चीन के फूजी को बाय-बाय, ऑस्ट्रेलिया-न्यूजीलैंड के सेब भाए
अभिषेक सिंह साहिबाबाद वास्तविक नियंत्रण रेखा(एलएसी) पर भारतीय सैनिकों के साथ हुए विवाद की
अभिषेक सिंह, साहिबाबाद: वास्तविक नियंत्रण रेखा(एलएसी) पर भारतीय सैनिकों के साथ हुए विवाद की मार चीन पर चारो ओर से पड़ रही है। जहां व्यापारियों ने पूरे देश में चीनी सामान का बहिष्कार कर दिया है वहीं फल-सब्जी मंडी तक में चीन से आने वाले फलों को आढ़तियों ने बॉय-बॉय कर दिया है। यही हाल हर साल चीन से आयात होने वाले सेब (फूजी) का है, जिसे मंगाना आढ़तियों ने बंद कर दिया है। चीन के सेब की खरीद कम कर आढ़ती ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका और न्यूजीलैंड से सेब मंगवा रहे हैं। साहिबाबाद स्थित नवीन फल एवं सब्जी मंडी में लंबे समय से फलों को थोक में बेचने वाले आढ़ती उमर कुरैशी ने बताया कि भारत में सेब की सबसे ज्यादा पैदावार हिमाचल प्रदेश, शिमला, कुल्लू, कश्मीर में होती है। मुख्य तौर पर जुलाई से लेकर अक्टूबर तक सेब की पैदावार होती है। उसके बाद नवंबर से लेकर मार्च माह तक स्टोर किया गया सेब बेचा जाता है। पैदावार न होने के कारण अप्रैल से जून तक सेब की आवक कम रहती है, इस वजह से इन दिनों सेब के रेट भी ज्यादा हो जाते हैं। आपूर्ति के लिए विदेश से भी सेब मंगाने पड़ते हैं। विदेश से आने वाले सेब में चीन के सेब की ज्यादा मांग रहती है। लेकिन एलएसी पर तनाव उत्पन्न होने के कारण इस सीजन में चीन के फूजी सेब का कारोबार सिमटता जा रहा है। आढ़ती अब आस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, वाशिगटन से सेब मंगवा कर बेच रहे हैं। हर साल अप्रैल से जुलाई तक विदेश से करीब सौ टन नवीन फल एवं सब्जी मंडी में मंगाया जाता है। इनमें लगभग 40 टन सेब चीन से मंगाया जाता है, लेकिन अब चीन के सेब की बिक्री लगभग खत्म हो गई है। बाजार में कीमत: आढ़ती उमर कुरैशी ने बताया कि एक सप्ताह से हिमाचल प्रदेश, कुल्लू और शिमला से सेब आना शुरू हो गया है। आढ़ती इस सेब को 140-150 रुपये प्रतिकिलो के दाम पर बेच रहे हैं। बाजार में सेब 200-220 रुपये प्रतिकिलो के दाम पर ग्राहकों को मिल रहा है। फल विक्रेता शिवपाल ने बताया कि ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड से आने वाले सेब 220-300 रुपये प्रतिकिलो के दाम पर बेचे जा रहे हैं। अगले माह से कश्मीर से भी सेब आना शुरू हो जाएगा, जिसके बाद विदेश के सेब की मांग कम हो जाएगी।