एक बैंक ऐसा भी: यहां धन नहीं, पर्यावरण का होता है संरक्षण Ghaziabad News
अगर आप पर्यावरण प्रेमी हैं और किफायती दाम में पौधे लेकर उन्हें रोपना चाहते हैं तो गाजियाबाद के इंदिरापुरम की शिप्रा सनसिटी सोसायटी के शिव मंदिर परिसर में बने पौधा बैंक में आइए।
गाजियाबाद [धनंजय वर्मा]। कोरोना ने जहां लोगों को तकलीफ का माहौल दिया है वहीं इसके चलते लोगों ने अपनी जीवन शैली में तमाम बदलाव किए हैं। लोग प्रकृति के नजदीक आए और उन्होंने नए अंदाज में अपने को समाज के सामने प्रस्तुत किया। ऐसा ही एक उदाहरण है योगेश रावत का है। जिन्होंने उन पौधों को जो प्रकृति ने दिए हैं उन्हें संवारने का एक नया जरिया बनाया। लोग अक्सर रुपये और सोना चांदी को सुरक्षित रखने के लिए बैंक जाते हैं, लेकिन योगेश ने पर्यावरण को सुरक्षित करने के लिए पौधा बैंक तैयार किया।
अगर आप पर्यावरण प्रेमी हैं और किफायती दाम में पौधे लेकर उन्हें रोपना चाहते हैं तो गाजियाबाद के इंदिरापुरम की शिप्रा सनसिटी सोसायटी के शिव मंदिर परिसर में बने पौधा बैंक में आइए। यहां आपको पौधा तो मिलेगा ही, साथ ही उसे रोपने के लिए उचित जगह भी मिलेगी। बैंक के पदाधिकारी आपके द्वारा रोपित पौधे का संरक्षण स्वयं करेंगे, हालांकि इसके लिए पौधा प्रेमी को अलग से एक बार सौ रुपये की कीमत चुकानी होगी।
51 पौधों से की शुरुआत
मूलरूप से हाथरस जिले के खोरना गांव व वर्तमान में इंदिरापुरम की शिप्रा सनसिटी सोसायटी के फेज-एक में पर्यावरण रक्षक योगेश पत्नी व दो बेटियों के साथ रहते हैं। वह पिछले कई सालों से पौधारोपण कर रहे हैं। वह शिप्रा सनसिटी व आसपास के इलाकों में डेढ़ हजार से अधिक पौधे लगा चुके हैं। उन्होंने सृजन ग्रुप बनाकर आसपास रहने वाले पर्यावरण प्रेमियों को भी जोड़ा हैं, जो श्रमदान कर मदद करते हैं। योगेश रावत ने अब शिप्रा सनसिटी के शिव मंदिर में पौधा बैंक खोला है। 51 पौधों से शुरू हुई इस अनूठी पहल को 500 पौधे बैंक में सुरक्षित रखने का लक्ष्य तय किया है। इसके लिए योगेश रावत सड़क के किनारे पार्क में व अन्य स्थानों पर अपने आप उगे पौधों को बैंक में एकत्र करते हैं।
पौधे लगाने की भी सुविधा
सोसायटियों में बनी बहुमंजिला इमारतों में रहने वालों के सामने जगह की समस्या होती है। पर्यावरण प्रेमी घर के गमलों तक ही पौधारोपण में सीमित रह जाते हैं। योगेश ने पौधा बैंक से एक किलोमीटर के दायरे में पार्क, ग्रीन बेल्ट व अन्य जगह चिह्नित कर रखी है, जहां पर पहले पेड़ थे या फिर ऐसी जगह जहां पर पौधा लगाने से किसी को नुकसान नहीं हो। ऐसी जगह पर योगेश पौधारोपण कराते हैं। यदि कोई पौधारोपण करना चाहता है तो बैंक से पौधा खरीदकर उनके बताए गए स्थान पर लगा सकता है। अगर पौधे लगाने वाला उसकी देखरेख न कर पाए तो सौ रुपये का एकमुश्त शुल्क जमा करना होगा, जिसके बाद पौधे में खाद पानी और उसके पूरे संरक्षण की जिम्मेदारी पौधा बैंक की होगी।
पर्यावरण की चिंता बन गई प्रेरणा
योगेश रावत बताते हैं कि लॉकडाउन में पर्यावरण में सुधार हुआ। मुङो लगा कि पर्यावरण को लेकर काम किया जाना चाहिए। बस उठा लिया बीड़ा लोगों को इस ओर जागरूक करने और पर्यावरण संरक्षण से जोड़ने को। इसके लिए पौधा बैंक खोला। पर्यावरण संरक्षण के इस काम में उनका पूरा परिवार सहयोग करता है।
प्रकृति के ही दिए पौधों को संजोया
योगेश रावत का कहना है कि प्रकृति द्वारा दिए गए इन पौधों को हमें संजोकर पौधा बैंक बनाया है। बैंक में नीम, जामुन, पीपल, पिलखन (पांखड), गूलर, शहतूत, कचनार, तुलसी, गुड़हल, चांदनी, केला, ऐलोवेरा, अश्वगंधा आदि के पौधे हैं। यदि कोई रुद्राक्ष, चंदन, महुआ, टीक, हींग इत्यादि पौधों के बीज दान में देता है तो उनसे भी पौधे तैयार किए जाएंगे। वह बताते हैं कि पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता के लिए बैंक में महज 21 रुपये में पौधा दिया जा रहा है। बैंक से जो भी कमाई होगी वह शिव मंदिर ट्रस्ट को जाएगी।
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