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नौकरी छोड़कर बने प्रधान, बदल दी हृदयपुर-भंडौला गांव की सूरत

अनिल त्यागी मोदीनगरमोदीनगर शहर से आठ किलोमीटर दूर हृदयपुर-भंडौला कहने के लिए तो गां

By JagranEdited By: Published: Mon, 13 Jul 2020 07:38 PM (IST)Updated: Mon, 13 Jul 2020 07:38 PM (IST)
नौकरी छोड़कर बने प्रधान, बदल दी हृदयपुर-भंडौला गांव की सूरत
नौकरी छोड़कर बने प्रधान, बदल दी हृदयपुर-भंडौला गांव की सूरत

अनिल त्यागी, मोदीनगर:मोदीनगर शहर से आठ किलोमीटर दूर हृदयपुर-भंडौला कहने के लिए तो गांव है, लेकिन कभी गांव आकर देखिए तो यहां मौजूद सुविधाएं शहर को चिढ़ाने का काम कर रही हैं। सीसीटीवी, पब्लिक एड्रेस सिस्टम, वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम से लेकर साफ-सफाई इतनी बेहतर कि आप आश्चर्य में पड़ जाएंगे। सरकारी स्कूल का भवन भी ऐसा, मानों किसी पब्लिक स्कूल में पहुंच गए हों। साढ़े तीन हजार की आबादी वाले इस गांव के प्रधान मदनपाल सिंह, ग्राम सचिव नितिन जैन, सफाईकर्मी दीपक पाल को जिले के नोडल अधिकारी एवं राज्य विद्युत उत्पादन निगम के प्रबंध निदेशक सेंथिल पांडियन सी. प्रशस्ति पत्र दे चुके हैं। वे गांव का निरीक्षण करने आए तो सुविधाओं को देखकर खुद आश्चर्य में पड़ गए।

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भोजपुर ब्लॉक के हृदयपुर-भंडौला गांव के पांच साल पहले तक रास्ते, पानी निकासी, प्राइमरी स्कूल का भवन आदि बदहाल स्थिति में थे। कृषि विज्ञान से बीएससी की पढ़ाई करने वाले मदनपाल प्राइवेट कंपनी में नौकरी करते थे। जब भी गांव आते तो स्थिति को देखकर लगता कि सरकार तो गांवों की दशा सुधारने के दावे कर रही है, लेकिन जो हालात गांव में बने हैं, उससे लगता नहीं कि सरकार कुछ कर रही है। मदनपाल बताते हैं कि तमाम बिदुओं पर सोच विचार के बाद सामने आया कि दृढ़ इच्छाशक्ति की कमी के कारण ऐसा हो रहा है। सरकार का प्रोत्साहन कम नहीं है। इसी के चलते उन्होंने नौकरी छोड़ गांव में रहने का मन बनाया और खेती शुरू कर दी। पांच साल पहले गांव में प्रधानी का चुनाव लड़ा। लगन और मेहनत का परिणाम सामने आया और रिकॉर्ड मतों से जीतकर मदनपाल सिंह गांव के प्रधान बने।

उन्होंने बताया कि रास्ते, नाली का काम निपटने के बाद गांव को सौ फीसद खुले में शौचमुक्त किया गया। गांव के प्रत्येक गली-मोहल्ले को नंबरिग दी हुई है, ताकि बाहर से आने वाले व्यक्ति को किसी भी व्यक्ति के घर तक पहुंचने में कोई परेशानी न हो। -सबसे पहले दुरुस्त कराए रास्ते, नाली :

मदनपाल सिंह ने बताया कि सबसे पहले गांव के तमाम रास्तों और नालियों को दुरुस्त कराया गया। इसमें करीब दो साल का समय लगा। प्राइमरी स्कूल का भवन बेहद जर्जर था। इसमें ग्रामीण अपने बच्चों को भेजने से कतराते थे। इसी के चलते एक साल की मेहनत में प्राइमरी स्कूल के भवन का जीर्णोद्धार कराया। इतना ही नहीं, स्कूल में फर्नीचर, पंखे, बिजली का कनेक्शन, झूले, बैठने के लिए बेंच, टाइल्स आदि तमाम सुविधाएं भी अभिभावकों व शिक्षकों के लिए कराईं। चूंकि, सरकार रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम पर जोर दे रही है तो स्कूल में उसकी भी व्यवस्था की गई। इसके अलावा गांव में दो अन्य स्थानों पर भी रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगवाया गया।

-ये सुविधाएं बनाती हैं खास:

गांव में मुख्य रास्तों, गलियों में सीसीटीवी लगे हुए हैं, जो हर गतिविधि को कैद करते हैं। किसी भी मारपीट, वाहन चोरी व अन्य स्थिति में ग्रामीणों की मदद करता है। इसके अलावा पब्लिक एड्रेस सिस्टम से ग्राम प्रधान, सचिव किसी भी प्रकार की सूचना को प्रत्येक व्यक्ति तक पहुंचा देते हैं। वर्तमान में लगातार फैल रहे कोरोना संक्रमण में यह और भी ज्यादा कारगार साबित हो रहा है। इनका कंट्रोल रूम सरकारी स्कूल में बनाया गया है। सचिव और ग्राम प्रधान यदि एक स्थान पर दो या उससे ज्यादा लोगों को खड़े देखते हैं तो सीसीटीवी में देखकर उनको एक जगह भीड़ एकत्र न करने की वहीं से अपील कर देते हैं।

-घर-घर होता है कूड़ा कलेक्शन:

गांव के सफाई की जिम्मेदारी दीपक पाल पर है। वे घर-घर से कूड़ा कलेक्शन करते है। खास यह है कि गीला कूड़ा एक तरफ और सूखा कूड़ा एक तरफ एकत्र करते हैं। गीले कूड़े से खाद बनाकर उनको पेड़ पौधों में डाला जाता है। ग्राम प्रधान बताते हैं कि गांव में बड़ी तादाद में मुख्य रास्ते और अन्य स्थानों पर पेड़ पौधे लगाए गए हैं। आने वाले समय में और भी पेड़ पौधे लगाने का ग्राम पंचायत ने लक्ष्य रखा है।


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