कैदी के उपचार में लापरवाही करने पर जेल अधीक्षक तलब
अधिवक्ता ने बताया कि अदालत के स्पष्ट आदेश के बावजूद कैदी को कोई उपचार नहीं दिया गया बल्कि झूठी रिपोर्ट अदालत में पेश कर दी गई। इस चलते गत मार्च माह में अदालत में फिर से प्रार्थना पत्र पेश कर उचित उपचार की गुहार लगाई गई।
गाजियाबाद [विवेक त्यागी]। हत्या के मामले में डासना जिला जेल में उम्र कैद की सजा काट रहे कैदी के इलाज में लापरवाही करने के मामले में विशेष न्यायाधीश गैंगस्टर एक्ट राकेश त्रिपाठी की अदालत ने जेल अधीक्षक, इलाज करने वाले डॉक्टर और कैदी को तलब किया है। अधिवक्ता खालिद खान ने बताया कि कुछ वर्ष पूर्व ट्रोनिका सिटी थानाक्षेत्र में हुई हत्या के मामले में उम्र कैद की सजा काट रहे दीपक उर्फ वीरेंद्र त्यागी का ऊपरी कृत्रिम जबड़ा दिसंबर 2020 में उखड़ गया था। उसने अदालत में प्रार्थना पत्र देकर दोबारा कृत्रिम जबड़ा लगवाने, उचित इलाज व पेय आहार दिए जाने के लिए गुहार लगाई गई थी।
उपचार के लिए बाहर भेजने की जरूरत नहीं
अदालत ने कैदी का जिला जेल या अन्य अस्पताल में उचित उपचार कराने के लिए आदेश 23 दिसंबर 2020 को जेल अधीक्षक को दिए थे। 24 दिसंबर को जेल अधीक्षक ने पत्र पेश कर अदालत को सूचित किया था कि कैदी के ऊपरी जबड़े के दाहिने तरफ से छह दांत व बायीं तरफ से पांच दांत निकाले जाएंगे। दांतों को निकालने के तीन-चार माह बाद कृत्रिम दांत लगाए जाएंगे। समस्त उपचार जेल में संचालित दंत रोग चिकित्सालय में संभव है और उसकी जान को खतरा नहीं है। उसे उपचार के लिए बाहर भेजने की जरूरत नहीं है।
उचपार न मिलने पर फिर से लगाई थी गुहार
अधिवक्ता ने बताया कि अदालत के स्पष्ट आदेश के बावजूद कैदी को कोई उपचार नहीं दिया गया, बल्कि झूठी रिपोर्ट अदालत में पेश कर दी गई। इस चलते गत मार्च माह में अदालत में फिर से प्रार्थना पत्र पेश कर उचित उपचार की गुहार लगाई गई। अदालत ने 18 मार्च 2021 को फिर से कैदी के उचित उपचार के संबंध में आदेश जेल अधीक्षक को दिए थे। 31 मार्च 2021 को जेल अधीक्षक की तरफ से फिर से वही जवाब पेश किया गया, जो 24 दिसंबर 2020 को पेश किया गया था। अदालत ने शुक्रवार को कैदी को तलब कया तो उसने उखड़ा जबड़ा दिखाया। अब अदालत ने जेल अधीक्षक के प्रति सख्त रुख अख्तियार करते हुए कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि आपके द्वारा अदालत के आदेशों को गंभीरता से नहीं लिया गया है। भ्रामक रिपोर्ट अदालत में पेश की गई। यह घोर लापरवाही है। अदालत ने जेल अधीक्षक, कैदी व इलाज करने वाले डॉक्टर को पांच अप्रैल को तलब करते हुए जेल अधीक्षक व डॉक्टर को स्पष्टीकरण देने के आदेश दिए हैं।