अंगीठी जलाकर सोया था परिवार, सास के फोन ने बचाई चार जिदगी
जागरण संवाददाता गाजियाबाद सर्दियां शुरू होते ही कमरे में अंगीठी जलाने से होने वाले हादसों की शुरुआत हो गई है। नगर कोतवाली के सिविल लाइन चौकी क्षेत्र में शुक्रवार रात दंपती अपने दो बच्चों के साथ कमरे में अंगीठी जलाकर सो गए थे।
जागरण संवाददाता, गाजियाबाद: सर्दियां शुरू होते ही कमरे में अंगीठी जलाने से होने वाले हादसों की शुरुआत हो गई है। नगर कोतवाली के सिविल लाइन चौकी क्षेत्र में शुक्रवार रात दंपती अपने दो बच्चों के साथ कमरे में अंगीठी जलाकर सो गए थे। गनीमत थी कि युवक की सास ने उनके दोस्त को फोन कर बात कराने को कहा और दोस्त पहुंचा तो चारों कमरे में अचेत मिले। सूचना पर पहुंची यूपी-112 की पीआरवी ने चारों को तुरंत एमएमजी अस्पताल पहुंचाया। तुरंत इलाज मिलने से चारों की जान बच गई। दिसंबर 2018 में हरसांव निवासी मनीष और उनकी मां संतोष की भी इसी तरह दम घुटने से मौत हो गई थी।
गालंद के मूल निवासी कालू गौतम हिद नगर कालोनी में किराए के मकान में रहते हैं। परिवार में पत्नी चंचल, 13 वर्षीय बेटी कशिश और पांच माह का बेटा काव्यांश है। कालू ने बताया कि एलपीजी सिलिडर खत्म होने के कारण पत्नी ने शुक्रवार शाम अंगीठी जलाकर खाना बनाया। खाने के बाद कमरे में ही अंगीठी रखकर सभी लेट गए। साढ़े आठ बजे बेटा रोया तो चंचल ने कशिश को दूध गर्म करने के लिए कहा। कशिश अंगीठी के पास पहुंची और गिर पड़ी। इसी बीच अचानक चंचल दम घुटने से लेटे-लेटे ही रोने लगी। गेट खटखटाने की आवाज पर कालू उठे और कुंडी खोलते ही वह भी गिर पड़े। गेट पर कालू के दोस्त नेमपाल खड़े थे। उन्होंने अंदर का हाल देख आसपास के लोगों को बुलाकर पुलिस को सूचना दी। नेमपाल ने बताया कि कालू का फोन खराब है। उसकी सास ने नेमपाल को फोन कर कालू से बात कराने को कहा था। इसीलिए वह फोन लेकर यहां आए थे।
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जहर खाई हालत बता हायर सेंटर रेफर किया
सिविल लाइन चौकी प्रभारी शिशुपाल सोलंकी ने बताया कि सूचना मिलते ही चारों को एमएमजी अस्पताल में भर्ती कराया गया। यहां प्राथमिक उपचार मिलने के बाद चारों की हालत सामान्य हो गई, लेकिन चिकित्सक ने चारों को जहर खाई हालत में बताकर हायर सेंटर रेफर कर दिया। चारों को दिल्ली स्थित जीटीबी ले जाया गया, जहां चिकित्सकों ने जांच में जहर से इन्कार कर दिया। हालत खतरे से बताकर आधी रात के बाद डेढ़ बजे जीटीबी से छुट्टी दे दी गई।