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पांच ट्रूनेट मशीन आवंटित, तेज होगी टीबी की जांच

जागरण संवाददाता गाजियाबाद जिले में टीबी की जांच तेज करने के लिए राज्य सरकार ने पांच और

By JagranEdited By: Published: Fri, 23 Oct 2020 05:22 PM (IST)Updated: Fri, 23 Oct 2020 05:22 PM (IST)
पांच ट्रूनेट मशीन आवंटित, तेज होगी टीबी की जांच
पांच ट्रूनेट मशीन आवंटित, तेज होगी टीबी की जांच

जागरण संवाददाता, गाजियाबाद: जिले में टीबी की जांच तेज करने के लिए राज्य सरकार ने पांच और ट्रूनेट मशीन आवंटित कर दी हैं। एक मशीन मिल गई है और चार मशीनें तीस अक्टूबर तक मिल जाएंगी। नई ट्रूनेट मशीनें आने के बाद जनपद में सीबी नाट और ट्रूनेट मशीनों की संख्या दस हो जाएगी। राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम के तहत चार स्थानों पर सीबी नाट मशीनों से (स्पुटम) बलगम की जांच की जाती है। एक ट्रूनेट मशीन से जिला एमएमजी अस्पताल में कोरोना की जांच की जा रही है। नई ट्रूनेट मशीनें प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पसौंडा, अर्बन पीएचसी खोड़ा, पीएचसी भोजपुर,सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र डासना और सीएचसी मोदीनगर में लगाई जाएंगी। जिला क्षय रोग विभाग के पास चार सीबी नाट मशीनें हैं। इन मशीनों से जिला एमएमजी अस्पताल स्थित क्षय रोग विभाग, संजयनगर स्थित संयुक्त जिला अस्पताल, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मुरादनगर और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लोनी में टीबी की जांच की जा रही हैं। जिले में करीब चार हजार टीबी के सक्रिय मरीज हैं। संदिग्धों की संख्या दस हजार से अधिक है।

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सीटी स्कैन मशीन हुई खराब:

जिला एमएमजी अस्पताल में दस साल पहले लगाई गई सीटी स्कैन मशीन खराब हो गई है। अफसर इसे ठीक कराने के बजाय नई मशीन खरीदने का विचार कर रहे हैं। सीएमएस डॉ. अनुराग भार्गव का कहना है कि मशीन पुरानी हो गई है। बार-बार ठीक कराने पर दस लाख रुपये का खर्चा हो चुका है। मशीन की कीमत 22 लाख है। मशीन खराब होने से सामान्य के साथ ही गंभीर मरीजों का सीटी स्केन बाहर से कराना पड़ रहा है।

कोरोना काल में टीबी के संदिग्ध मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। अब तक कोरोना संक्रमित 17 हजार के सापेक्ष 16 हजार से अधिक स्वस्थ होने के बाद भी खांसी और सांस लेने में परेशानी से जूझ रहे हैं। एक महीने पहले ऐसे नौ हजार व्यक्तियों की टीबी की जांच करने में एक दर्जन की रिपोर्ट पाजिटिव आई थी। इनका उपचार किया जा रहा है। शेष स्वस्थ होने वालों की जांच के लिए अतिरिक्त ट्रूनेट मशीन मांगी गई थी, जो आवंटित हो गई हैं।

-डॉ. जे पी श्रीवास्तव, जिला क्षय रोग अधिकारी


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