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इस बुजुर्ग ने असफलता पर जीत दर्ज करने में उम्र को भी दी मात, हासिल किए 86 मेडल

आरपी निर्मल अब कई मैराथन के ब्रांड एंबेसडर और लोगों के लिए प्रेरणास्रोत बन गए हैं। 69 की उम्र तक उन्होंने देश भर की विभिन्न मैराथन में हिस्सा लेकर 84 मेडल अपने नाम किया।

By Mangal YadavEdited By: Published: Fri, 18 Sep 2020 07:02 PM (IST)Updated: Fri, 18 Sep 2020 07:02 PM (IST)
इस बुजुर्ग ने असफलता पर जीत दर्ज करने में उम्र को भी दी मात, हासिल किए 86 मेडल
इस बुजुर्ग ने असफलता पर जीत दर्ज करने में उम्र को भी दी मात, हासिल किए 86 मेडल

इंदिरापुरम (गाजियाबाद) [धनंजय वर्मा]। इरादे और हौसले बुलंद हों तो कुछ भी नामुमकिन नहीं है। 59 साल की उम्र पहली बार मैराथन में दौड़े आरपी निर्मल को मेडल की जगह निराशा मिली। इस हार को जीत में बदलने के लिए आरपी निर्मल ने दौड़ना शुरू किया और अगले वर्ष उसी मैराथन में मेडल जीता। इसके बाद उन्होंने अपनी उम्र नहीं देखी और दौड़ते गए।

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69 की उम्र तक उन्होंने देश भर की विभिन्न मैराथन में हिस्सा लेकर 84 मेडल अपने नाम किया। जब वह दौड़ने के लिए युवाओं के बीच उतरते हैं तो सब उनकी उम्र और दौड़ देखकर हैरत में आ जाते हैं। आरपी निर्मल अब कई मैराथन के ब्रांड एंबेसडर और लोगों के लिए प्रेरणास्रोत बन गए हैं।

गाजियाबाद के इंदिरापुरम, वैभव खंड स्थित गौड़ ग्रीन सिटी में आरपी निर्मल पत्नी किरण निर्मल के साथ रहते हैं। उनके बेटे निशांत निर्मल यूपी के आयरलैंड और बेटी निवेदिता अमेरिका में रहते हैं। आरपी निर्मल एक दवा कंपनी में ब्रांच मैनेजर है। उनका कहना है कि उनके एक दोस्त ने वर्ष 2019 में उन्हें एक मैराथन में शामिल किया। तब उनकी उम्र 59 वर्ष थी। उस मैराथन में उन्हें हार मिली और सबको मेडल के मिला, लेकिन इनके हाथ निराशा लगी।

इसके बाद उन्होंने तैयारी करनी शुरू कर दी। वर्ष 2010 में उसी मैराथन में आरपी निर्मल ने 21 किलोमीटर की दौड़ पूरी कर मेडल जीता। इसके बाद वह कभी रुके नहीं और दौड़ते ही गए। उन्होंने देश के विभिन्न राज्यों में होने वाली मैराथन में हिस्सा लिया। एक के बाद एक मेडल उन्होंने अपने नाम किया। इस तरह उन्होंने 10 साल में 86 मेडल अपने नाम किए।

लॉकडाउन में दौड़े और जीते दो मेडल

कोरोना काल में मार्च से लॉकडाउन के चलते मैराथन नहीं हो रही हैं। बीती 15 अगस्त को हैदराबाद में एक वर्चुअल मैराथन की गई, जिसमें उन्होंने पांच किलोमीटर की दौड़ में मेडल जीता। उन्होंने दौड़ने का वीडियो बनाकर मैराथन के आयोजकों को भेजा था। वहीं, शिक्षक दिवस पर इंदिरापुरम में आयोजित मैराथन में भी दौड़कर उन्होंने मेडल जीता। उनके घर की अलमारी मेडल, प्रशस्ति पत्र और ट्रॉफी से भरी हुई है।

ब्रांड एंबेसडर के साथ प्रेरणास्रोत बने

बुढापे की उम्र को मात देकर आरपी निर्मल जिस तरह लगातार दौड़ते गए और 86 मेडल अपने नाम किया इससे हर कोई उनसे प्रभावित है। मैराथन आयोजित करवाने वाले साइरंस ग्रुप ने आरपी निर्मल को ब्रांड एंबेसडर बना लिया है। जब आरपी निर्मल मैराथन में दौड़ने के लिए युवाओं के बीच उतरते हैं तो उन्हें देखकर सब हैरत में आ जाते हैं। अब वह युवाओं के प्रेरणास्रोत बन गए हैं।

दौड़ने से वह बीमार नहीं पड़ते

आरपी निर्मल का कहना है कि वह नियमित दौड़ते हैं भले ही वह एक या दो किलोमीटर ही दौड़ें। नियमित दौड़ने से वह पूरी तरह स्वस्थ रहते हैं। वह पिछले कई सालों से बीमार नहीं हुए।

न मैं एटायर्ड हूं न रिटायर्ड

रिटायरमेंट के बात अक्सर लोग बैठ जाते हैं। ऐसे लोगों को लिए आरपी निर्मल प्रेरणास्रोत हैं। उनका कहना है कि वह न तो कभी रिटायर होना चाहते हैं और न ही कभी टायर्ड। उनका लक्ष्य दिसंबर 2020 तक 100 मेडल जीतने का था, लेकिन कोरोना काल के चलते मैराथन नहीं हो रही है।

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