वजन काबू कर आयुषी ने तय किया इंडियन क्रिकेट टीम तक का सफर
जागरण संवाददाता गाजियाबाद शहर के विजयनगर निवासी आरके वर्मा की बेटी आयुषी सोनी का भारतीय महिला टी-20 क्रिकेट टीम में चयन हुआ है। दक्षिण अफ्रीका के साथ लखनऊ में होने वाली तीन मैचों की सीरीज के लिए उन्हें 25 सदस्यीय टीम में शामिल किया गया है।
जागरण संवाददाता, गाजियाबाद : शहर के विजयनगर निवासी आरके वर्मा की बेटी आयुषी सोनी का भारतीय महिला टी-20 क्रिकेट टीम में चयन हुआ है। दक्षिण अफ्रीका के साथ लखनऊ में होने वाली तीन मैचों की सीरीज के लिए उन्हें 25 सदस्यीय टीम में शामिल किया गया है। आयुषी ने बड़े भाई यश को क्रिकेट अकादमी जाते हुए देखा, तो अपने पिता आरके वर्मा से क्रिकेट खेलने की इच्छा जताई। पिता ने हामी भरी। बेहतरीन बल्लेबाज के साथ आफ स्पिन गेंदबाजी में उन्होंने खुद को साबित किया, लेकिन बाहरी खाने के शौक से आयुषी का वजन 80 किलो तक पहुंच गया। यह खेल में बाधक बन गया। क्रिकेट के जुनून के आगे खाने पर लगाम लगाते हुए जी-तोड़ मेहनत की और पूरे 20 किलो वजन कम किया। वह खुद को साबित करने के लिए लखनऊ रवाना हो गई हैं। दैनिक जागरण के शाहनवाज अली ने गली क्रिकेट से भारतीय महिला क्रिकेट टीम तक के सफर पर उनसे बात की। प्रस्तुत हैं प्रमुख अंश.. सवाल : क्रिकेट ही क्यों चुना और किस उम्र से आपने क्रिकेट का ककहरा सीखना शुरू किया।
जवाब : मेरा बड़ा भाई यश अकादमी में क्रिकेट सीखने जाता था। तब मुझे नहीं पता था कि क्रिकेट क्या है, लेकिन एक दिन मैंने पापा से खेलने की इच्छा जताई, तो वह राजी हो गए। उन्होंने मुझे पहले प्रताप विहार स्थित एक अकादमी में भेजा। पिता के अलावा परिवार ने भरपूर साथ दिया। सवाल : इस बीच आपका वजन भी काफी बढ़ गया था। खेल के बीच यह कैसा अनुभव रहा।
जवाब : दरअसल, पूरे परिवार को ही खाने का बेहद शौक है। मैं भी आखिर उसी परिवार का हिस्सा थी। बाहरी खाने के शौक से मेरा वजन 18 की उम्र में 80 किलो तक पहुंच गया, जो खेल में बाधक बनने लगा। कड़ी मेहनत व खान-पान पर लगाम लगाई। करीब छह माह में 20 किलो वजन कम किया। यह एक इम्तिहान की तरह था, जिसका नतीजा बेहतर निकला। सवाल : दिल्ली नेशनल स्टेडियम के साथ घरेलू क्रिकेट का क्या अनुभव रहा।
जवाब : राजनगर अकादमी के बाद दिल्ली नेशनल स्टेडियम में क्रिकेट की संभावनाएं दिखाई दीं। मैंने अंडर-19 चयन के लिए चयन ट्रायल दिया। अंडर-19 टीम का हिस्सा बनी, लेकिन खेलने का मौका नहीं मिल सका। डीडीसीए की ओर से अंडर-19 क्रिकेट में बल्लेबाजी में आगे जाने से लेकर अंडर-23 टीम की कप्तान बनने तक हर कदम पर सहयोग मिला। सवाल : इंडिया बी टीम कप्तान के रूप में ट्राफी जीतने का कैसा अनुभव रहा।
जवाब : अंडर-23 की इंडिया बी टीम की कप्तानी मिली। पहले मैच में ही मैने आखिरी बाल पर छक्का मारा था, जिससे हमारी टीम मैच जीत गई थी। अपने पहले ही मैच में जीत का छक्का लगाना जिदगीभर याद रहेगा। इसके बाद हमारी इंडिया बी टीम ने ट्राफी जीत ली। यह मेरे जीवन का ऐतिहासिक पल था। सवाल : क्रिकेट के साथ अपनी दिनचर्या का कैसे संतुलन बनाया।
जवाब : मैंने 10वीं कक्षा तक हफ्ते में तीन दिन स्कूल जाने और बाकी तीन दिन क्रिकेट का अभ्यास करने की शुरुआत की थी। 10वीं के बाद स्कूल में बात की और फिर स्कूल नहीं जाना पड़ा। मैंने अपना पूरा ध्यान क्रिकेट पर ही केंद्रित किया। इसका नतीजा सामने आ रहा है।