बूंदा-बांदी से बदला मौसम का मिजाज, बढ़ी सर्दी, कांपे लोग
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फोटो नं.- 2 मोदी-7
-गेहूं, जौ की फसल के लिए फायदेमंद है बूंदाबांदी, तेज बारिश हुई तो मटर, मसूर, सरसों की फसल को होगा नुकसान
जागरण संवाददाता, मोदीनगर : पिछले दो सप्ताह से पड़ रहे कोहरे और दिन में खिल रही हल्की धूप के बीच शनिवार को मौसम का मिजाज बदल गया। दिनभर आसमान में बादल छाए रहे और बूंदा-बांदी भी हुई। इससे सर्दी में और इजाफा हो गया। बूंदाबांदी और बढ़ी सर्दी का गेहूं, जौ, जई की फसल को भारी फायदा बताया जा रहा है। हालांकि, बूंदाबांदी बारिश में तब्दील हुई तो इसका मटर, मसूर, सरसों की फसल को नुकसान भी है।
पिछले दो सप्ताह से रात में कोहरा पड़ रहा है। पाले के साथ गलन भी लगातार बढ़ रही है। इसी बीच शनिवार तड़के मौसम ने करवट बदली और आसमान में बादल छा गए। बूंदाबांदी भी हुई। इसके बाद सर्दी में और इजाफा हो गया। रात के साथ दिन में भी लोगों का घरों से निकलना मुश्किल रहा। जिस तरह से बार-बार बादल अपना रंग बदल रहे थे, उससे लग रहा है कि बूंदाबांदी तक ही मामला सीमित रहने वाला नहीं है। ऐसे में किसानों के लिए यह थोड़ा फायदे और थोड़ा नुकसानदायक साबित हो सकता है।
जानकारों की मानें तो इस समय की बूंदाबांदी का गेहूं, जौ, जई को भारी फायदा होगा। आसमान से पड़ रही फुहारें इन फसलों के लिए किसी खाद या उवर्रक से कम नहीं हैं। सरसों, मटर, मसूर की फसलों को भी बूंदाबांदी का कोई नुकसान नहीं है, लेकिन यदि बारिश होती है तो इसका गेहूं, जौ, जई को छोड़कर अन्य फसलों को भारी नुकसान हो सकता है।
ध्यान रहे कि सरसों की फसल में इस समय फूल आ रहा है। इसके अलावा जिन किसानों ने ईख, आलू या अन्य कोई फसल काटकर गेहूं की हाल फिलहाल में ही बुआई की हैं, उनको भी बारिश का निश्चित रूप से नुकसान होगा। इस बारे में वरिष्ठ कृषि विज्ञानी डॉ. हंसराज सिंह का कहना है कि इस समय की बारिश या बूंदाबांदी का फसलों को फायदा तभी है जब ओले न पड़ें। यदि ओले पड़ेंगे तो सभी फसलों को भारी नुकसान होगा।