जीडीए को 14 साल बाद अनुरक्षण शुल्क वसूलने की आई याद
जीडीए को 14 साल बाद अभयखंड में भवन स्वामियों से दो मंजिल का अनुरक्षण शुल्क वसूलने की याद आई है। प्राधिकरण ने इतने वर्षों बाद अब नोटिस जारी कर शुल्क का भुगतान करने के लिए कहा है। इस नोटिस ने प्राधिकरण की नीति में झोल को भी उजागर किया। उसमें आकलन कर शुल्क अंकित नहीं किया गया है। शुल्क की गणना के लिए नक्शा पास होने का रिकॉर्ड अपने साथ लाने को कहा गया है।
जागरण संवाददाता, गाजियाबाद : जीडीए को 14 साल बाद अभयखंड में भवन स्वामियों से दो मंजिल का अनुरक्षण शुल्क वसूलने की याद आई है। प्राधिकरण ने इतने वर्षों बाद अब नोटिस जारी कर शुल्क का भुगतान करने के लिए कहा है। इस नोटिस ने प्राधिकरण की नीति में झोल को भी उजागर किया। उसमें आकलन कर शुल्क अंकित नहीं किया गया है। शुल्क की गणना के लिए नक्शा पास होने का रिकॉर्ड अपने साथ लाने को कहा गया है। यह भी स्पष्ट नहीं किया कि शुल्क वर्तमान वित्त वर्ष का जमा कराना है या पिछले इतने वर्षों का। अधिकारी भी अलग-अलग बात कर रहे हैं। ऐसे में भ्रम की स्थिति बनी हुई है। भवन स्वामियों का कहना है कि जब एक मंजिल से मकान को दो मंजिला बनाने के लिए नक्शा पास कराया था, तभी से अनुरक्षण शुल्क दो मंजिला के हिसाब से वसूलना चाहिए था। तब से एक मंजिला का शुल्क वसूला जा रहा है। अब 14 सालों का एकमुश्त शुल्क जमा करने का फरमान जारी कर लोगों पर आर्थिक बोझ डाल दिया है।
जीडीए ने अपनी जिन कॉलोनियों को नगर निगम को हैंडओवर नहीं किया, उनके रखरखाव के लिए अनुरक्षण शुल्क लिया जाता है। हाउस टैक्स की तरह भवन के कवर्ड एरिया के क्षेत्रफल पर इसकी गणना होती है। अभयखंड-1 में जीडीए मार्केट के सामने एचआइजी मकानों के स्वामियों को हाल में प्राधिकरण की तरफ से नोटिस भेजा गया है। जिसमें लिखा है कि अब उनसे एक मंजिल के बजाए दो मंजिल का अनुरक्षण शुल्क लिया जाएगा। जमा कराने के लिए ज्ञानखंड स्थित जीडीए के कैंप ऑफिस का पता दिया गया। लोगों को इसे जमा कराने को तैयार हैं। वह कैंप ऑफिस पहुंचे तो बताया गया कि दो मंजिला के हिसाब से अनुरक्षण शुल्क की तब से गणना होगी जब से मकान एक मंजिल से दो मंजिला बनाने का नक्शा पास कराया गया। लोगों को यह भी बताया गया कि गणना के लिए नक्शा और उसकी स्वीकृति संबंधी दस्तावेज साथ लाना होगा। वहीं, जीडीए के मुख्य अभियंता का कहना है कि नोटिस में शुल्क वसूली की समयावधि का जिक्र नहीं है तो वर्तमान वित्त वर्ष का शुल्क लिया जाएगा। इससे लोग में भ्रम हो रहा है।
यहां रहने वाले राजेंद्र त्यागी का कहना है कि उन्होंने अपने मकान को 14 साल पहले वर्ष 2004 में एक से दो मंजिल बनाया था। उन्होंने बताया कि यहां उनके जैसे काफी मकान है। जिन्हें सालों पहले लोगों ने जरूरत के हिसाब से अलग-अलग समय पर दो मंजिला बना लिया। तब से जीडीए एक मंजिल के हिसाब से अनुरक्षण शुल्क लेता आ रहा था। उनका कहना है कि वर्तमान वित्त वर्ष से दो मंजिला का अनुरक्षण जमा कराना स्वीकार्य है, लेकिन पिछले 14 वर्षों का शुल्क मांगना उचित बात नहीं। उनका कहना है कि जीडीए अधिकारी इतने वर्षों से सो रहे थे। अब एकमुश्त आर्थिक भार उन पर डालना उचित नहीं है। जो गलती उन्होंने नहीं की, उसकी सजा नहीं दी जानी चाहिए। उनके अलावा कई लोगों का कहना कि जीडीए को अब याद आई है तो वर्तमान से दो मंजिल का अनुरक्षण शुल्क वसूल जाए। पिछले सालों का नहीं।
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एक बार परीक्षण करा लिया जाएगा कि वास्तविकता क्या है। इस बारे में बोर्ड का निर्णय हुआ है। उसमें जो फैसला होगा, उसके अनुसार ही शुल्क लिया जाएगा।
-संतोष कुमार राय, सचिव, जीडीए