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जांच न सैनिटाइजेशन, मुख्यमंत्री जी सच देखना है तो गांवों में आइए

अभिषेक सिंह गाजियाबाद प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आज गाजियाबाद आ रहे हैं। जिला प्रशा

By JagranEdited By: Published: Sat, 15 May 2021 07:57 PM (IST)Updated: Sat, 15 May 2021 07:57 PM (IST)
जांच न सैनिटाइजेशन, मुख्यमंत्री जी सच देखना है तो गांवों में आइए
जांच न सैनिटाइजेशन, मुख्यमंत्री जी सच देखना है तो गांवों में आइए

अभिषेक सिंह, गाजियाबाद

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प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आज गाजियाबाद आ रहे हैं। जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग ने मुख्यमंत्री को जिले में आगमन पर सब कुछ अच्छा दिखाने की तैयारी तेज कर दी है। शनिवार को देर शाम तक कागजी घोड़े दौड़ाए जाते रहे, जिससे की कोई कमी नजर न आए। वहीं दूसरी तरफ जिले के गांवों की स्थिति ये है कि वहां पर न तो कोरोना की जांच हो रही है न ही सैनिटाइजेशन करवाया जा रहा है। ग्रामीणों और प्रधानों का कहना है कि अगर जिले में कोरोना संक्रमण फैलने से रोकने की तैयारियों का सच जानना है तो मुख्यमंत्री जी को गांवों में आना चाहिए। यहां बुखार और खांसी से परेशान हैं, लेकिन अब तक जांच नहीं करवा सके। न ही जिला प्रशासन द्वारा कभी जांच के लिए शिविर लगवाया गया। नूरपुर गांव का हाल: नूरपुर गांव में बुखार और खांसी से बीमार 20 से अधिक मरीज हैं। इनमें से कई मरीजों ने अब तक कोरोना की जांच नहीं करवाई है। गांव में मरीजों के उपचार के लिए 25 साल पहले एक अस्पताल बनवाया गया था, जो अब खंडहर बन चुका है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा अस्पताल की देखरेख नहीं की गई। गांव में कई मरीज ऐसे भी हैं, जो कोरोना से ठीक हो चुके हैं लेकिन उपचार न मिलने के कारण वह अब भी कमजोरी महसूस कर रहे हैं।

मटियाला और निगरावटी गांव का हाल: मटियाला गांव में आज तक संक्रमण के मामले कम हैं। लेकिन गांव में जिला प्रशासन की ओर से सैनिटाइजेशन नहीं करवाया जाता है। इसकी वजह से लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इस गांव में भी कोरोना की जांच के लिए कभी कैंप नहीं लगवाया गया है, लोगों को जांच के लिए दूर जाना पड़ता है। निगरावटी गांव हापुड़ से सटा हुआ है, यहां पर भी सैनिटाइजेशन नहीं करवाया जाता है। कंट्रोल रूम के प्रभारी को नहीं पता गांवों में कितने मरीज: ऐसे मरीज जिनमें कोरोना के लक्षण हैं, उनको मेडिकल किट निश्शुल्क देने की व्यवस्था शुरू की गई है। इसका लाभ मरीजों को मिल रहा है। इसकी वजह से जो ग्रामीण कोरोना की चपेट में आ रहे हैं, उनकी स्थिति गंभीर नहीं हो रही है। लेकिन जिन मरीजों में लक्षण देरी से सामने आते हैं, उनकी स्थिति बिगड़ जाती है। उपचार के लिए उनको दूर अस्पताल ले जाना पड़ता है। मरीजों को सिर्फ मेडिकल किट देकर अधिकारी अपनी जिम्मेदारी पूरी कर रहे हैं। जबकि मरीजों के पास कंट्रोल रूम से उनका हाल जानने के लिए फोन भी नहीं जाता है। गांवों में मरीजों की क्या स्थिति है, इसके बारे में खुद कंट्रोल रूम के प्रभारी को ही जानकारी नहीं है। जिले में टीकाकरण और जांच केंद्रों की संख्या: 2011 की जनगणना के अनुसार जिले की आबादी 46 लाख से अधिक है। इसके सापेक्ष जिले में 66 टीकाकरण केंद्र और जांच केंद्र महज 25 हैं। इनमें से कई सेंटर ऐसे हैं, जहां पर जांच के लिए लोग पहुंचते हैं तो उनको बताया जाता है कि जांच की किट खत्म हो गई है। टीकाकरण केंद्रों पर रोजाना 18 हजार लोगों को कोरोनारोधी टीका लगवाने का लक्ष्य है, लेकिन छह से आठ हजार लोगों को ही रोजाना टीका लगाया जा रहा है। किससे करें शिकायत, अधिकारी फोन नहीं उठाते: जिले में स्वास्थ्य विभाग से जुड़ी समस्या हो या फिर जिला प्रशासन से जुड़ा कोई मामला हो, जब शिकायत या जानकारी के लिए अधिकारियों को फोन किया जाता है तो वे फोन नहीं उठाते हैं। मजबूरी में लोग अपनी बात जिला प्रशासन और मुख्यमंत्री कार्यालय तक पहुंचाने के लिए इंटरनेट मीडिया का सहारा लेते हैं। परिचर्चा ग्राम पंचायत स्तर पर कोरोना की जांच होनी चाहिए, जिससे की मरीज और उनके संपर्क में आने वाले लोगों के बारे में जानकारी हो सके। इसके साथ ही नूरपुर गांव के अस्पताल का जीर्णोद्धार कराने की मांग जिला प्रशासन से की जाएगी। - नवल कुमार, प्रधान, नूरपुर गांव में सैनिटाइजेशन नहीं हो रहा है। जांच के लिए दूर जाना पड़ता है। जिला प्रशासन द्वारा मेडिकल किट मरीजों को दी जा रही है, लेकिन जांच के लिए भी ग्राम पंचायत स्तर पर व्यवस्था होनी चाहिए।

- अशोक कुमार प्रधान, मटियाला

गांव में मेडिकल किट मिल रही है लेकिन जांच की व्यवस्था नहीं है। एंबुलेंस के लिए फोन करते हैं तो समय पर एंबुलेंस नहीं आती है। एक-दो घंटे तक एंबुलेंस के लिए इंतजार करना पड़ता है। - ओमबीर, ग्रामीण, नूरपुर

बयान

गांवों में कोरोना की जांच के लिए कोई योजना नहीं बनाई गई है। नजदीकी सीएचसी में जाकर लोग जांच करवा सकते हैं। अगर किसी गांव में मरीजों की संख्या ज्यादा आएगी तो वहां पर जांच के लिए कैंप लगाया जाएगा। सैनिटाइजेशन में लापरवाही की जांच करवाई जाएगी।

- भालचंद्र त्रिपाठी, जिला विकास अधिकारी।


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