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इखलाक की बेटी के निकाह में हिंदू-मुस्लिम भाईचारे की मिसाल कायम

नोएडा के बिसाहड़ा गांव में 28 सितंबर 2015 की रात गोवंश की हत्या की सूचना के बाद भीड़ ने इखलाक की पीट-पीट कर हत्या कर दी थी। साथ ही उनके बेटे दानिश को भी घायल कर दिया था।

By Prateek KumarEdited By: Published: Mon, 25 Nov 2019 10:35 PM (IST)Updated: Mon, 25 Nov 2019 10:35 PM (IST)
इखलाक की बेटी के निकाह में हिंदू-मुस्लिम भाईचारे की मिसाल कायम
इखलाक की बेटी के निकाह में हिंदू-मुस्लिम भाईचारे की मिसाल कायम

गाजियाबाद, जागरण संवाददाता। चार साल पहले बिसाहड़ा में भीड़ हिंसा के शिकार हुए इखलाक की छोटी बेटी का निकाह मुरादनगर के एक फार्म हाउस में रविवार को संपन्न हुआ। परिवार में बेटी के निकाह की खुशियां थीं, तो वहीं इखलाक के मौजूद न होने का गम भी था। हालांकि, शादी में काफी संख्या में मुस्लिमों के साथ हिंदू समाज के लोग भी शामिल हुए और वर-वधू को आशीर्वाद दिया। बता दें कि शाइस्ता का निकाह दिल्ली निवासी सिविल इंजीनियर महमूद आलम के साथ बिना दहेज के हुआ।

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नोएडा के बिसाहड़ा गांव में 28 सितंबर, 2015 की रात गोवंश की हत्या की सूचना के बाद भीड़ ने इखलाक की पीट-पीट कर हत्या कर दी थी। साथ ही उनके बेटे दानिश को भी घायल कर दिया था। घटना के वक्त शाइस्ता घर में ही मौजूद थी और वह घटना की मुख्य गवाह भी थी। घटना में मामला दर्ज कर 18 लोगों को जेल भेजा गया था। रविवार को शाइस्ता का निकाह संपन्न हुआ। इसमें काफी संख्या में मुस्लिम धर्मगुरु निकाह पढ़ाने आए। वहीं हिंदू समाज के जिम्मेदार लोग नवदंपती को आशीर्वाद देने पहुंचे। निकाह में सपा सरकार में राज्यमंत्री रहे व विधान परिषद सदस्य आशु मलिक भी मौजूद रहे।

बता दें कि इखलाक की हत्या के बाद से परिवार मुरादनगर में ही रहने लगा है। यहीं से वैवाहिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया, लेकिन पीड़ित परिवार में चार साल बाद खुशियां आने के बावजूद इखलाक के स्वजनों ने बिसाहड़ा के पुश्तैनी घर को रोशन नहीं किया। जिस घर में शाइस्ता का जन्म हुआ, शादी में भी वह अंधेरे में डूबा रहा। स्वजनों ने गांव के पड़ोसियों, अन्य लोगों के साथ ही शाइस्ता की सहेलियों को भी निकाह की दावत नहीं दी।

दरअसल, इखलाकके स्वजनों का काफी समय से अपने गांव से संपर्क नहीं है। इसी वजह से गांव के लोगों को न्योता भी नहीं भेजा गया था, लेकिन फिर भी आशीर्वाद देने के लिए लोग पहुंचे। शादी के बाद सोमवार को शाइस्ता ससुराल के लिए विदा हो गई। शाइस्ता के चाचा जान मोहम्मद ने बताया इखलाक की मौत के बाद शाइस्ता पूरे परिवार के लिए मुख्य जिम्मेदारी थी। मौत के चार साल बाद रविवार को परिवार में शुभ घड़ी आई। उन्होंने बताया परिवार के साथ बिसाहड़ा में जो घटना हुई थी, उसकी जानकारी वर पक्ष को थी। उन्हें शादी से कोई एतराज नहीं हुआ। बिसाहड़ा के लोगों को सूचना नहीं दे पाए। दादरी के कुछ लोगों को दावत दी गई थी।

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