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मझधार में खड़े होकर संक्रमितों की नैया पार लगा रहे डॉक्टर

अभिषेक सिंह साहिबाबाद कोरोना न केवल भारत बल्कि विश्व में तूफान की तरह तबाही मचा रहा है

By JagranEdited By: Published: Tue, 30 Jun 2020 06:55 PM (IST)Updated: Tue, 30 Jun 2020 06:55 PM (IST)
मझधार में खड़े होकर संक्रमितों की नैया पार लगा रहे डॉक्टर
मझधार में खड़े होकर संक्रमितों की नैया पार लगा रहे डॉक्टर

अभिषेक सिंह, साहिबाबाद: कोरोना न केवल भारत बल्कि विश्व में तूफान की तरह तबाही मचा रहा है। इसकी चपेट में आने वाले लोगों की रक्षा के लिए धरती के भगवान माने जाने वाले डॉक्टर खुद अपने प्राणों को संकट में डालकर मझधार में खड़े हैं। जिससे की संक्रमितों की नैया पार हो सके और वह सकुशल अपने घर लौट सकें। काफी हद तक उनको सफलता मिल रही है, जिस वजह से कोरोना को हराने के लिए लोगों के अंदर विश्वास बढ़ रहा है। उम्मीद है कि एक दिन यह तूफान पूरी तरह से शांत होगा।

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संक्रमितों के उपचार में लगे डॉक्टरों को जिन परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। उसका अंदाजा बस इस बात से लगाया जा सकता है कि एक बार डॉक्टर ने पीपीई किट पहन ली तो जब तक मरीजों का उपचार करते हैं, उस वक्त तक कुछ खा-पी नहीं सकते। जिससे की उनको शौचालय न जाना पड़े। क्योंकि कोरोना संक्रमित मरीजों के उपचार के दौरान जो पीपीई किट डॉक्टर पहनते हैं। वह आम पीपीई किट से हाई क्वालिटी की होती है, जिसमें हवा तक नहीं घुस सकती है। इसे बार-बार उतारा नहीं जा सकता है। इस पीपीई किट को पहनकर सामान्य से पांच-दस डिग्री सेल्सियस तक तापमान बढ़ जाता है। जिस कारण पसीने की वजह से कपड़े भी गीले हो जाते हैं, इन गीले कपड़ों को ही पहने रखना डॉक्टरों की मजबूरी होती है। जिस वार्ड में संक्रमित मरीज भर्ती होते हैं, वहां कूलर, एसी नहीं बल्कि एक पंखा चलता है। ईएसआइ अस्पताल के नोडल ऑफिसर डॉ. विमल कुमार ने बताया कि अस्पताल में आने वाले ज्यादातर मरीज स्वस्थ होकर अपने घर जा चुके हैं। इनमें बच्चे, बूढ़े और युवा भी शामिल रहे हैं।

कोरोना संक्रमितों का उपचार करने के बाद होटल में क्वारंटाइन हो जाता हूं। परिवार सहारनपुर में रहता है, तीन माह से उनको सिर्फ वीडियो कॉल के जरिये ही देख पा रहा हूं। पीपीई किट पहनने के बाद भूखे-प्यासे रहकर मरीजों की सेवा करते हैं, जिससे की वह जल्द स्वस्थ हो सकें।

- डॉ. रजनीश शर्मा, ईएसआइ अस्पताल परिवार मैं और मेरी पत्नी दोनों डॉक्टर हैं। हमारा तीन साल का बच्चा है। कोरोना संक्रमितों का उपचार करने के कारण मैं अपने बच्चे से दूरी बनाकर रखता हूं। परिवार को मेरी चिता होती है लेकिन वह गर्व भी महसूस करते हैं। मुझे उम्मीद है कि जल्द ही वह दिन आएगा जब कोरोना खत्म हो जाएगा।

- डॉ. विनय सोनी, ईएसआइ अस्पताल


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