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गाजियाबाद में टीबी के पांच हजार मरीजों पर कोरोना का खतरा मंडराया

जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. जे पी श्रीवास्तव ने बताया कि टीबी और कोरोना के लक्षण के मिलते-जुलते हैं। टीबी मरीजों की तबियत खराब होने पर उनकी कोरोना जांच कराई जाएगी। कई टीबी के मरीजों में कोरोना संक्रमण का खतरा हो सकता है।

By Mangal YadavEdited By: Published: Fri, 20 Nov 2020 03:57 PM (IST)Updated: Fri, 20 Nov 2020 03:57 PM (IST)
गाजियाबाद में टीबी के पांच हजार मरीजों पर कोरोना का खतरा मंडराया
दस हजार संक्रमित ठीक हुए पर टीबी की जांच होगी

 गाजियाबाद [मदन पांचाल]। जिले में आन रिकार्ड टीबी के पांच हजार मरीजों पर अब कोरोना संक्रमण का खतरा मंडराने लगा है। स्वास्थ्य विभाग ने डाटस केंद्रों के जरिए इन रोगियों को सलाह दी है कि वह घर से बाहर कतई न निकले। दवा न मिलने पर संबंधित डाटस केंद्र से स्वजन को भेजकर दवा ली जा सकती है। जिला क्षय रोग विभाग द्वारा इन रोगियों को ठीक करने एवं इनकी निगरानी के लिए अतिरिक्त टीमों का गठन कर दिया गया है। इसके अलावा स्थानीय स्वास्थ्य केंद्र एवं सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के माध्यम से टीबी के इन रोगियों की कोरोना जांच की तैयारी की जा रही है।

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बताया गया है कि टीबी का उपचार किए जाने के साथ -साथ रोगियों को कोरोना संक्रमण से बचाने की योजना है। बुखार आने और सांस लेने में परेशानी होने पर ऐसे रोगियों का डिजिटल चेस्ट एक्स-रे कराया जाएगा। कोरोना की जांच की जाएगी। गंभीर रोगियों को टीबी अस्पताल अथवा कोविड अस्पतालों में भर्ती कराते हुए उपचार होगा।

दस हजार संक्रमित ठीक हुए पर टीबी की जांच होगी

कोरोना संक्रमित ठीक होने के बाद टीबी की चपेट में आ सकते हैं। शासन के निर्देश पर जिले के दस हजार ऐसे कोरोना संक्रमितों की सूची तैयार की गई है जो स्वस्थ होने के बाद भी खांसी से परेशान है। सांस लेने में लगातार परेशानी हो रही है। बुखार भी आ रहा है। बता दें कि दो माह पहले ऐसे नौ हजार लोगों की टीबी की जांच की गई थी। दो दर्जन टीबी से ग्रसित पाए गए थे। उनका उपचार चल रहा है।

जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. जे पी श्रीवास्तव ने बताया कि टीबी और कोरोना के लक्षण के मिलते-जुलते हैं। टीबी मरीजों की तबियत खराब होने पर उनकी कोरोना जांच कराई जाएगी। कई टीबी के मरीजों में कोरोना संक्रमण का खतरा हो सकता है। खासकर ऐसे रोगियों को एहतियात बरतनी होगी जो टीबी की दवा खा रहे हैं लेकिन काम करने रोज घर से बाहर जा रहे हैं। सर्दी एवं प्रदूषण बढ़ने से ऐसे रोगियों को घर से बाहर निकलना खतरे से खाली नहीं है। डाटस केंद्रों के जरिए ऐसे रोगियों की निगरानी बढ़ा दी गई है।

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