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दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे पर बरती जा रही लापरवाही पड़ सकती है भारी

वहीं बेलगाम आटो चालक जहां कट मिलता है वहीं से आटो दौड़ा देते हैं। एनएचएआइ वाहन चालक व आटो चालकों की यह लापरवाही कभी भी बड़े हादसे का कारण बन सकती है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 06 Nov 2020 06:52 PM (IST)Updated: Fri, 06 Nov 2020 06:52 PM (IST)
दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे पर बरती जा रही लापरवाही पड़ सकती है भारी
दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे पर बरती जा रही लापरवाही पड़ सकती है भारी

जागरण संवाददाता, गाजियाबाद : भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआइ) ने आधी-अधूरी तैयारियों के साथ दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे विजयनगर से यूपी गेट तक खोल दिया है, लेकिन रोज कुछ न कुछ काम किए जाने के चलते मार्ग में परिवर्तन होता रहता है। कभी दिल्ली जाने वाला ट्रैफिक मेरठ की तरफ आने वाले मार्ग की तरफ दौड़ा दिया जाता है तो कभी मेरठ की तरफ आने वाला ट्रैफिक दिल्ली की तरफ जाने वाले मार्ग पर दौड़ा दिया जाता है। इसके अलावा कई जगह साइन बोर्ड भी नहीं लगाए गए हैं। इसके कारण वाहन चालक राह भटककर एक्सप्रेस-वे की बीच वाली लेन पर चढ़ जाते हैं। थोड़ा आगे जाकर उन्हें राह भटकने का एहसास होता है तो नियमों को ताख पर रखकर वाहन चालक बीच वाली लेन पर ही वाहन मोड़कर विपरीत दिशा में वापस आते हैं। वहीं बेलगाम आटो चालक जहां कट मिलता है, वहीं से आटो दौड़ा देते हैं। एनएचएआइ, वाहन चालक व आटो चालकों की यह लापरवाही कभी भी बड़े हादसे का कारण बन सकती है। छह किमी. के फेर से बचने को विपरीत दिशा में वाहन दौड़ाते हैं लोग

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दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे पर दिल्ली की तरफ जाते वक्त हरनंदी पुल के आसपास साइन बोर्ड नहीं लगाए गए हैं। इसके चलते नोएडा, खोड़ा की तरफ जाने वाले वाहन छिजारसी कट से पहले ही एक्सप्रेस-वे की बीच वाली लेन पर चढ़ जाते हैं। यहां से बीच वाली लेन में चढ़ने के बाद वाहन यूपी गेट के पास ही साइड वाली लेन में आ सकते हैं। ऐसे में छिजारसी कट के पास राह भटककर बीच वाली लेन में चढ़कर छह किमी. का चक्कर लगाकर वापस आना पड़ता है, इसीलिए राह भटके ज्यादातर लोग विपरीत दिशा में वाहन दौड़ाते हैं। बीच वाली लेन में वाहनों के विपरीत दिशा में आने तक चलते कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है। कहीं से भी आटो मोड़ देते हैं चालक

दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे पर आटो चालक सबसे बड़ा सिर दर्द बने हैं। विजयनगर बाईपास से छिजारसी तक तीन अवैध कट हैं। आटो चालकों को जहां भी थोड़ी सी जगह मिलती है, बस वहीं से आटो मोड़ देते हैं। एक्सप्रेस-वे पर आटो कभी भी विपरीत दिशा में दौड़ते व सड़क के बीचोंबीच रोककर सवारियां बैठाते व उतारते देखे जा सकते हैं। बीच वाली लेन में आ जाते हैं प्रतिबंधित वाहन, कोई नहीं रोकता-टोकता

दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे की बीच वाली लेन पर साईकिल, बाइक, भैंसा बुग्गी व ठेली प्रतिबंधित हैं, लेकिन लोग इन्हें लेकर एक्सप्रेस-वे की बीच वाली लेन पर चढ़ जाते हैं। इसके अलावा जुगाड़ वाहन जिनका संचालक ही प्रतिबंधित हैं। वह भी एक्सप्रेस-वे की बीच वाली लेन पर धड़ल्ले से दौड़ते हुए देखते जा सकते हैं, लेकिन ट्रैफिक पुलिस मूक दर्शक बनी रहती हैं। - क्या बोले लोग -

मैं रोजाना नोएडा जाता हूं। आटो चालक विपरीत दिशा में दौड़ाते हैं, जिस कारण यात्रा करते हुए डर भी लगता है। आटो चालक ट्रैफिक पुलिस वालों के सामने से ही विपरीत दिशा से आटो ले जाते हैं, लेकिन उन्हें कोई नहीं रोकता है।

- हेमंत। छात्र छिजारसी कट से पहले साइन बोर्ड न होने के कारण लोग गलती से बीच वाली लेन में चढ़ जाते हैं। बाद में नियमों को तोड़कर वापस लाते हैं। यह पूरी तरह गलत है। इस कारण कभी भी हादसा हो सकता है। एनएचएआइ को तत्काल साइन बोर्ड लगवाने चाहिएं।

- बिलाल। व्यापारी आटो चालकों को जहां भी छोटा सा कट दिख जाएं, वहीं से आटो मोड़ देते हैं। ऐसा कर वह अपने साथ सवारियों की जान भी जोखिम में डालते हैं। नियमों को ताख पर रखकर आटो चलाने वाले चालकों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए।

- नीरज कुमार। चालक मैं बुलंदशहर से किसी काम के लिए विजयनगर आया था। साइन बोर्ड नहीं होने के कारण मैं काफी देर से भटक रहा था।

- मूलचंद। बुलंदशहर ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन करने वालों पर कार्रवाई की जाती है। एनएच-9 पर जो वाहन विपरीत दिशा में या नियमों को तोड़कर चल रहे हैं। उन सभी का चालान कराया जाएगा।

- रामानंद कुशवाहा, एसपी ट्रैफिक, गाजियाबाद।

एक्सप्रेस-वे को पूरी तैयारी के साथ खोला गया है। कहां से प्रवेश करना है और कहां से निकलना है, इससे संबंधित साइन बोर्ड आधा किलोमीटर पहले लगाए गए हैं। लगातार एडवाइजरी जारी की जा रही है। फिर भी कुछ लोग गलत दिशा में वाहन चला रहे हैं। कई वाहन चालक महीनों बाद आ रहे हैं और बोर्ड को देखे बिना एक्सप्रेस-वे पर पहुंच रहे हैं। आगे जाने पर उन्हें पता चलता है कि आगे प्रवेश बंद है। ऐसी स्थिति में गलत दिशा में वाहन चलाना पड़ रहा है। इससे हादसों की आशंका बनी हुई है। जल्दी ही यातायात पुलिस के साथ मिलकर इसका समाधान तलाशा जाएगा।

-मुदित गर्ग, परियोजना निदेशक,एनएचएआइ


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