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Delhi-Meerut Expressway: तय सीमा से अधिक जमीन के मालिक थे समिति के सदस्य, सील होने के डर से किए बैनामे

Land acquisition scam जमीन सील न हो और उसका मुआवजा भी प्राप्त हो सके इसलिए आरोपितों ने जमीन अधिग्रहण की अधिसूचना जारी होने के बाद आनन फानन में बैनामा कर 22 करोड़ रुपये का मुआवजा प्राप्त किया गया। अब मुआवजा लेने वालों से 22 करोड़ रुपये की वसूली की जाएगी।

By Abhishek TiwariEdited By: Published: Sat, 21 May 2022 07:33 AM (IST)Updated: Sat, 21 May 2022 07:33 AM (IST)
Delhi-Meerut Expressway: तय सीमा से अधिक जमीन के मालिक थे समिति के सदस्य, सील होने के डर से किए बैनामे
Delhi-Meerut Expressway: तय सीमा से अधिक जमीन के मालिक थे समिति के सदस्य

गाजियाबाद, जागरण संवाददाता। दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे के लिए मटियाला और रसूलपुर सिकरोड़ा गांव में अधिगृहीत की गई भूमि के मुआवजे में घोटाला करने के आरोपित तय सीमा से अधिक जमीन के मालिक थे। एक व्यक्ति के पास अधिकतम साढ़े 12 एकड़ जमीन हो सकती है, इससे अधिक जमीन को जिला प्रशासन द्वारा सीलिंग कर अपने कब्जे में ले लिया जाता है।

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जमीन सील न हो और उसका मुआवजा भी प्राप्त हो सके, इसलिए ही आरोपितों ने जमीन अधिग्रहण की अधिसूचना जारी होने के बाद आनन फानन में बैनामा कर 22 करोड़ रुपये का मुआवजा प्राप्त किया गया। अब मुआवजा लेने वालों से 22 करोड़ रुपये की वसूली की जाएगी, जल्द ही रिकवरी सर्टिफिकेट जारी किया जाएगा।दरअसल, घोटाले के आरोप में फंसी अशोक सहकारी समिति सन 1964 में बनाई गई थी।

इस समिति में एक ही परिवार के कई लोग सदस्य थे, इसके साथ ही दो अन्य समिति भी बनाई गई थी, इनमें से एक का नाम अशोक गृह निर्माण समिति था। इन समितियों को फर्जी तथ्यों के आधार पर बनाया गया था, सन 1999 में समितियों को निरस्त कर दिया गया। इसके बावजूद समिति के नाम पर ही कार्य जारी रहा।

वर्ष 2012 में दिल्ली मेरठ एक्सप्रेस-वे के लिए जमीन अधिग्रहण को लेकर 3डी का प्रकाशन किया गया, जिसके तहत एक्सप्रेस-वे के लिए चिह्नित जमीन की खरीद फरोख्त नहीं की जा सकती थी, लेकिन 2016 में समिति की ओर से नियम के विरुद्ध जाकर जमीन के बैनामे अपने जानकारों के नाम पर कर दिए गए।

अधिक जमीन कैसे मिली, इसकी भी होगी जांच

समिति के सदस्य गोल्डी गुप्ता, अरुण गुप्ता के पास तय सीमा से अधिक जमीन कैसे हो गई, जमीन का आवंटन उनको किस आधार पर किया गया और लंबे समय तक वह उस पर कब्जा कैसे जमाए रहे, इन बिंदुओं की जांच होना अभी बाकी है।

अपर जिलाधिकारी प्रशासन ऋतु सुहास ने कहा कि जिला प्रशासन की प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि नियम के विरुद्ध जाकर आरोपितों को जमीन का आवंटन किया गया था। दिल्ली मेरठ एक्सप्रेस-वे में मुआवजे को लेकर हुए घोटाले में सभी बिंदुओं पर जांच की जा रही है। सीलिंग के डर से ही जमीन के मुआवजे किए गए हैं।


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