Move to Jagran APP

गाजियाबाद में जीटी रोड के पास मिली शेरशाह सूरी के जमाने में बनी सराय

Sher Shah Suri यह सराय इन दिनों सेल्फी प्वाइंट बन गई है इसे देखने और यहां सेल्फी लेने के लिए दूर दूर से लोग आते हैं।

By JP YadavEdited By: Published: Sat, 22 Aug 2020 01:06 PM (IST)Updated: Mon, 24 Aug 2020 01:23 PM (IST)
गाजियाबाद में जीटी रोड के पास मिली शेरशाह सूरी के जमाने में बनी सराय
गाजियाबाद में जीटी रोड के पास मिली शेरशाह सूरी के जमाने में बनी सराय

गाजियाबाद [अभिषेक सिंह]। Sher Shah Suri : गाजियाबाद के श्यामपार्क मेट्रो स्टेशन के पास शेरशाह सूरी के जमाने में बनाई गई सराय मिली है। सराय के निर्माण में लगी लखौरी ईटें इसकी गवाह बनी हैं। इसके साथ ही सराय के पास एक कुआं भी मिला है, जिसकी वजह से इतिहासकारों ने इस सराय को शेरशाह सूरी के जमाने में बनाऐ जाने की पुष्टि की है। यह सराय इन दिनों सेल्फी प्वाइंट बन गई है, इसे देखने और यहां सेल्फी लेने के लिए दूर दूर से लोग आते हैं।

loksabha election banner

शेरशाह सूरी ने यात्रियों के विश्राम के लिए बनवाई थी 1700 सराय

इतिहासकारों का कहना है कि यह सराय करीब 400 साल पुरानी है, उस वक्त इस सड़क को उत्तरापथ के नाम से जाना जाता था, जो की पाटलिपुत्र से लाहौर तक जाती थी।  शेरशाह सूरी ने इस सड़क का पुनर्निर्माण करवाया था।  पक्की सड़क के साथ हीे शेरशाह सूरी ने यात्रियों के विश्राम के लिए सड़क किनारे 1700 सराय बनवाई थीं।

यह भी बताया गया है कि सराय के पास ही पीने के पानी के लिए कुआं भी बनवाया गया था। दोनों तरफ फलदार और छायादार पौधे लगवाए थे। जिसे उन्होंने बादशाही सड़क नाम दिया। सड़कों पर विशेष ध्यान देने के लिए शेरशाह सूरी को सड़क ए आजम के नाम से भी पुकारा जाने लगा था। अंग्रेजो के जमाने में इस सड़क का नाम जीटी ( ग्रांड ट्रंक) रोड पड़ा। सराय अब गाजियाबाद की एतिहासिक धरोहर मानी जा रही है, इसके संरक्षण और पुनर्निर्माण के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण से मांग की गई है।

ऐसे चला पता

लोक निर्माण विभाग के सहायक अभियंता राजीव अग्रवाल ने बताया की करीब तीन साल सड़क पर निर्माण् कार्य कराने के दौरान श्यामपार्क मेट्रो स्टेशन के पास पुराने जमाने में बनी यह सराय नजर आई थी। जिसके बाद मामले की जानकारी पुरातत्व विभाग को दी गई, जिससे की पता चल सके की सराय को कब और किसने बनवाया था?  जून 2020 में इतिहासकार इस सराय का निरीक्षण करने के लिए आए।

लखौरी ईट से बनाई गई है सराय

मोदीनगर स्थित मुलतानीमल मोदी महाविद्यालय में इतिहास विभाग एवं शोध केंद्र के एसोसिएट प्रोफेसर डॉक्टर कृष्णकांत शर्मा  ने जून, 2020 में सराय का निरीक्षण किया था। उन्होंने बताया कि यह 16वीं शताब्दी में शेरशाह सूरी के जमाने में बनी सराय है।  सराय के पास एक कुआं भी मिला है। यह सराय लखौरी ईंट से बनाई गई है। उस समय लखौरी ईंट  हाथ से बनाई जाती थी। चिनाई जिप्सम, उड़द की दाल, चूना और सुरखी से की जाती थी।

जानिये शेर शाह सूरी के बारे में

  • शेर शाह का सीधा संबंध अफगानों की सूर जाति से था।
  • शेर शाह के दादा इब्राहिम सूर 1542 में भारत आए थे,जिनके बेटे और शेर शाह के पिता हसन सूर ने बिहार के सासाराम में एक छोटी सी जागीरदारी हासिल कर ली थी। यही पर शेरशाह का जन्म हुआ था।
  • 22 मई, 1545 को शेर शाह सूरी की कलिंजर के किले को जीतने के दौरान मौत हो गई, वह दिल्ली के तख्त पर वह बस पांच साल रह सका था।
  • शेर शाह सूरी ने हिंदुस्तान भर में सड़कें और सराए बनवाईं।
  • शेर शाह ने सडकों के दोनों तरफ आम के पेड़ लगवाए, जिससे चलने वालों को छाया रहे। हर दो कोस पर एक सराय बनवाई गई। यह यात्रियों के काफी काम आती थीं। शेर शाह सूरी ने ऐसी कुल 1700 सरायों का निर्माण करवाया, जहां पर लोग यात्रा के दौरान ठहरते थे। शेरशाह ने मुद्रा के तौर पर 11.53 ग्राम चांदी के सिक्के को एक रुपये की कीमत दी। यह बाजार के दौरान उपयोगी साबित हुआ।
  • दिल्ली में सत्तासीन रहने के दौरान शेर शाह ने कई जनहित के काम करवाए, जिसका अकबर ने भी अनुसरण किया। जीटी रोड का निर्माण शेर शाह सूरी की ही देन है।

Coronavirus: निश्चिंत रहें पूरी तरह सुरक्षित है आपका अखबार, पढ़ें- विशेषज्ञों की राय व देखें- वीडियो


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.