दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे पर भरा गया पांच फीट गहरा गड्ढा
मदन पांचाल गाजियाबाद दैनिक जागरण में खबर प्रकाशित होने के बाद दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे (डीएमई) के चौथे चरण की सर्विस लेन में पांच फीट गहरे गड्ढे को एनएचएआइ के अधिकारियों ने भरवा दिया है। चार स्थानों पर आईं दरारों को भी भर दिया गया है।
मदन पांचाल, गाजियाबाद : दैनिक जागरण में खबर प्रकाशित होने के बाद दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे (डीएमई) के चौथे चरण की सर्विस लेन में पांच फीट गहरे गड्ढे को एनएचएआइ के अधिकारियों ने भरवा दिया है। चार स्थानों पर आईं दरारों को भी भर दिया गया है। वर्षा जल निकासी का इंतजाम भी आनन-फानन में कर दिया गया है। निर्माण के बाद हो रही प्री-मानसून की बारिश को यह प्रोजेक्ट झेल नहीं पा रहा है। बारिश से पिछले एक महीने में 20 से अधिक स्थानों पर दरार और पांच स्थानों पर सड़क धंसी थी, जो अब ठीक कर दी गई है। प्रधानमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट डीएमई में अनेक तकनीकी एवं गुणवत्ता से जुड़ी खामियों को दैनिक जागरण ने प्रमुखता से प्रकाशित किया था। पोल खुलने पर बनाए होल : ड्रेनेज सिस्टम ठीक न किए जाने पर सड़क धंस रही हैं, तो दरारें भी आ रही हैं। पोल खुलने के बाद एक्सप्रेस-वे की सर्विस लेन के दोनों तरफ अब एनएचएआइ द्वारा ड्रेनेज सिस्टम को बेहतर बनाने के लिए होल बनाए जा रहे हैं। डासना के पास पांच फीट गहरा सड़क में गड्ढा भी ड्रेनेज ठीक न होने की वजह से हुआ है। दूसरे और चौथे चरण के निर्माण पर उठाए सवाल :
यूपी गेट से डासना व डासना से परतापुर तक दूसरे एवं चौथे चरण का निर्माण करने वाली कंपनियां के निर्माण कार्य पर सवाल उठ रहे है। रिटायर्ड इंजीनियर आरपी सिंह और वीके गोयल इस मामले को उठा चुके हैं। दूसरे चरण का निर्माण मैसर्स एप्को चेतक अल्ट्रावे द्वारा किया गया है। इस कंपनी को एनएचएआइ ने 19.38 किलोमीटर लंबा एक्सप्रेस-वे एवं सर्विस लेन बनाने का ठेका दिया था। इसकी लागत 1,989 करोड़ रुपये है। सुरक्षा सलाहाकार कंपनी एलमोंडज ग्लोबल इंफ्रास्ट्रक्चर कंसलटेंट है। बता दें कि 1,087 करोड़ की लागत वाले चौथे चरण का निर्माण मैसर्स जीआर इन्फ्राप्रोजेक्ट द्वारा किया गया है। 31.770 किलोमीटर लंबी सड़क के निर्माण के लिए सुरक्षा सलाहाकार के रूप में कैमिन कनेप्सन कंपनी कार्यरत है।
वर्जन..
दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे की सर्विस लेन में हुए गड्ढे को निर्माण कंपनी द्वारा भर दिया गया है। दरारों को भी भरवा दिया गया है। ड्रेनेज सिस्टम को ठीक करने के लिए होल कर दिए गए हैं। महरौली के पास अंडरपास की दीवार एवं सर्विस लेन के बीच आई दरार को भी ठीक कर दिया गया है। निर्माण कंपनी की अगले 15 साल तक रखरखाव की जिम्मेदारी है।
- मुदित गर्ग, परियोजना निदेशक, एनएचएआइ