एक पैर पर फुटबाल उछाल कर आकाश ने बनाया एशिया रिकार्ड
संवाद सहयोगी लोनी ट्रानिका सिटी क्षेत्र की जैन कालोनी में रहने वाले आकाश भटनागर ने फुट
संवाद सहयोगी, लोनी: ट्रानिका सिटी क्षेत्र की जैन कालोनी में रहने वाले आकाश भटनागर ने फुटबाल जगल्स( एक पैर पर फुटबाल उछालना) में एशिया रिकार्ड बनाकर क्षेत्र का नाम रोशन किया है। एक मिनट में 182 जगल्स करने पर एशिया बुक आफ रिकार्ड ने उन्हें ग्रैंड मास्टर के खिताब से नवाजा है। इससे पूर्व वह इंडिया बुक आफ रिकार्ड में भी अपना नाम दर्ज करा चुके हैं। उनकी इस उपलब्धि से स्वजन में खुशी का माहौल है।
मूलरूप से हरियाणा रोहतक के आकाश भटनागर दिल्ली यूनिवर्सिटी के इंदिरा गांधी इंस्टीट्यूट आफ फिजिकल एजुकेशन एंड स्पोर्ट्स साइंस के तृतीय वर्ष के छात्र हैं। उनके पिता मनोज कुमार भारतीय वायु सेना में बतौर सार्जेट के पद से सेवानिवृत्त हुए थे, वह अब तीस हजारी कोर्ट में कार्यरत हैं। जबकि मां सविता भटनागर गृहणी हैं। आकाश ने बताया कि उनका जन्म गुजरात के भुज में 20 फरवरी वर्ष 2000 को हुआ था। उन्होंने मुंबई और दिल्ली के केंद्रीय विद्यालय में शिक्षा प्राप्त की। उन्होंने बताया कि बड़े भाई सन्नी भटनागर के प्रोत्साहन पर उन्होंने सातवीं कक्षा में स्पोर्ट्स का विषय लिया। पढ़ाई के साथ-साथ उन्होंने फुटबाल को अपनी दैनिक क्रिया में शामिल कर लिया। वह उत्तराखंड नाइट्स फुटबाल क्लब की ओर से प्रीमियर लीग इंडिया टूर्नामेंट और रियल स्पोर्ट्स एकेडमी की ओर से इंडियन लीग अंडर-18 टूर्नामेंट खेल चुके हैं। इसके साथ ही वह दिल्ली पूसा रोड स्थित स्प्रिंग डेल पब्लिक स्कूल में फुटबाल के कोच रह चुके है। रिकार्ड बनाने का आया विचार: उन्होंने बताया कि लाकडाउन के दौरान घर से बाहर न निकल पाने पर उनके मन में फुटबाल जगल्स में रिकार्ड बनाने का विचार आया। जिसके लिए उन्होंने दिन रात कठिन परिश्रम किया। 23 अक्टूबर को उन्होंने आनलाइन वीडियो अपलोड किया। जिसमें उन्होंने सीधे पैर से एक मिनट में 182 जगल्स, तीस सेकेंड में 95 जगल्स और तीस सेकेंड में दोनों पैरों से 74 जगल्स किए। जिस पर 08 सितंबर वर्ष 2020 में उन्हें इंडिया बुक आफ रिकार्ड में नाम दर्ज कराया। इसके बाद अलग दिन नौ सितंबर को एशिया बुक आफ रिकार्ड द्वारा उन्हें ग्रैंड मास्टर के खिताब से नवाजा गया।
पिता के सपने का किया पूरा: दादी रामकली भटनागर ने बताया कि सबसे छोटे पुत्र मनोज को बचपन में कबड्डी खेलने का शौक था। लेकिन वायुसेना में नौकरी और शादी के बाद उनका सपना अधूरा रह गया था। बेटे के सपने को पोते आकाश ने एशिया बुक आफ रिकार्ड में नाम दर्ज कराकर पुरा किया है।
बच्चों की मदद के लिए बनाया एनजीओ: आकाश ने बताया कि वह एनजीओ के साथियों के साथ स्कूलों में जाकर बच्चों को स्पोर्ट्स के प्रति जागरूक कर उनके कैरियर बनाने के बारे में चर्चा करते हैं। उन्होंने बताया कि एनजीओ की ओर से वर्ष 2019 में वह बच्चों की प्रतियोगिता आयोजित करा चुके हैं