आपदा में महिलाएं भी करेंगी राहत एवं बचाव कार्य, NDRF का बड़ा फैसला
अभी तक एनडीआरएफ के सिर्फ चिकित्सा विभाग में महिलाएं होती थीं। मगर अब पहली बार राहत व बचाव कार्य में भी महिलाओं को शामिल किया जा रहा है।
गाजियाबाद [आयुष गंगवार]। यूं तो देश की आधी आबादी ने सेना में बहुत पहले ही अपने कदमतालों की धमक सुना दी थी पर आधी आबादी को आपदा के समय काम करते नहीं देखा गया। अब उनके हाथ आपदा के समय राहत व बचाव कार्य करने के लिए बढ़ गए हैं।
इसकी शुरुआत गाजियाबाद के कमला नेहरूनगर स्थित आठवीं बटालियन एनडीआरएफ से हो रही है। एनडीआरएफ की पहली महिला टीम में 31 जवान शामिल होंगी। इसमें इंस्पेक्टर, दो दारोगा और 28 सिपाही रहेंगी। महिला जवानों ने आमद करानी शुरू कर दी है। क्वारंटाइन की अवधि पूरी होने के बाद महिला जवानों की पहली टीम का विधिवत प्रशिक्षण शुरू करा हो जाएगा।
छह माह का होगा प्रशिक्षण
एनडीआरएफ खुद भर्ती नहीं करता, बल्कि उसको अलग-अलग अर्द्धसैनिक बलों से जवान व अधिकारी दिए जाते हैं। आठवीं बटालियन एनडीआरएफ में महिला जवानों को भी आइटीबीपी की अलग-अलग बटालियन से भेजा जा रहा है। इसीलिए एनडीआरएफ महिला जवानों की टीम को पूरा प्रशिक्षण देगी ताकि पुरुष जवानों की तरह वे भी मलबा हटाकर, महिला व बच्चों को निकालकर त्वरित चिकित्सा सुविधा दे सकें।
प्रशिक्षण मुख्यत: चार चरण का होता है, जो छह माह में पूरा किया जाएगा। सबसे पहले चिकित्सा सुविधा और फिर भूकंप के बाद मलबे से लोगों को खोजकर निकालना, बाढ़ के दौरान बचाव और सीबीआरएन (केमिकल, बॉयोलॉजिकल, रेडियोएक्टिव एंड न्यूक्लियर) आपदा और रोप क्लाइंबिंग व बिल्डिंग क्लाइंबिंग का प्रशिक्षण दिया जाएगा।
अब नहीं होगी परेशानी
एनडीआरएफ आठवीं बटालियन के कमांडेंट पीके श्रीवास्तव ने कहा कि अभी तक एनडीआरएफ के सिर्फ चिकित्सा विभाग में महिलाएं होती थीं। मगर अब पहली बार राहत व बचाव कार्य में भी महिलाओं को शामिल किया जा रहा है। टीम में महिलाओं के न होने से एनडीआरएफ को भूकंप या बाढ़ के समय बचाव कार्य में परेशानी होती थी। मलबे के नीचे दबी महिलाओं को निकालने में कई बार जवानों को हिचकिचाहट होती थी। मगर अब यह परेशानी नहीं होगी।
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