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Uttarakhand Glacier Burst: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से मिलेगी ग्लेशियर फटने की सटीक जानकारी

Uttarakhand Glacier Burst गाजियाबाद स्थित एडवांस लेवल टेलीकाम ट्रेनिंग सेंटर (एएलटीटीसी) से भारत सहित कई देशों के इंजीनियरों को 15 मार्च से ऑनलाइन प्रशिक्षण दिया जाएगा। एएलटीटीसी के सहायक निदेशक कृष्णा यादव इंजीनियरों को प्रशिक्षण देंगे लेकिन सेंसर कब लगाए जाएंगे यह अभी तय नहीं है।

By JP YadavEdited By: Published: Thu, 04 Mar 2021 11:29 AM (IST)Updated: Thu, 04 Mar 2021 11:29 AM (IST)
Uttarakhand Glacier Burst: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से मिलेगी ग्लेशियर फटने की सटीक जानकारी
उत्तराखंड के चमोली में ग्लेशियर फटने से बड़ी संख्या में लोगों की मौत हुई थी।

गाजियाबाद [हसीन शाह]। Uttarakhand Glacier Burst:  पड़ोसी राज्य उत्तराखंड के चमोली जिले में ग्लेशियर फटने जैसी प्राकृतिक आपदा से आम लोगों की जान बचाने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआइ) सेंसर की मदद ली जाएगी। जिन स्थानों पर आपदा की ज्यादा आशंका रहती है, वहां पर एआइ सेंसर लगाकर लोगों की जान बचाई जाएगी। फिलहाल अमेरिका, जापान समेत कुछ विकसित देशों के पास ही यह तकनीक है। एआइ से मौसम के बदलाव और प्राकृतिक आपदा की सटीक जानकारी मिलेगी। गाजियाबाद स्थित एडवांस लेवल टेलीकाम ट्रेनिंग सेंटर (एएलटीटीसी) से भारत सहित कई देशों के इंजीनियरों को 15 मार्च से ऑनलाइन प्रशिक्षण दिया जाएगा। एएलटीटीसी के सहायक निदेशक कृष्णा यादव इंजीनियरों को प्रशिक्षण देंगे, लेकिन सेंसर कब लगाए जाएंगे, यह अभी तय नहीं है।

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दोनों सेंसर में अंतर

वर्तमान में जो सेंसर लगे हैं, वह मौसम अनुमान तो बताते हैं, लेकिन यह हर बार सटीक नहीं होता है। जबकि, एआइ सेंसर मौसम में बदलाव की सटीक जानकारी देंगे। शुरुआत में पहाड़ी इलाकों में सेंसर लगाए जाएंगे। एआइ में तमाम साफ्टवेयर का एकसाथ इस्तेमाल किया जाता है। टीसीएस, टेक महिंद्रा समेत कई भारतीय कंपनियां भी इसके लिए साफ्टवेयर बनाती हैं। इन सॉफ्टवेयरों को जोड़कर यह सेंसर बनाया जाता था। सेंसर बनाने में चीनी कंपनियां आगे हैं। कृष्णा यादव के मुताबिक सेंसर बनाने का काम किसी भारतीय कंपनी को सौंपा जा सकता है।

चमोली हादसा

पिछले दिनों उत्तराखंड के चमोली में ग्लेशियर फटने से बड़ी संख्या में लोगों की मौत हुई थी। वहां पर साधारण सेंसर लगा हुआ था। हालांकि, उससे यह पता चल गया था कि छह माह में यहां पर ग्लेशियर फट सकता है, लेकिन कब फटेगा, इसकी सटीक जानकारी नहीं थी। वहां एआइ सेंसर लगा होता तो सटीक जानकारी मिल जाती। इस संबंध में एएलटीटीसी के महाप्रबंधक (तकनीकी) मोहन सिंह कहते हैं, एएलटीटीसी में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सेंसर के लग जाने से प्राकृतिक आपदाओं का सटीक पूर्वानुमान लगाया जा सकेगा।


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