जेल से छूटकर सीधे यूपी गेट पहुंचे किसान
अवनीश मिश्र साहिबाबाद किसान आंदोलन के चौथे दिन मंगलवार को यूपी गेट पर किसानों की तादाद
अवनीश मिश्र, साहिबाबाद : किसान आंदोलन के चौथे दिन मंगलवार को यूपी गेट पर किसानों की तादाद अधिक रही। उत्तराखंड, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों से किसान ट्रैक्टर-ट्राली, ट्रेन व अन्य वाहनों से आंदोलन में शामिल होने पहुंचे। आंदोलन को लेकर सलाखों के पीछे भेजे गए किसान भी जेल से छूटकर सीधे यूपी गेट पहुंचे और अपनी आवाज बुलंद की।
हरियाणा से पहुंचे किसानों ने कहा कि आंदोलन से सरकार डरी है। डर के कारण ही सरकार ने 22 नवंबर को हरियाणा में सैकड़ों किसानों को जेल भेज दिया था। वह लोग जेल से छूटकर मंगलवार को सीधे यहां आए हैं। उन्होंने कहा कि जब तक किसान दुखी रहेगा। धरती पर तूफान रहेगा। वहीं, राष्ट्रीय प्रेस प्रभारी शमशेर सिंह राणा ने कहा कि उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड में किसानों को प्रशासन ने गिरफ्तार करा लिया था। वह सब छूटकर आंदोलन में शामिल हो रहे हैं। मंगलवार को बड़ी संख्या में किसान आंदोलन में शामिल हुए।
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सतर्क रही पुलिस : मंगलवार को किसानों की संख्या अधिक रही। पुलिस की मानें, तो मंगलवार को नौ सौ से एक हजार किसान आंदोलन में शामिल रहे। इसके पहले सोमवार को करीब छह सौ किसान थे। भाकियू नेताओं का कहना है कि बुधवार को किसानों की संख्या और अधिक बढ़ेगी। किसानों की संख्या बढ़ने पर पुलिस प्रशसान भी सतर्क रहा।
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अधिकारियों ने रखी नजर : मंगलवार को अपर जिलाधिकारी नगर शैलेंद्र सिंह, पुलिस अधीक्षक नगर द्वितीय ज्ञानेंद्र सिंह, पुलिस क्षेत्राधिकारी इंदिरापुरम अंशु जैन ने आंदोलन पर कड़ी नजर रखी। कई बार अधिकारी किसानों के बीच में गए। चंद्रशेखर आजाद व पप्पू यादव जब पहुंचे, तो किसी भी टकराव की स्थिति से बचने के लिए पुलिस व प्रशासन के अधिकारी खुद उनके बीच पहुंच गए, हालांकि ऐसी कोई स्थिति नहीं बनी। वहीं, दिल्ली की पुलिस ने भी आंदोलन पर पैनी नजर रखी। ज्ञानेंद्र सिंह ने कहा कि सुरक्षा के सारे इंतजाम किए गए हैं। किसी तरह की ढिलाई नहीं बरती जा रही है।
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टूटे नियम : मंगलवार रात करीब साढ़े नौ बजे कुछ लोग यूपी गेट पर कंबल बांटने पहुंचे। इस दौरान किसानों के बीच कुछ बाहरी लोग भी आ गए। कंबल लेने के दौरान धक्का-मुक्की हुई। शारीरिक दूरी के नियम टूटे।
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यह कृषि कानून किसानों के हित में नहीं है। किसान पहले से ही परेशान हैं, इस कानून से किसान बर्बाद हो जाएगा।
- राजन, किसान, बुलंदशहर
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जब तक सरकार हमारी मांग पूरी नहीं करती, हम डटे रहेंगे। हम कमजोर नहीं हैं। हम किसी के बहकावे में आकर आंदोलन नहीं कर रहे हैं। - तेजपाल, किसान, सहारनपुर
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यह सरकार हमारे आंदोलन को रोक नहीं पाएगी। हम किसानों के हक की लड़ाई लड़ रहे रहे हैं। यह कृषि कानून नहीं, किसान विरोधी कानून है। - राम अवतार शर्मा, किसान, शाहजहांपुर
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यदि हमारी मांगे नहीं मानी जाती हो हम दिल्ली की खाद्य आपूर्ति बाधित कर देंगे। किसानों की फसल का न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारित किया जाना चाहिए। - सफीक, बुलंदशहर