Muradnagar Incident: हादसे ने छीन लिया चार बच्चों के सिर से पिता का साया
रविवार को हुए हादसे में जयराम के पड़ोसी नीरज की मौत हो गई। जिस कारण उनके चार बच्चों के सिर से पिता का साया उठ गया है। स्वजन और रिश्तेदारों की आंखें नम हैं। उनका कहना है कि 2 लाख रुपये से 4 बच्चों की परवरिश नही हो पाएगी।
जागरण संवाददाता, गाजियाबाद। रविवार को हुए हादसे में जयराम के पड़ोसी नीरज उर्फ बंटी की मौत हो गई। जिस कारण उनके चार बच्चों के सिर से पिता का साया उठ गया है। स्वजन और रिश्तेदारों की आंखें नम हैं। उनका कहना है कि 2 लाख रुपये से 4 बच्चों की परवरिश नही हो पाएगी। कम से कम 50 लाख रुपये का मुआवजा और नीरज की पत्नी को सरकारी नौकरी दी जाए।
स्वजनों ने बताया कि नीरज के परिवार में पत्नी कविता और चार बच्चे मानू, चारु, सलोनी, जीते हैं। नीरज निजी कंपनी में नौकरी करते थे। वह रविवार को भी ड्यूटी पर जाते थे। लेकिन पड़ोसी जयराम की मौत होने के कारण कल (रविवार) को घर पर रुक गए थे। जयराम के शव का अंतिम संस्कार कराने के लिए अंत्येष्टि स्थल गए थे। जहां हादसे में उनकी मौत हो गयी।
इंसाफ की मांग कर रहे स्वजन
नीरज का शव सड़क पर रखकर स्वजन इंसाफ की मांग कर रहे हैं। भाई धर्मवीर का कहना है कि सरकार द्वारा 2 लाख रुपये की आर्थिक मदद की घोषणा की गई है। जो नाकाफी है, परिवार को कम से कम 50 लाख रुपये और एक सदस्य को सरकारी नौकरी मिलनी चाहिए। जिससे कि उनको गुजर बसर करने में परेशानी का सामना न करना पड़े। इसके साथ ही उन्होंने घटिया निर्माण सामग्री का इस्तेमाल कर अंत्येष्टि स्थल की गैलरी बनाने वालों पर कार्रवाई की मांग की है। जिससे कि पीड़ित परिवार को इंसाफ मिल सके।
कर्ज लेकर बनाया है मकान
रिश्तेदार संगीता ने बताया कि नीरज उनके नंदोई थे। चारों बच्चों की परवरिश का जिम्मा उन पर था। हाल ही में कर्ज लेकर मकान का निर्माण कार्य करवाया था। जल्दी कर्ज चुका सकें, इस वजह से ड्यूटी से छुट्टी नहीं लेते थे। रविवार को भी ड्यूटी जाते थे, इस बार रविवार को घर रुक गए लेकिन सोचा न था कि ये रविवार उनकी जिंदगी का आखिरी रविवार बन जाएगा।
परिवार का इकलौता सहारा थे ओमकार
जयराम के घर के पास ही रहने वाले 48 वर्षीय ओमकार की भी हादसे में जान चली गई। वह परिवार का इकलौता सहारा थे, उनकी मौत के बाद परिवार में मातम छा गया है। ओमकार के परिवार में पत्नी ममता बेटा हर्ष और बेटी खुशबू हैं। स्वजनों ने बताया कि ओमकार पेशे से मजदूर थे। मजदूरी कर परिवार का भरण पोषण करते थे। रविवार को वह पड़ोसी जयराम के शव का अंतिम संस्कार कराने के लिए गए थे। अंत्येष्टि स्थल की गैलरी की छत गिरी तो उसमें ही दब गए। जिस कारण उनकी मौत हो गई।
सोमवार दोपहर तक उनका शव घर पर नही आया है। गांव के बाहर सड़क पर शव रखकर परिवार के लोग इंसाफ की मांग कर रहे हैं। ओमकार के चचेरे भाई शेखर ने आरोपितों के खिलाफ कार्रवाई और पीड़ित परिवार को गुजर बसर के लिए आर्थिक मदद की मांग की है।
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