संघर्ष की आंधी में जलाया शिक्षा का दीपक
विजयभूषण त्यागी मोदीनगर मात्र आठ दिन की उम्र में अपनी आंखों की रोशनी खो देने वाले सचिन कुमा
विजयभूषण त्यागी, मोदीनगर
मात्र आठ दिन की उम्र में अपनी आंखों की रोशनी खो देने वाले सचिन कुमार को शिक्षा के लिए कदम-2 पर संघर्ष करना पड़ा। मगर कई समस्याओं के बाद भी सचिन ने हार नहीं मानी और अपने बल पर शिक्षा हासिल की और शिक्षक का पद हासिल किया। वर्तमान में सचिन कुमार बुलंदशहर के गुलवाठी क्षेत्र स्थित प्राथमिक विद्यालय में कार्यरत हैं। सचिन के अनुभवों और संघर्ष की कहानी से उनके छात्र भी प्रेरणा प्राप्त करते हैं। आंखें खोने के अलावा सचिन का पारिवारिक जीवन भी कठिनाइयों से भरपूर रहा। 14 वर्ष की आयु में पिता का साया छिन गया तो मां विरेंद्री देवी ने छोटी सी परचून की दुकान के सहारे परिवार का पालन किया, मगर सचिन की शिक्षा को बाधित नहीं होने दिया। मां के संघर्ष के परिणामस्वरूप सचिन ने 2005 में इंटर की परीक्षा विशेष योग्यता के साथ पास की और मोदीनगर के एमएमपीजी डिग्री कॉलेज में प्रवेश लिया। यहां से परास्नातक करने के बाद सचिन ने हापुड़ स्थित डायट से बीटीसी की और 2013 में प्राथमिक शिक्षा विभाग में शिक्षक पद पर नियुक्त हुए।
सचिन कुमार स्कूल के बच्चों को लैपटॉप की सहायता से पढ़ाते हैं। जिस स्कूल में भी सचिन तैनात रहते हैं वहां के बच्चों के साथ अभिभावकों में भी खासे लोकप्रिय रहते हैं। सचिन कुमार के मिलनसार व्यवहार व अनूठी शिक्षण शैली के चलते उनके कार्यकाल के दौरान उनके सभी स्कूलों के छात्रों की संख्या में वृद्धि हुई है। इतना ही नहीं कई बार तो अभिभावक लैपटॉप वाले गुरूजी की मिसाल देकर अपने बच्चों को पढ़ने के लिए प्रेरित करते हैं।