जीएसटी रिफंड के आवेदनों में भारी अंतर
जीएसटी के तहत पंजीकृत व्यापारियों के रिफंड के मामले में बड़ी लापरवाही सामने आई है। वाणिज्य कर विभाग द्वारा भेजे गए और जीएसटी पोर्टल पर अंकित डाटा में काफी अंतर है। मुख्यालय द्वारा इसे निस्तारण के समय इस बात का पता लगा है। मामले में गाजियाबाद के दोनों जोन के अपर आयुक्तों को आदेश दिया गया है कि खंडवार रिफंड के मामलों का मिलान करें। इसके बाद ही मुख्यालय को सभी मामले निस्तारण के लिए भेजे जाएं। वाणिज्य कर के अपर आयुक्त, जीएसटी विवेक कुमार द्वारा भेजे गए पत्र में कहा गया है कि रिफंड के मामले विभाग के लिए प्राथमिक हैं। जीएसटी की नई व्यवस्था के तहत व्यापारियों को किसी भी तरह की दिक्कत न हो।
जागरण संवाददाता, गाजियाबाद : जीएसटी के तहत पंजीकृत व्यापारियों के रिफंड के मामले में बड़ी लापरवाही सामने आई है। वाणिज्य कर विभाग द्वारा भेजे गए और जीएसटी पोर्टल पर अंकित डाटा में काफी अंतर है। मुख्यालय द्वारा इसे निस्तारण के समय इस बात का पता लगा है। मामले में गाजियाबाद के दोनों जोन के अपर आयुक्तों को आदेश दिया गया है कि खंडवार रिफंड के मामलों का मिलान करें। इसके बाद ही मुख्यालय को सभी मामले निस्तारण के लिए भेजे जाएं।
वाणिज्य कर के अपर आयुक्त, जीएसटी विवेक कुमार द्वारा भेजे गए पत्र में कहा गया है कि रिफंड के मामले विभाग के लिए प्राथमिक हैं। जीएसटी की नई व्यवस्था के तहत व्यापारियों को किसी भी तरह की दिक्कत न हो। इसीलिए रिफंड के मामले जल्द निस्तारित किए जाने हैं। पूर्व में दिए गए निर्देश के अनुसार मैनुअली प्राप्त प्रार्थना पत्रों को तुरंत और जीएसटी पोर्टल पर मिले रिफंड आवेदनों का भौतिक सत्यापन के बाद निस्तारण किया जाना था। मगर दोनों जोन में रिफंड के लिए मैनुअली प्राप्त आवेदनों को ही मुख्यालय भेजा गया। मुख्यालय से भेजे गए पत्र में कहा गया है कि गाजियाबाद समेत 16 जिलों में पोर्टल पर पड़े आवेदन और विभाग द्वारा मुख्यालय को भेजे गए डाटा में भारी अंतर है। गाजियाबाद में जोन प्रथम द्वारा 720 आवेदनों का 18.10 करोड़ रुपये रिफंड के लिए भेजा गया है, जबकि पोर्टल के मुताबिक 763 मामलों में 22.45 करोड़ रुपये रिफंड किए जाने हैं। जोन द्वितीय द्वारा 17.46 करोड़ रुपये के 623 आवेदन मुख्यालय भेजे गए हैं। वहीं पोर्टल पर 645 मामलों में 17.59 करोड़ रुपये रिफंड होना है। पत्र में कहा गया है कि यह भारी त्रुटि है, जोकि लापरवाही के चलते हुई है। अपर आयुक्त को निर्देश दिए गए हैं कि पोर्टल पर पड़े रिफंड के मामलों में आवेदकों से बात करें। 31 जुलाई तक प्राप्त आवेदनों के डाटा का खंडवार मिलान कर शीघ्र मुख्यालय को भेजे जाएं।