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संशोधित---लक्ष्य ने कपड़े इस्त्री करने वाले के नाम पर उठाया था चार करोड़ का ऋण

जागरण संवाददाता गाजियाबाद ऋण माफिया लक्ष्य तंवर ने अपने इस काले धंधे में पांच हजार रुपये की नौकरी करने वाले से लेकर हर स्तर तक के व्यक्ति को मोहरा बनाकर फायदा उठाया। अपनों को भी उसने नहीं बख्शा और उनके नाम रजिस्ट्री कराई ऋण पास कराया और ऋण की रकम लेकर भाग गया। यहां तक कि कपड़े इस्त्री करने वाले के नाम पर भी उसने चार लाख रुपये का ऋण उठा लिया था।

By JagranEdited By: Published: Mon, 30 Aug 2021 11:01 PM (IST)Updated: Mon, 30 Aug 2021 11:58 PM (IST)
संशोधित---लक्ष्य ने कपड़े इस्त्री करने वाले के नाम पर उठाया था चार करोड़ का ऋण
संशोधित---लक्ष्य ने कपड़े इस्त्री करने वाले के नाम पर उठाया था चार करोड़ का ऋण

जागरण संवाददाता, गाजियाबाद : ऋण माफिया लक्ष्य तंवर ने अपने इस काले धंधे में पांच हजार रुपये की नौकरी करने वाले से लेकर हर स्तर तक के व्यक्ति को मोहरा बनाकर फायदा उठाया। अपनों को भी उसने नहीं बख्शा और उनके नाम रजिस्ट्री कराई, ऋण पास कराया और ऋण की रकम लेकर भाग गया। यहां तक कि कपड़े इस्त्री करने वाले के नाम पर भी उसने चार करोड़ रुपये का ऋण उठा लिया था। उसकी गिरफ्तारी के बाद एसपी सिटी प्रथम निपुण अग्रवाल ने बताया कि कविनगर के ई ब्लाक में रहने वाले लक्ष्य तंवर, उसके चचेरे चाचा सुनील कुमार व चचेरे भाई शिवम को गिरफ्तार किया है। शिवम ने ही लक्ष्य, उसकी पत्नी प्रियंका, पीएनबी की चंद्रनगर शाखा के मुख्य प्रबंधक रहे उत्कर्ष कुमार व उप प्रबंधक रहे प्रियदर्शनी के खिलाफ बीते साल केस दर्ज कराया था। शिवम का दावा है कि उसके पिता सुनील इस्त्री का काम करते हैं।

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शिवम ने बताया कि एक करोड़ रुपये का बीमा कराने के नाम पर लक्ष्य तंवर ने दिसंबर 2018 में बैंक ले जाकर उनके पिता के नाम से फर्जी खाता खोला व दो-दो करोड़ रुपये के दो ऋण स्वीकृत कराकर पैसे भी निकाल लिए थे। उन्हें बैंक का नोटिस आने पर जानकारी मिली। शिवम का दावा था कि वे लोग इस बारे में कुछ नहीं जानते थे। वहीं पुलिस का कहना है कि लक्ष्य के रजिस्ट्री कराने की जानकारी सुनील को पहले से ही थी। वह फर्जीवाड़े में बराबर का भागीदार रहा। इसीलिए उसे व उसके बेटे को भी गिरफ्तार किया है। लक्ष्य ने जिन दो संपत्तियों की रजिस्ट्री चार करोड़ रुपये में कराई थी, उनकी असल कीमत एक करोड़ रुपये से भी कम थी। अखबार बांटने वाला बना ऋण माफिया : शिवम ने अपनी शिकायत में बताया था कि लक्ष्य तंवर पूर्व में अखबार बांटता था। इसी दौरान बैंक अधिकारियों से दोस्ती की और ऋण माफिया बन गया। लक्ष्य ने पांच-छह साल में न सिर्फ बैंक बल्कि सामाजिक और राजनीतिक लोगों के साथ अधिकारियों का भी संरक्षण हासिल किया। इसी साल दूधेश्वरनाथ मठ मंदिर पर डासना देवी मंदिर के महंत यति नरसिंहानंद के समर्थकों से उसका झगड़ा भी हुआ था। धक्कामुक्की में मीडियाकर्मी का कैमरा भी टूट गया था। चक्रपाणि महाराज ने लक्ष्य तंवर के घर आकर प्रेसवार्ता भी की थी। चक्रपाणि महाराज की अखिल भारत हिदू महासभा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में लक्ष्य तंवर पदाधिकारी भी रहा। सेवानिवृत डीएसपी को भी नहीं छोड़ा : लक्ष्य इतनी सफाई से फर्जीवाड़ा करता था कि नगर कोतवाल रहे सेवानिवृत डीएसपी एलएस मौर्य भी उसके चंगुल में फंस गए। उसके जरिए एलएस मौर्य ने 2012 में 36 लाख रुपये कीमत का तुराबनगर में मकान खरीदा, लेकिन रजिस्ट्री 2015 में कराई। लक्ष्य ने इससे पहले ही जूते की दुकान पर छह हजार रुपये की नौकरी करने वाले कृष्णा के नाम पर रजिस्ट्री करा दी और 70 लाख रुपये का उसके नाम पर ऋण भी स्वीकृत करा दिया। बैंक की टीम नोटिस चस्पा करने आई तो उन्हें फर्जीवाड़े का पता चला।


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