निगम में कर चोरी के मामले तूल पकड़ा
जागरण संवाददाता गाजियाबाद नगर निगम में टैक्स चोरी के मामले ने तूल पकड़ लिया है। मेयर आश
जागरण संवाददाता, गाजियाबाद : नगर निगम में टैक्स चोरी के मामले ने तूल पकड़ लिया है। मेयर आशा शर्मा ने शनिवार को नगर आयुक्त डॉ. दिनेश चंद्र को पत्र लिखकर टैक्स चोरी के आरोपों पर क्लीन चिट देने पर सवाल उठाए हैं। मेयर ने पत्र में लिखा है कि मैंने पिछले वर्ष अक्टूबर में टैक्स चोरी का मामला उठाया था, तब भी क्लीन चिट दे दी गई थी।
साथ ही मेयर ने भाजपा के पार्षद दल के नेता राजेंद्र त्यागी को भी पत्र लिखा कहा है। उसमें लिखा है कि देर से आए, दुरुस्त आए। तंज कसते हुए लिखा है कि जब मैंने दस माह पूर्व टैक्स चोरी की बात कही थी तो आपने मुझ पर नगर निगम को बदनाम करने का आरोप लगाया था। उस वक्त आप अधिकारी और कर्मचारियों को बचाने की कोशिश कर रहे थे। देरी से सही, अब भ्रष्टाचार मिटानें में मेरा साथ दें। मेयर ने लिखा कि मैंने फिर से शासन को शिकायत भेजी है और इस मामले की गहराई से जांच की जाएगी। वहीं, मेयर के इन पत्रों के सामने आने के बाद नगर निगम में भाजपा के जनप्रतिनिधियों व नगर आयुक्त के बीच आपसी खींचतान भी सामने आई है। ---- आधे स्कूलों पर नहीं लग रहा टैक्स
मेयर ने नगर आयुक्त लिखे पत्र में कहा कि 19 अक्टूबर 2019 और 30 दिसंबर 2019 को उन्होंने निगम में टैक्स चोरी के आरोप लगाए थे। विजयनगर क्षेत्र में स्कूलों पर कर लगाने में अनियमितता के आरोपों में दो बार क्लीन चिट दे दी गई। मेयर ने कहा कि पहली बार क्लीन चिट देने वालों से ही दोबारा जांच कराई गई। मेयर ने अपने आरोपों को सही बताते हुए कहा कि निगम के पांचों जोन से 142 स्कूलों की सूची दी गई, जबकि शिक्षा विभाग ने निगम क्षेत्र में 278 स्कूल की लिस्ट सौंपी है। यानी करीब आधे स्कूलों से टैक्स की वसूली हो ही नहीं रही। कहा कि मित्र स्कूलों से आवासीय दर से और अन्य स्कूलों से आवासीय दर का तीन गुना टैक्स वसूला जा रहा है। उन्होंने कहा कि कई स्कूलों के कर का पुनर्मूल्यांकन 2007 से आज तक नहीं हुआ। साथ ही लिखा कि अभी कई औद्योगिक संस्थान, व्यावसायिक प्रतिष्ठान और बाजारों का पिटारा भी खुलना बाकी है। मेयर ने नगर आयुक्त से कहा कि वे इसकी जांच खुद करेंगे तो राजस्व वसूली में 50 करोड़ रुपये की बढ़ोत्तरी हो सकती है। जब अपने ही भ्रष्टाचार को छिपाएं
पार्षद राजेंद्र त्यागी को लिखे पत्र में मेयर ने उन पर तंज कसते हुए लिखा कि जब अपनी ही पार्टी के पार्षद भ्रष्टाचार को छिपाने का प्रयास करें तो जांच गहराई से करनी पड़ती है। बता दें कि मेयर के टैक्स चोरी के आरोपों को पार्षद ने सही नहीं बताया था। मेयर ने लिखा कि आपके वार्ड मे कई बड़ी कोठियों का कर न के बराबर है। मेरे आरोपों को दबाने की कोशिश कर अब खुद भी टैक्स चोरी का मामला उठा रहे हो। कहा कि आपने सच तो स्वीकारा। साथ ही नसीहत दी कि भ्रष्टाचार मिटाने में साथ दें। ---- अधिनियम में दिए प्रावधानों के अनुरूप ही टैक्स लगाया जाता है। मेयर के आरोपों पर जांच कराई जा चुकी है। उन्होंने दुबारा आपत्ति जताई है तो फिर से जांच की जाएगी।
- डॉ. दिनेश चंद्र, नगर आयुक्त।
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मेयर के आरोपों पर दो बार जांच हुई और दोनों ही बार कोई गड़बड़ी नहीं मिली। मैंने 1186 संपत्तियों का दस्तावेज के साथ मामला उठाया है। मेरे मामलों की नगर निगम जांच करे तो स्थिति स्पष्ट हो जाएगी। मैंने उन संपत्तियों की शिकायत की है, जिन पर आज तक टैक्स लगा ही नहीं है। मेयर नगर निगम की मुखिया हैं। ऐसे में उनका साथ न देने का सवाल ही नहीं उठता।
- राजेंद्र त्यागी, पार्षद।