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एक गन्ने से 60 रुपये तक कमाई

अभिषेक सिंह गाजियाबाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसानों की आय दोगुना करने का लक्ष्य बनाया है

By JagranEdited By: Published: Wed, 17 Feb 2021 07:24 PM (IST)Updated: Wed, 17 Feb 2021 07:24 PM (IST)
एक गन्ने से 60 रुपये तक कमाई
एक गन्ने से 60 रुपये तक कमाई

अभिषेक सिंह, गाजियाबाद: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसानों की आय दोगुना करने का लक्ष्य बनाया है। इसके लिए न केवल तीन कृषि कानून बनाए गए बल्कि खेती में नई तकनीक का इस्तेमाल भी शुरू करवाया गया है। जिसका असर मोदीनगर के गांवों में दिखने लगा है। कृषि विभाग के अधिकारियों ने डिडौली, मछरी समेत कई गांवों में महिलाओं को घर में गन्ने के पौधे की नर्सरी तैयार करने की ट्रेनिग दी है। यहां पर पांच माह पहले तक बेरोजगार रहने वाली इन गांवों की सौ से अधिक महिलाएं अब एक गन्ने से 60 रुपये तक कमा रही हैं। अनुमान है कि एक सीजन में एक महिला की लगभग 35 हजार रुपये आय हो जाएगी।

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बडचिप पद्धति: जिला गन्ना अधिकारी ओमप्रकाश ने बताया कि ज्यादातर गन्ने की बोआई फरवरी में की जाती है, लेकिन उस वक्त खेतों में गेहूं की फसल रहती है, जो कि अप्रैल के अंत या मई की शुरूआत तक काटी जाती है। ऐसे में कई बार गेहूं की खेती करने वाला किसान चाहकर भी गन्ने की बोआई नहीं कर पाता है। ऐसा न हो, इसके लिए बडचिप पद्धति से खेती की जा सकती है। बडचिप पद्धति से खेती करने के लिए एक गन्ने से 20 पौधे तक तैयार किए जाते हैं। किसान ये पौधा सीधे अप्रैल माह में खेत में बो सकते हैं। इससे गन्ने की पैदावार में कमी नहीं आएगी। दूसरी तरफ गेहूं भी समय से पहले नहीं काटना पड़ेगा। सीधे अप्रैल में बोआई करने से पानी की खपत 40 फीसद तक कम हो जाएगी। महिलाएं तैयार कर रहीं पौधा

एक गन्ने में औसतन 20 आंख (गांठ) होती है। प्रत्येक आंख से पौधा तैयार करने का कार्य (सीडलिग) स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को दिया जा रहा है। डिडौली, मछरी समेत कई गांवों में महिलाएं अपने घर पर ही नर्सरी बनाकर गन्ने के पौधे तैयार करती हैं। इन महिलाओं से खरीदकर किसान अमूमन चार महीने के पौधे को खेत में बो रहे हैं। ऐसे बढ़ रही आय: आमतौर पर एक गन्ना तौल के हिसाब से औसतन दस रुपये में बिकता है। जबकि महिलाएं इस गन्ने से 20 पौधे तैयार करती हैं। एक पौधे से उनको तीन रुपये मिलते हैं। इनमें से डेढ़ रुपये प्रति पौधे के हिसाब से पौधे की खरीद करने वाले किसान देते हैं और डेढ़ रुपये प्रति पौधे के हिसाब से सरकार द्वारा स्वयं सहायता समूह को दिए जाते हैं। यानी एक गन्ने से 60 रुपये की कमाई स्वयं सहायता समूह की महिलाएं करती हैं। जिसमें से 40 रुपये प्रति गन्ने के हिसाब से उनको बचत हो रही है। दूसरी तरफ किसान पूरा गन्ना शुगर मिल में भेजते है, जिससे उनको आमदनी ज्यादा होती है। किसान अगर चाहें तो खुद घर पर भी पौधे तैयार कर सकते हैं। इसके बाद गन्ने के बचे हुए हिस्से को भी इकट्ठा कर वह बेच सकते हैं।

बयान बडचिप पद्धति से खेती करने पर किसानों को फायदा हो रहा है। बेरोजगार महिलाओं को रोजगार भी मिल रहा है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में गन्ने की खेती ज्यादा होती है, ऐसे में इसका बड़ा असर यहां पर दिखाई देगा। गाजियाबाद में 23 हजार हैक्टेयर भूमि पर गन्ने की खेती की जाती है। नई पद्धति के बारे में किसान जागरूक होंगे तो न उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार होगा, महिलाओं को भी रोजगार मिलेगा। - डॉ. राकेश कुमार, जिला कृषि अधिकारी।

बडचिप पद्धति से मोदीनगर में आठ हैक्टेयर भूमि पर गन्ने की खेती की जा रही है। शासन के निर्देश पर अक्टूबर 2020 से ही इस पद्धति के प्रति किसानों को जागरूक किया जा रहा है। फायदा होने के कारण महिलाएं लगातार जुड़ रही हैं। अब तक दस स्वयं सहायता समूह गन्ने के पौधे तैयार करने के लिए तैयार हो चुके हैं। प्रत्येक स्वयं सहायता समूह में 10-20 महिलाएं शामिल हैं। - ओमप्रकाश, जिला गन्ना अधिकारी ।


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