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सात महीने बाद फिर कपड़ा मिल के बाहर पुलिस तैनात, निकाला जा रहा स्क्रैप Ghaziabad News

सात माह बाद कपड़ा मिल परिसर शुक्रवार को फिर छावनी में तब्दील दिखाई दिया। श्रमिक नेताओं ने एसडीएम को शिकायती पत्र दिया और स्क्रैप को रूकवाने की मांग की।

By Mangal YadavEdited By: Published: Fri, 29 Nov 2019 08:13 PM (IST)Updated: Fri, 29 Nov 2019 08:13 PM (IST)
सात महीने बाद फिर कपड़ा मिल के बाहर पुलिस तैनात, निकाला जा रहा स्क्रैप Ghaziabad News
सात महीने बाद फिर कपड़ा मिल के बाहर पुलिस तैनात, निकाला जा रहा स्क्रैप Ghaziabad News

मोदीनगर (गाजियाबाद), जागरण संवाददाता। सात माह बाद कपड़ा मिल परिसर शुक्रवार को फिर छावनी में तब्दील दिखाई दिया। लेकिन इस बार पुलिसबल रूकवाने की बजाय स्क्रैप निकलवाने के लिए तैनात किया गया था। हालांकि, कोई भी श्रमिक नेता अपना विरोध जताने के लिए वहां नहीं पहुंचा। श्रमिक नेताओं ने एसडीएम को शिकायती पत्र दिया और स्क्रैप को रूकवाने की मांग की। लेकिन पुलिस प्रशासन से जुड़ा कोई भी अधिकारी इस प्रकरण पर कुछ भी बोलने से बचता दिखाई दिया।

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बंद पड़ी मिल परिसर में शुक्रवार को भारी पुलिसबल तैनात किया गया था। सीओ सदर अंशु मिश्रा कपड़ा मिल परिसर में खुद मौजूद रहीं। इस दौरान मोदीनगर सीओ केपी मिश्रा नदारद रहे। मोदीनगर के अलावा लोनी, गाजियाबाद, भोजपुर, निवाडी, मुरादनगर थानों से भी भारी पुलिसबल कपड़ा मिल परिसर में तैनात किया गया था। हालांकि, किसी भी तरह का कोई विरोध नहीं होने के कारण स्क्रैप शांतिपूर्ण तरीके से दिनभर निकाला गया। शाम को पुलिसबल वहां से हटाया गया।

सात महीने पहले हुआ था संघर्ष

स्क्रैप निकालने को लेकर 1 मई को श्रमिक नेता और कपड़ा मिल प्रबंधन के लोग आमन-सामने आ गए थे। इस दौरान फायरिंग और पथराव हुआ था। इसमें दर्जनों लोग पथराव व फायङ्क्षरग में घायल भी हुए थे। दोनों पक्षों ने एक दूसरे के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई थी। पूर्व चेयरमैन रामआसरे शर्मा के नेतृत्व में लोगों ने कपड़ा मिल के सामने कई दिनों तक धरना भी दिया था। उनका कहना है कि श्रमिकों को जब तक उनका पूरा अधिकार नहीं मिलेगा। तब तक स्क्रैप नहीं निकलने दिया जाएगा।

श्रमिकों को उनके हिसाब के साथ अब तक का ब्याज मिले। जिसे प्रबंधन नहीं दे रहा है। वहीं, प्रबंधन का कहना है कि कुछ श्रमिक नेता इसमें निजी स्वार्थों के चलते राजनीति कर रहे हैं। वास्तविक श्रमिक उन्हें मिल रहे हिसाब से पूरी तरह संतुष्ट हैं। विधायकों की पांच सदस्यीय कमेटी द्वारा विधानसभा में पेश की गई रिपोर्ट के आधार पर उन्हें हिसाब दिया जा रहा है। मूलधन पर 12 फीसद ब्याज देने के साथ ही मकानों की रजिस्ट्री भी कराई जा रही हैं।

यह है मामला

मिल कंपनी 1995-96 में बंद हुई थी। कंपनी में कार्यरत श्रमिक तभी से प्रबंधन से अपना हिसाब मांगते आ रहे हैं। इस मामले को विधायक रहते सुदेश शर्मा ने विधानसभा में उठाया था। जिसके बाद पांच सदस्यीय कमेटी का गठन हुआ था। उसी आधार पर प्रबंधन श्रमिकों को हिसाब दे रहा है। जिसमें श्रमिक नेता व पूर्व चेयरमैन रामआसरे शर्मा, रामदास शर्मा अपना विरोध जताते आ रहे हैं।

एसडीएम को दिया शिकायती पत्र

श्रमिक नेता रामआसरे शर्मा व रामदास शर्मा की अगुवाई में कुछ श्रमिक शुक्रवार को एसडीएम सौम्या पांडेय से मिलने पहुंचे। उन्होंने कपड़ा मिल से निकाले जा रहे स्क्रैप की जानकारी देते हुए कहा कि इस मामले में मई में एक कमेटी का गठन किया गया था। तभी तय हुआ था कि जब तक इसपर कोई निर्णय नहीं आता, स्क्रैप नहीं निकाला जाएगा। लेकिन फिर वहां से नियम विरूद्ध स्क्रैप निकाला जा रहा है। उन्होंने एसडीएम को ज्ञापन देते हुए स्क्रैप को रूकवाने की मांग की, लेकिन एसडीएम ने उच्चाधिकारियों का हवाला देते हुए इस मामले में दखल देने से साफ इन्कार कर दिया।

इसके बाद श्रमिक नेता कमिश्नर से मिलने की बात कहकर वहां से चले आए। पूर्व चेयरमैन रामआसरे शर्मा का कहना है कि वे इसको लेकर आंदोलन जारी रखेंगे। श्रमिकों को उनका हक जब तक नहीं मिलेगा, वे चुप बैठने वाले नहीं हैं। गौर हो कि रामआसरे शर्मा ने पिछले दिनों घोषणा की थी कि यदि कपड़ा मिल से स्क्रैप निकाला गया तो वे आत्मदाह कर लेंगे। जिसके चलते प्रशासन हरकत में आ गया था। काफी मान मनौवल के बाद उन्हें समझाकर मामले को शांत कराया गया।

दिनभर रही चर्चा

कपड़ा मिल में फिर भारी पुलिसबल तैनात देख शहर में दिनभर तरह-तरह की चर्चाएं रहीं। लोग एक दूसरे को फोन तो कभी मिलकर वहां तैनात पुलिसबल के बारे में पूछते रहे। चूंकि, कपड़ा मिल से हजारों श्रमिक जुड़े हैं और कई बार यहां प्रबंधन और श्रमिक नेताओं के बीच तनातनी चलती रही है। ऐसे में लोगों की इस पूरे मामले पर लगातार निगाह बनी रहती है।

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