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UP Election 2022: कोरोना को लेकर जारी चुनाव आयोग की गाइड लाइन छुटा रही प्रत्याशियों के पसीने

जनवरी के महीने में पारा 10 डिग्री के आसपास है। रजाई से पैर बाहर निकल जाए तो हाड़ तक कांप जाते हैं। हालांकि चुनावी भंवर में फंसे प्रत्याशियों को कड़कती ठंड में भी पसीना आ रहा है। कारण है इंटरनेट मीडिया।

By Ashutosh AgnihotriEdited By: Mangal YadavPublished: Thu, 20 Jan 2022 01:48 PM (IST)Updated: Thu, 20 Jan 2022 01:48 PM (IST)
UP Election 2022: कोरोना को लेकर जारी चुनाव आयोग की गाइड लाइन छुटा रही प्रत्याशियों के पसीने
न मंच, न भीड़, कैसे भाषण दें नेताजी बेचारे

गाजियाबाद [आशुतोष अग्निहोत्री]। जनवरी के महीने में पारा 10 डिग्री के आसपास है। रजाई से पैर बाहर निकल जाए तो हाड़ तक कांप जाते हैं। हालांकि चुनावी भंवर में फंसे प्रत्याशियों को कड़कती ठंड में भी पसीना आ रहा है। कारण है, इंटरनेट मीडिया। कोरोना संक्रमण के मद्देनजर चुनाव आयोग के द्वारा रैलियों, नुक्कड़ सभा, और रोड शो पर लगी रोक लगाने के बाद नेता मजबूरी में फेसबुक लाइव कर रहे हैं और भाषण रिकार्ड कराकर यू ट्यूब व अन्य साइटों पर डाल रहे हैं। पसीना आने का कारण यही है। असल में जनता के नारों और जिंदाबाद की गूंज के बीच तो शब्द स्वत: आते हैं, लेकिन बिना ताली, और वाहवाही के इन्हें समझ ही नहीं आ रहा कि शुरुआत कहां से करें। हाव भाव बता रहे हैं कि यह चुनाव प्रचार से ज्यादा इंटरनेट मीडिया से परेशान हैं।

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गौतमबुद्ध नगर: नोएडा विस सीट से भाजपा प्रत्याशी पंकज सिंह, कांग्रेस की पंखुड़ी पाठक और सपा से सुनील चौधरी की इंटरनेट मीडिया टीमें भी काम कर रही हैं। बसपा प्रत्याशी कृपाराम शर्मा अभी तक इंटरनेट मीडिया पर सक्रिय नहीं हैं। जेवर में भाजपा प्रत्याशी धीरेंद्र सिंह इंटरनेट पर पहले से ही सक्रिय हैं। रालोद-सपा उम्मीदवार अवतार सिंह भड़ाना, दादरी विधायक तेजपाल नागर, सपा प्रत्याशी राजकुमार बसपा उम्मीदवार मनवीर भाटी हो या फिर कांग्रेस प्रत्याशी दीपक भाटी सभी के दिन की शुरुआत इंटरनेट मीडिया के लिए वीडियो तैयार कराने से ही होती है।

हापुड़

जनपद के प्रत्याशी इस बदलाव को अच्छा बता रहे हैं, लेकिन जनता से दूरी उनके लिए परेशानी बनी हुई है। धौलाना विधानसभा क्षेत्र से भाजपा के प्रत्याशी और पूर्व विधायक धर्मेश तोमर कहते हैं कि रैली न होने से जनता से सीधा संपर्क होना मुश्किल हो रहा है। हापुड़ विधानसभा क्षेत्र से रालोद-सपा गठबंधन से प्रत्याशी और पूर्व विधायक गजराज सिंह भी रैलियों पर रोक से परेशान हैं। वह कहते हैं कि फेसबुक, वाट्सएप और इंस्टाग्राम पर मैंने एकाउंट बनाए हुए हैं। मैं, मेरे समर्थक और परिवार के सदस्य लगातार जनता के बीच तक पहुंच बनाए हुए हैं, लेकिन इंटरनेट मीडिया पर झूठ भी फैलाया जाता है।

गाजियाबाद

भाजपा के शहर सीट से प्रत्याशी अतुल गर्ग इंटरनेट मीडिया फ्रेंडली नहीं हैं, इसलिए इनके बेटे राघव गर्ग ने जिम्मेदारी संभाल रखी है। अतुल गर्ग के रोज पांच से छह वीडियो फेसबुक पर शेयर हो रहे हैं। पूछने पर कहते हैं कि जो मजा मंच पर भाषण देने में है वह फेसबुक और यू-ट्यूब पर कहां। यहां तो बस मजबूरी में प्रचार हो रहा है। मोदी नगर से रालोद-सपा गठबंधन के उम्मीदवार सुदेश शर्मा का भी यही हाल है। उनके दिन की शुरुआत इंटरनेट मीडिया के लिए वीडियो बनाने से होती है। देर रात तक फेसबुक लाइव चलता रहता है। वीडियो बनाने से पहले स्क्रिप्ट राइटिंग के लिए उन्हें भी मदद लेनी पड़ती है।

भाजपा के मुरादनगर से प्रत्याशी अजितपाल त्यागी ने फेसबुक पर सात-आठ एकाउंट बना रखे हैं। वह सुबह शाम को फेसबुक लाइव भी करते हैं। हालांकि वह इससे संतुष्ट नही हैं। अजितपाल की मानें तो जो बात जनता के सामने संवाद से हो सकती है वह इंटरनेट मीडिया के माध्यम से नहीं हो सकती। साहिबाबाद विधानसभा से समाजवादी पार्टी (सपा) प्रत्याशी अमरपाल शर्मा वाट्सएप ग्रुपों के माध्यम से अपनी बात जनता तक पहुंचा रहे हैं। डिजिटल प्रचार को उनका भी यही दर्द है। अमरपाल कहते हैं कि एकतरफा संवाद से परेशानी होती है। सबसे अधिक समस्या यह है कि सामने वाले को यही नहीं पता चलता कि वह अपनी बात किसे बता रहा है।


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