी हैं। हम उनका समर्थन नहीं करते।

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वहीं समाचार एजेंसी एएनआइ के अनुसार, मोहन भागवत ने कहा कि अगर कोई हिंदू कहता है कि यहां कोई मुसलमान नहीं रहना चाहिए, तो वह व्यक्ति हिंदू नहीं है। गाय एक पवित्र जानवर है लेकिन जो लोग दूसरों को मार रहे हैं वे हिंदुत्व के खिलाफ जा रहे हैं। कानून को बिना किसी पक्षपात के उनके खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए। 

डा. ख्वाजा इफ्तिखार अहमद की किताब का विमोचन

मोहन भागवत डा. ख्वाजा इफ्तिखार अहमद की पुस्तक ''वैचारिक समन्वय-एक पहल'' का विमोचन करने आए थे। डा. ख्वाजा इफ्तिखार अहमद पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव के सलाहकार थे। विमोचन कार्यक्रम में सरसंघचालक ने कहा कि लोग यह न समझें कि इस पुस्तक का विमोचन वोट बैंक पॉलिटिक्स के लिए किया गया है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ सिर्फ राष्ट्रवाद के लिए काम करता है। राजनीति स्वयंसेवकों का काम नहीं है। संघ जोड़ने का काम करता है, जबकि राजनीति ताेड़ने का हथियार बन जाती है। राजनीति की वजह से ही हिंदू-मुस्लिम एक नहीं हो सके हैं। संघ चुनाव में अपनी पूरी ताकत लगाता है लेकिन जो भी करता है राष्ट्र हित में करता है। उन्होंने कहा कि पुस्तक को बिना देखे ही मैंने इसके विमोचन के लिए हां कर दिया था, क्योंकि इसमें प्रमाणिकता का आह्वान किया गया है।

अल्पसंख्यकों के मन में डर बैठाया गया है

हिंदू-मुस्लिम एकता शब्द ही भ्रामक है। हिंदू-मुस्लिम अलग हैं ही नहीं, हमेशा से एक हैं। जब लोग दोनों को अलग मानते हैं तभी संकट खड़ा होता है। हमारी श्रद्धा आकार और निराकार दोनाें में समान है। हम मातृभूमि से प्रेम करते हैं क्योंकि ये यहां रहने वाले हर एक व्यक्ति को पालती आई है और पाल रही है। जनसंख्या के लिहाज से भविष्य में खतरा है, उसे ठीक करना पड़ेगा। कुछ लोग अल्पसंख्यक कहते हैं, हम कहते हैं, हम सब एक हैं। हम हिंदू कहते हैं आप भारतीय कहते हो। शब्दों की लड़ाई में नहीं पड़ना है। भारत को विश्वगुरू बनाना है। अल्पसंख्यकों के मन में यह बिठाया गया है कि हिंदू उनको खा जाएंगे। लेकिन जब किसी अल्पसंख्यक पर बहुसंख्यक अत्याचार करता है तो इसके खिलाफ आवाज भी बहुसंख्यक ही उठाता है। आग लगाने वाला भाषण देने से प्रसिद्ध तो हो सकते हैं, लेकिन इससे काम नहीं चलेगा।

उधर, डा. ख्वाजा इफ्तिखार अहमद ने कहा कि यह कार्यक्रम अपने आप में ऐतिहासिक है। अब समय आ गया है कि मुस्लिम समाज आंखों से पट्टी हटाए और सबको गले लगाए। कट्टरता को छोड़कर आपसी भाई-चारे की राह अपनाए। उन्होंने इस पहल के लिए कार्यक्रम में मौजूद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत, सह सरकार्यवाह डा. कृष्ण गोपाल, सह संपर्क प्रमुख रामलाल और मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के मार्गदर्शक इंद्रेश कुमार को धन्यवाद दिया।


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