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संशोधित: हर शख्स के वजूद की पिता ही पहचान है..

जागरण संवाददाता साहिबाबाद किसी भी मनुष्य की परवरिश और विकास में पिता का उतना ही योगदा

By JagranEdited By: Published: Sat, 20 Jun 2020 08:50 PM (IST)Updated: Sun, 21 Jun 2020 06:02 AM (IST)
संशोधित: हर शख्स के वजूद की पिता ही पहचान है..
संशोधित: हर शख्स के वजूद की पिता ही पहचान है..

जागरण संवाददाता, साहिबाबाद: किसी भी मनुष्य की परवरिश और विकास में पिता का उतना ही योगदान होता है जितना माता का। ऐसे में विश्व पितृ दिवस पर पिता को सम्मानस्वरूप हर कोई याद कर रहा है। दैनिक जागरण ने भी अपने पाठकों की भावनाओं को सबके सामने लाने की पहल की है। इसी कड़ी में पाठकों के विचार आप सभी के सम्मुख हैं। जागरण की इस पहल का भी पाठकों का खूब प्यार मिला। सैकड़ों की संख्या में पत्र दैनिक जागरण को मिले। स्थानाभाव में कुछ पाठकों के विचार आपके सामने हैं।

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----------------------- खूब मस्ती करते हैं साथ में पापा के बारे में क्या कहूं? लॉकडाउन से पहले हम दोनों को देर रात ही खेलने और बातें करने का मौका मिलता था या फिर शनिवार-रविवार को। तब ढेर सारी मस्ती करते थे। घूमने जाते थे। जब पापा ऑफिस से देर से घर लौटते थे, तो मैं हमेशा पूछती थी कि आप घर जल्दी कब आओगे? मैंने सोचा नहीं था कि ऐसा समय आएगा, जब पापा घर से काम करेंगे और मैं उनके साथ ढेर सारा समय बिताउंगी। लॉकडाउन के बाद से पापा वर्क फ्रॉम होम कर रहे हैं। वैसे, तो उनके ऑफिस का बहुत काम होता है, फिर भी बीच-बीच में वे मेरे साथ लूडो या फुटबॉल खेल लेते हैं। पापा जब पौधे, लेकर आते हैं, तो हम दोनों साथ मिलकर उन्हें गमले में लगाते हैं। जब कभी मैं शैतानी करती हूं, तो पापा डांटते हैं। कभी-कभी मुझे डर लगता है, लेकिन फिर हम दोनों की दोस्ती हो जाती है। मैं पापा से बहुत प्यार करती हूं।

अयाना सिंह, फादर एगनेल स्कूल, नोएडा पिता : आशीष कुमार, इंदिरापुरम, गाजियाबाद

------------------- मेरे प्यारे पापा हो आप

मेरे प्यारे पापा हो आप, जीवन की परीक्षा के मार्गदर्शक हो आप। नैतिक मूल्यों के अथाह सागर हो। खुशनुमा माहौल के रचयिता हो आप। मेरी आकांक्षाओं के सूत्र धार हो आप। प्यार भरे विश्वास की ताकत हो आप। बिन मांगे ईश्वर की बड़ी सौगात हो आप। मेरी खामोशी बिन बोले समझ जाते हो आप। अंधेरे की चमक की रोशनी हो आप। सूर्य की तपन जल की शीतलता हो आप जीवन के गाड़ी के निपुण सारथी हो आप हंसते हुए चेहरे की मुस्कुराहट हो आप अभिमानी और स्वाभिमानी हो आप मेरी हंसी खुशी की दुनिया हो आप नींद न लगे तो अपने ऊपर सुलाते थे आप पांव पर चलना खड़ा होना सिखाते आप। मेरे लिए भगवान का दूसरा रूप हो आप। खेल और गणित के शौकीन हो आप। मेरे प्यारे दुलारे अनोखे हो आप। और कोई नहीं मेरे प्यारे पापा हो आप। मनी चक्रवर्ती, पिता संतोष चक्रवर्ती

--------------- पापा जैसे न कोई हैं न कभी होंगे

एक लड़की से अक्सर पूछा जाता है..कैसा लड़का चाहती हो तुम, लेकिन अब वो कैसे कह दे पापा जैसे और कोई है ही नहीं। जितना प्यार पापा से मिला है, दुनिया में कोई कर नहीं सकता और होगा भी कैसे। दुनिया में हर लड़की के लिए उसके पापा सबसे अलग होते हैं। ऐसा क्यों जानते हैं आप? मेरे बिना बोले मेरी हर बात पापा ने समझी है। मेरे मांगने से पहले ही हर चीज ला दी है। स्कूल के बाहर तपती धूप में मेरा इंतजार किया है। जीवन में जो करना चाहती थी और आगे जो करना चाहूंगी हर दम हर वक्त एक सच्चे साथी की तरह खड़े रहे हैं। उनके लिए जितना लिखूं उतना कम है । सच, पापा जैसे न कोई हैं न कोई हो सकते हैं और न कभी होंगे।

प्रतीक्षा मिश्रा, वैशाली

पिता राकेश मिश्रा ----

मेरे पापा शुरू से ही शख्त मिजाज के रहे हैं। पढ़ाई के मामले में हम तीनों भाइयों को स्कूल और ट्यूशन छोड़ना उनका ही जिम्मा रहा। बाजार से किताबें और ड्रेस का इंतजाम करना भी उनका ही काम रहा। पढ़ाई के मामले में दो चार चपत रसीद कर देना उनके लिए आम बात थी। वे हिदी और संस्कृत भी हमें पढ़ाते और मेरे संस्कृत में बहुत अच्छे नंबर आते। जैसे ही वे आफिस से आते हम किताब लेकर बैठ जाते। वे हमारी स्टडी के बारे में पूछते और संतुष्ट होने पर ही छोड़ते। पिताजी की डांट पड़ते ही घर में अनुशासन का माहौल पैदा हो जाता। वे हमें साइंस म्यूजियम और बाल भवन और चिड़ियाघर भी घुमा कर लाते । हमारे जीवन की आधार शिला रहे हैं।

स्कंद शर्मा, राजेन्द्र नगर,साहिबाबाद पिता: डॉ. इंद्र कुमार शर्मा


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