बेड के लिए सिर्फ कंट्रोल रूम के भरोसे रहे तो मरीज को बढ़ेगा खतरा
अभिषेक सिंह गाजियाबाद कोरोना संक्रमितों को जरूरी सुविधाएं दिलाने के लिए विकास भवन में एकीक
अभिषेक सिंह, गाजियाबाद: कोरोना संक्रमितों को जरूरी सुविधाएं दिलाने के लिए विकास भवन में एकीकृत कोविड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर बनाया गया है। लेकिन आप अगर बेड के लिए सिर्फ इस कंट्रोल रूम के बेड के भरोसे रहेंगे तो मरीज की जान को खतरा बढ़ सकता है। क्योंकि कंट्रोल रूम में तैनात कर्मचारी और अधिकारियों की मदद से ज्यादातर लोगों को बेड नहीं मिल रहे हैं। मायूस होकर लोग दूसरे जिलों और प्रदेशों के अस्पतालों में मरीजों को ले जा रहे हैं।
बेड के लिए कंट्रोल रूम में फोन करने पर यह हो रहा: जब कोई मरीज गंभीर रूप से बीमार होता है और उसको उपचार के लिए बेड की आवश्यकता होती है तो तीमारदार द्वारा कंट्रोल रूम में फोन किया जाता है। कई बार फोन लगता है तो कई बार नहीं। जब फोन लगता है तो मरीज के उपचार से संबंधित पेपर और आधार कार्ड वाट्सएप नंबर 8826797248 पर मंगाए जाते हैं। बेड दिलाने का आश्वासन दिया जाता है, लेकिन इक्का दुक्का मरीजों को छोड़ दें तो अन्य के पास बाद में फोन करके यह भी नहीं बताया जाता है कि बेड दिलाने में सफल हो पाएंगे या नहीं। उधर जो तीमारदार बेड के लिए सिर्फ कंट्रोल रूम के भरोसे रहते हैं। उनके मरीज की जान का खतरा बढ़ जाता है। दोबारा कंट्रोल रूम में फोन करते हैं तो कहा जाता है कि चेक कर रहे हैं, इसके बाद फोन काट दिया जाता है।
कंट्रोल रूम से मदद न मिलने पर यह होता है: जब कंट्रोल रूम में फोन करने के बाद मरीजों के तीमारदारों को बेड नहीं मिल पाता है तो वह अपने संपर्क के लोगों और इंटरनेट मीडिया के माध्यम से बेड की मांग जिला प्रशासन, प्रदेश सरकार और केंद्र सरकार से करते हैं। इस बीच नोएडा, मेरठ, दिल्ली, फरीदाबाद और गुरुग्राम तक के अस्पतालों में खाली बेड की तलाश की जाती है। कई बार संपर्क के लोगों की मदद से गाजियाबाद में ही बेड मिल जाता है तो कई बार मरीज को लेकर जिले से बाहर के अस्पताल में जाना पड़ता है।
मेरे मौसा सलेक चंद की तबीयत खराब है। डाक्टर के मुताबिक, उनको वेंटिलेटर वाले बेड की जरूरत है। इसके लिए कंट्रोल रूम में फोन किया और उनके द्वारा बताए गए वाट्सएप पर जानकारी दे दी, लेकिन तीन दिन से बेड नहीं मिल सका है। पूछने पर बताया जाता है कि बेड उपलब्ध होगा तो जानकारी दी जाएगी। - शक्ति सिंह, शिब्बनपुरा।
मेरे पति की तबीयत खराब हो गई। गाजियाबाद में बेड के लिए काफी प्रयास किया लेकिन सफलता नहीं मिली। इसके बाद अपने संपर्क में आए लोगों की मदद से आगरा के एक अस्पताल में बेड का इंतजाम कराने में सफल हो गई। उनको उपचार के लिए आगरा ले गई। अब उनके स्वास्थ्य में सुधार है। सिर्फ कंट्रोल रूम के भरोसे रहना ठीक नहीं है। - शालिनी, राजेंद्र नगर बयान बेड के लिए फोन आने पर मरीज की जानकारी ली जाती है। अस्पताल में बेड खाली होने पर मरीज को भर्ती करवाया जाता है। बेड खाली न होने पर इंतजार करने के लिए कहा जाता है। - खालिद अंजुम, अपर नगर मजिस्ट्रेट