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एक फैशन शो ऐसा, जहां दिखाई जाती है कैंसर को मात दे चुके मरीजों की सुंदर दुनिया

2014 में स्नेहा राउत्रे ब्रेस्ट कैंसर की चपेट में आ गईं। उनका उपचार शुरू हुआ लेकिन स्नेहा ने नैतिक समर्थन की कमी महसूस की।

By Mangal YadavEdited By: Published: Sun, 06 Sep 2020 01:15 PM (IST)Updated: Sun, 06 Sep 2020 01:15 PM (IST)
एक फैशन शो ऐसा, जहां दिखाई जाती है कैंसर को मात दे चुके मरीजों की सुंदर दुनिया
एक फैशन शो ऐसा, जहां दिखाई जाती है कैंसर को मात दे चुके मरीजों की सुंदर दुनिया

गाजियाबाद [अभिषेक सिंह]। फैशन शो, यह शब्द सुनकर आपके ख्याल में वह तस्वीर आती होगी जहां एक स्टेज पर रैंप वॉक करती हुईं देश और दुनिया की सुंदरियां नजर आती हैं। जिनका मकसद अपने रूप की सुंदरता और ड्रेस को दिखाना होता है। लेकिन कभी खुद कैंसर की चपेट में आ चुकीं गाजियाबाद की स्नेहा राउत्रे देश ही नहीं दुनिया में कैंसर की चपेट में आकर जीने का हौसला खो देने वाले मरीजों को बचाने के लिए ऐसा फैशन शो आयोजित करती हैं, जिसका मकसद रूप की सुंदरता न दिखाकर कैंसर को मात दे चुके मरीजों के सुंदर जीवन को दिखाना है।

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जिससे की लोग कैंसर के प्रति जागरुक हो सकें, मरीजों को इस बीमारी से लड़ने का हौसला मिल सके। वह बीपीएल कार्ड धारकों का निश्शुल्क उपचार करवाती हैं। जिसमें कैंसर को मात दे चुके मरीज भी उनका साथ देते हैं।

बेटी के जन्म के बाद बनाई संस्था

गाजियाबाद के वैशाली सेक्टर-2 में रहने वालीं स्नेहा राउत्रे उड़ीसा में पली बढ़ी हैं। वहां पर ही उन्होंने पढ़ाई की और स्काउट एंड गाइड के जरिए जाना कि किस तरह से देश के जरूरतमंदों की मदद की जा सकती है। जिससे की स्वस्थ समाज बन सके। स्काउट एंड गाइड में नेशनल अवॉर्ड विनर रह चुकीं स्नेहा की शादी 2006 में हुई और वह वैशाली में आकर रहने लगीं। पेशे से आर्किटेक्ट एंड इंटीरियर डिजाइनर हैं, खुद की कंपनी हैं। बेटी के जन्म के बाद 2009 में उन्होंने ग्रामीण स्नेह फाउंडेशन बनाई, जिसके जरिए देश में अलग अलग जगह जरूरतमंदों की मदद कर सकें।

संस्था के जरिए स्नेहा ने देश के अलग अलग हिस्सों में रहने वाले लोग को अपने साथ जोड़ा और एक ऐसी सेना तैयार कर दी, जो जरूरतमंदों की मदद के लिए हर समय तैयार हो। बाढ़ के प्रकोप के बीच जाकर जरूरतमंदों की मदद कर सके और खून की कमी से जूझ रहे मरीजों की जान रक्तदान कर बचा सके। उड़ीसा से लेकर जम्मू-कश्मीर और दिल्ली से लेकर बिहार तक इस संस्था ने अपने पंख पसारे और जरूरतमंदों की मदद करना शुरू कर दिया।

फाइट अगेंस्ट कैंसर मुहिम की शुरूआत की

2014 में स्नेहा राउत्रे ब्रेस्ट कैंसर की चपेट में आ गईं। उनका उपचार शुरू हुआ लेकिन स्नेहा ने नैतिक समर्थन की कमी महसूस की। उन्होंने बताया कि कैंसर का प्रकोप ऐसा है कि जो भी इस बीमारी की चपेट में आता है। उसको लगता है कि शायद अब बचना मुश्किल होगा, ऐसे में हौसला टूट जाता है और मरीज के स्वस्थ होने के आसार कम हो जाते हैं। स्नेहा ने न केवल उपचार कराया बल्कि उस दौरान कैंसर के बारे में इंटरनेट, चिकित्सकों की मदद से गहनता से जानकारी हासिल की। तब उनको पता चला कि अगर समय से इस बीमारी का पता चल जाए और उचित उपचार हो जाए तो मरीज कैंसर को मात दे सकता है। अपने जीवन को सुंदर बना सकता है। जबकि जानकारी के अभाव में कई बार मरीजों को पता ही नहीं चल पाता कि वे कैंसर की चपेट में हैं। गरीब तबके के लोग उपचार के लिए रुपये न होने के कारण इलाज नहीं करवा पाते और उनकी जान चली जाती है। ऐसा न हो, इसलिए स्नेहा ने हौसला: फाइट अगेंस्ट कैंसर के नाम से एक मुहिम शुरू की।

दस लाख से ज्यादा लोग जुड़े

ग्रामीण स्नेह फाउंडेशन की मदद से स्नेहा ने कैंसर पीडि़त मरीजों को ढूंढना शुरू किया। चिकित्सकों की मदद से ज्यादा से ज्यादा शिविर लगवाने शुरू किए, जिससे की ऐसे व्यक्तियों को ढूंढा जा सके जो कि कैंसर से पीड़ित हों।  मुहिम रंग लाई और आज दस लाख से ज्यादा लोग मुहिम से जुड़ चुके हैं, अकेले दिल्ली एनसीआर में दस हजार से ज्यादा लोग उनके संपर्क में हैं। उन्होंने कैंसर को मात दे चुके मरीजों का फैशन शो आयाेजित करवाना शुरू किया। 

जिससे की कैंसर के बारे में ज्यादा से ज्यादा लोग को जागरुक किया जा सके। उनको बताया जा सके कि कैंसर की चपेट में आने पर जीने का हौसला न छोड़ें, बीमारी को मात देकर घर लौटें और अपने सपनों को साकार कर सुंदर दुनिया बनाएं। जैसा की फैशन शो में भाग लेने वाले कैंसर को मात दे चुके मरीज कर रहे हैं। इस तरह के फैशन शो दिल्ली, मुंबई, उड़ीसा में कई बार आयोजित कर चुकी हैं। बीपीएल कार्ड धारकों का निश्शुल्क उपचार करवाती हैं। जिसमें कैंसर को मात दे चुके मरीज भी उनका साथ देते हैं। 

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