नंदी पार्क में मशीन से गोबर के उपले बनाने लगा निगम
नंदी पार्क में मशीन से उपले बनाने का काम शुरू हो गया है। रोजाना चार टन गोबर से उपले बनाए जाएंगे। इन उपलों की आपूर्ति श्मशान घाट में की जाएगी। 60 हजार रुपये में मशीन खरीदी गई है।
जागरण संवाददाता, गाजियाबाद : नंदी पार्क में मशीन से उपले बनाने का काम शुरू हो गया है। रोजाना चार टन गोबर से उपले बनाए जाएंगे। इन उपलों की आपूर्ति श्मशान घाट में की जाएगी। 60 हजार रुपये में मशीन खरीदी गई है।
हिडन एलिवेटेड रोड के पास नंदी पार्क बना हुआ है। इसमें 1500 गोवंश हैं। यहां रोजाना चार टन गोबर इकट्ठा होता है। इसका निस्तारण नगर निगम के लिए सिरदर्द बना हुआ था। गोबर का पूर्ण निस्तारण नहीं हो पा रहा था। इस समस्या को देखते हुए गोबर से उपले बनाने योजना तैयार की गई थी। हिडन घाट समेत शहर के विभिन्न इलाकों में बने श्मशान घाट में अंतिम संस्कार के लिए उपलों की जरूरत होती है। नगर निगम ने तय किया था कि नंदी पार्क में उपले बनाने के लिए मशीन लगाई जाएगी। अब इस मशीन को लगा दिया गया है। जिसमें उपले बनने शुरू हो गए हैं। यहां बने उपले श्मशान घाट में भेजे जाएंगे। उपले बिकने से आय होगी, जिसे गोवंशों के पालन-पोषण में इस्तेमाल किया जाएगा। शहर में ढाई हजार डेयरी
शहर के हर मुहल्ले में डेयरी है। करीब ढाई हजार डेयरी से गोबर निकलता है। डेयरी संचालक उसे जहां-तहां खाली प्लॉट में डाल देते हैं। उससे मच्छर, मक्खी और बीमारी फैलने वाले कीटाणु पनपने लगते हैं। नगर निगम ने कई साल पहले डेयरियों का गोबर एक जगह इकट्ठा करने के लिए गोबर बैंक बनाए थे। लेकिन गोबर निस्तारण की ठोस योजना न होने के कारण यह बैंक बेकार हो गए। नगर निगम योजना बना रहा है कि नंदी पार्क में मशीन के जरिए गोबर के उपले बनाने में सफलता मिलती है, तो डेयरियों का गोबर इकट्ठा करने के लिए दोबारा से गोबर बैंक बनाए जाएंगे। उस गोबर से भी उपले बनाए जाएंगे। नंदी पार्क में रोजाना गोवंशों का चार टन गोबर इकट्ठा होता है। उसके निस्तारण के लिए उपले बनाने वाली मशीन स्थापित कराई गई है। इन उपलों की आपूर्ति श्मशान घाटों में की जाएगी।
- डॉ. अनुज कुमार सिंह, पशु चिकित्सा एवं कल्याण अधिकारी, नगर निगम