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Coronavirus Lockdown: गाजियाबाद के महिम की मुहिम ने उन्हें बना दिया 'सड़क का मसीहा'

महिम जैन ने बताया कि कोरोना वायरस के कारण देश में लॉकडाउन हुआ तो हरदिन कमाने-खाने वालों के बारे में सोचकर उनका मन विचलित हो उठा।

By Mangal YadavEdited By: Published: Sun, 21 Jun 2020 02:55 PM (IST)Updated: Sun, 21 Jun 2020 02:55 PM (IST)
Coronavirus Lockdown: गाजियाबाद के महिम की मुहिम ने उन्हें बना दिया 'सड़क का मसीहा'
Coronavirus Lockdown: गाजियाबाद के महिम की मुहिम ने उन्हें बना दिया 'सड़क का मसीहा'

गाजियाबाद [अवनीश मिश्रा]। कोरोना काल में एक तरफ आम लोगों के सामने स्वास्थ्य संबंधी समस्या थी तो दूसरी ओर दो जून की रोटी की किल्लत। ऐसे में वैशाली सेक्टर-तीन में रहने वाले समग्र जैन समाज संगठन उत्तर प्रदेश के महामंत्री महिम जैन के प्रयास से वैश्विक महामारी कोरोना काल में हजारों लोगों का पेट भरा।

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उनकी मदद से हजारों प्रवासी लोग सुरक्षित तरीके से घर पहुंचे और पुलिसकर्मी अपनी ड्यूटी पर डटे रहे। इस तरह से उनकी मुहिम ने उन्हें सड़क का मसीहा बना दिया।

21 हजार किलो कच्चा राशन बांटा

महिम जैन ने बताया कि कोरोना वायरस के कारण देश में लॉकडाउन हुआ, तो हरदिन कमाने-खाने वालों के बारे में सोचकर उनका मन विचलित हो उठा। उन्होंने ऐसे लोगों की मदद करने की ठानी की। इसके लिए उन्होंने अपने समूह के आठ सौ लोगों से चर्चा की। लोगों की मदद के लिए सभी सहर्ष तैयार हो गए। लोगों ने अपने-अपने बजट के अनुसार धनराशि व अन्य सामान देना शुरू किया, जिस पर पुलिस से अनुमति लेकर 27 मार्च से ट्रांस हिंडन में कच्चा राशन बांटना शुरू किया।

जरूरतमंदों को दाल, चावल, आटा, मसाला, नमक, तेल आदि वितरित किया। लोगों की जरूरत के हिसाब से आर्थिक रुप से भी मदद की कई। वैशाली में कोरोना वायरस के संक्रमितों की संख्या बढ़ने पर जिला प्रशासन की ओर से एक जून को सेक्टर स्कीम लागू कर दी गई। इससे वैशाली में रहने वाले हजारों लोग घरों में कैद हो गए। इनमें काफी संख्या में रोज कमाने खाने वाले भी थे। उन लोगों की भी कच्चा राशन देकर मदद की। लोगों को 21 हजार किलो कच्चा राशन बांटा गया।

57 दिन चली रसोई

महिम जैन बताते हैं कि कच्चा राशन बांटने के दौरान उन्हें लगा कि लोगों को भोजन पकाने में दिक्कत आ रही है। इस पर उन्होंने 15 अप्रैल को जैन मंदिर वैशाली में 350 लोगों की रसोई शुरू कर दी। उनकी पत्नी वंदना जैन व अन्य लोगों (हलवाई नहीं) ने रसोई में भोजन तैयार करना शुरू किया। पूरी शुद्धता के साथ तैयार भोजन ट्रांस हिंडन की झुग्गी-झोपड़ी में ले जाकर वितरित किया जाने लगा। यह सिलसिला 57 दिनों तक चला।

प्रवासियों के बने सहायक

लॉकडाउन के दौरान बड़ी संख्या में प्रवासी कामगार परिवार सहित अपने गांवों की ओर चल पड़े। गाजियाबाद की सड़कों पर बड़ी संख्या में प्रवासी कामगारों को देखकर महिम ने उनकी भी मदद की। उन्हें भोजन,पानी, नाश्ता, बिस्कुट, मास्क, सैनिटाइजर आदि वितरित किया। मास्क व सैनिटाइजर का प्रयोग कर हजारों कामगार व उनका परिवार सुरक्षित तरीके से अपने-अपने घर पहुंचा।

पुलिस की भी मदद की

महिम जैन बताते हैं कि सुरक्षा की दृष्टि से मास्क व सैनिटाइजर भी बांटा गया। ट्रांस हिंडन में जगह-जगह तैनात पुलिसकर्मियों को पीने का पानी वितरित किया गया। उन्हें मास्क व सैनिटाइजर दिया गया। सैनिटाइजर मशीन खरीदकर पुलिस चौकी, चेक पाेस्टों पर सैनिटाइजेशन कराया गया।  

तपती धूप में की लोगों की मदद

अप्रैल, मई और जून की तपती धूप में महिम जैन अपने साथियों के साथ लोगों की मदद की। कड़ी धूप में लोगों के लिए भोजन पकाया। उन्हें पैक कर धूप में जाकर लोगों को बांटा। इस दौरान खुद को कोरोना वायरस से सुरक्षित भी रखा। उन्होंने अपने साथियों संग 85 दिनों तक लोगों की लगातार मदद की।


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