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गांव की जमीन खाने लगी भाव

मदन पांचाल गाजियाबाद जीडीए के प्रस्तावित मास्टर प्लान-2031 पर निवेशकों की खास नजर है। सर्वे

By JagranEdited By: Published: Thu, 18 Mar 2021 08:14 PM (IST)Updated: Thu, 18 Mar 2021 08:14 PM (IST)
गांव की जमीन खाने लगी भाव
गांव की जमीन खाने लगी भाव

मदन पांचाल, गाजियाबाद : जीडीए के प्रस्तावित मास्टर प्लान-2031 पर निवेशकों की खास नजर है। सर्वे रिपोर्ट के बाद अनेक बिल्डर लोनी, मोदीनगर, डासना, मुरादनगर और मसूरी क्षेत्र के गांवों में जमीन खरीदने के लिए पहुंच रहे हैं। हालांकि अब ग्रामीण उनके झांसे में नहीं आ रहे हैं। ग्रामीण भी ऊंची कीमत मांग रहे हैं। मास्टर प्लान के सर्वे की रिपोर्ट आने से पहले तक बैनामे तेजी से हो रहे थे लेकिन रिपोर्ट आने के बाद इसमें कमी आने की संभावना है।

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जमीनों के दाम बढ़ा दिए

दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे और आरआरटीएस प्रोजेक्ट से सटे गांवों के किसानों ने भी जमीनों के दाम बढ़ा दिए हैं। दरअसल, मास्टर प्लान के सर्वे रिपोर्ट में साफ हो गया है कि अगले दस सालों में सबसे अधिक विकास लोनी, डासना, मुरादनगर, मसूरी, मोदीनगर और गंगनहर के आसपास किया जाना है। लोग इन्हीं क्षेत्रों में जमीन खरीदने में जुट गए हैं। जीडीए का वर्तमान दायरा 184 गांवों की 3,889 हेक्टेयर जमीन पर फैला हुआ है। आने वाले दस वर्षों के लिए दायरा बढ़ाये जाने पर मंथन चल रहा है।

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गांव में पहुंच रहे हैं बिल्डर

स्टांप विभाग के मुताबिक कृषि की जमीन खरीद के बैनामों में वृद्धि हो रही है। अधिकांश बिल्डर मेरठ रोड, एनएच-24 और कांवड़ मार्ग से सटे गांवों की जमीन खरीदने में लगे हैं। स्टांप विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक वित्त वर्ष 2019-20 में कृषि जमीनों के कुल 239 बैनामे हुए थे, वहीं पर चालू वित्त वर्ष में फरवरी तक 389 बैनामे हो चुके हैं, जबकि कोरोना के कारण इस वित्त वर्ष कई महीने लाकडाउन में गुजर गए। सर्वे रिपोर्ट आने के बाद बैनामे में कमी आने की संभावना है। कृषि जमीनों के बैनामों का विवरण

सब रजिस्ट्रार वित्त वर्ष-2019-20 वित्त वर्ष-2020-21

1 13 35

2 39 92

3 10 22

4 5 8

5 3 5

6 160 211

7 9 16

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खेती की जमीन बहुत कम रह गई है। अब कोई खरीदने की बात करता है तो बाजार भाव बता दिया जाता है। बिल्डर कौड़ियों के दाम जमीन खरीदने की जुगत में रहते हैं। जमीन हमारी है तो रेट भी हमारे अनुसार ही होंगे।

-श्यौराज सिंह, किसान रईसपुर

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मास्टर प्लान बनने से पहले गांव और किसानों की बात जरूर सुनी जाए। खेतों को आर जोन बनाते समय किसान के खाते में आने वाली जमीनों का सर्वे जरूर कराया जाए। बहुत बिल्डर जमीन खरीदने को घूम रहे हैं लेकिन दाम कम दे रहे हैं। फिलहाल खेत बेचने का इरादा स्थगित कर दिया है। आर जोन घोषित होने पर खुद ही विकास करेंगे।

-वेदपाल चौधरी, किसान सदरपुर

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मेरे पास दो बीघे जमीन है। रोज कोई न कोई जमीन खरीदने को आ रहा है। बाजार भाव से बहुत कम रेट लगा रहे हैं। आबादी में आने से दाम और बढ़ जाएंगे। बेचने के लिए अभी इंतजार करेंगे।

-वीरेंद्र सिंह, किसान रईसपुर

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बहुत कम जमीन रह गई है। अब बिल्डर और प्रशासन के झांसे में आने वाले नहीं हैं। बाजार दरों पर जमीन की कीमत मिलेगी तो खुश होकर जमीन दे देंगे।

- पिटू, किसान, रजापुर

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मास्टर प्लान-2031 बनने से शहरी क्षेत्रों से सटे गांवों की अधिकांश जमीनों को आर जोन (आवासीय क्षेत्र) एवं नान कंर्फिंग जोन (गैर अनुरूप क्षेत्र) का हिस्सा बनाया जा सकता है। ऐसे में पहले से ही पूंजी निवेशक और बिल्डर गांवों की जमीन खरीदने की तैयारी कर रहे हैं।

- आशीष शिवपुरी, सीएटीपी जीडीए


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