साक्षात्कार: मुलाकात के लिए जेल में लगेंगे 35 इंटर कॉलिग सिस्टम
सप्ताह का साक्षात्कार जेल अधीक्षक विपिन कुमार मिश्र फोटो 33 और 34 इंट्रो जेल अधीक्षक विपिन
सप्ताह का साक्षात्कार : जेल अधीक्षक विपिन कुमार मिश्र फोटो 33 और 34 इंट्रो
जेल अधीक्षक विपिन कुमार मिश्र का जन्म मऊ में हुआ। उनकी कक्षा पांच तक की पढ़ाई मऊ में और 12वीं तक की शिक्षा आजमगढ़ में हुई। उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से ग्रेजुएशन व पोस्ट ग्रेजुएशन की। 2009 में पीसीएस की परीक्षा पास करने के बाद वह जेल अधीक्षक बने। उनकी पहली नियुक्ति महाराजगंज जेल में हुई। इसके बाद वह फतेहगढ़, कानपुर की जेल में जेल अधीक्षक रहे। उन्हें सितंबर 2017 में गौतमबुद्ध नगर व जुलाई 2019 में गाजियाबाद की डासना जेल का अधीक्षक नियुक्त किया गया। अब वह दोनों जेल के अधीक्षक हैं। डासना जेल कई कुख्यात अपराधी और हाई प्रोफाइल लोग बंद हैं। इनको जेल में विशेष सुरक्षा में रखा गया है। हाल में जेल में महिलाओं ने एक दबंग महिला पर सिर की मालिश कराने और अपना काम कराने का आरोप लगाया था। जेल में कैदियों से स्वजनों की मुलाकात भी बंद है। दैनिक जागरण के हसीन शाह ने जेल अधीक्षक विपिन कुमार मिश्र से विस्तार से बातचीत की। प्रस्तुत हैं बातचीत के प्रमुख अंश..। -----
सवाल : आपको गाजियाबाद जेल का अधीक्षक के पद पर नियुक्त हुए एक साल से ज्यादा समय हो गया है। डासना जेल में सुरक्षा व्यवस्था कितनी बड़ी चुनौती है। जवाब : डासना जेल में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम हैं। किसी भी व्यक्ति के जेल में प्रवेश करने से पहले उसकी तीन बार चेकिग की जाती है। कोई भी प्रतिबंधित सामान जेल में नहीं आ सकता है। जेल को सीसीटीवी कैमरों से लैस किया गया है। कोई भी गतिविधि होती है तो मुझे तुरंत पता चल जाता है। सुरक्षाकर्मी 24 घंटे सतर्क रहते हैं।
----- सवाल : कैदियों को कोरोना से बचाना चुनौती है। इसके लिए क्या कदम उठाए गए है?
जवाब: कोरोना का खतरा लगातार बढ़ राह है। मैं इस बीमारी के प्रति बहुत गंभीर हूं। अपराधी जेल में लाने से पहले उसके अस्थाई जेल में ले जाया जाता है। वहां पर कोरोना की जांच होती है। जांच रिपोर्ट के बाद उसे जेल में लाया जाता है। इसके बाद उसे 14 दिन के लिए क्वारंटाइन सेंटर में रखा जाता है। फिर जांच कोरोना की जांच कराई जाती है। रिपोर्ट नेगेटिव आने पर उसे स्थाई जेल में रखा जाता है। कोई भी सामान बाहर से आता है तो उसे दो या तीन दिन बाद कैदियों को दिया जाता है। कैदियों को हाथ धोने और मास्क लगाने के निर्देश दिए गए है। तीसरे दिन बैरक को सैनिटाइज किया जाता है। -----
सवाल : जेल में कैदियों से स्वजनों की मुलाकात बंद है। कैदियों से मुलाकात की प्रक्रिया कब से शुरू होगी ? जवाब : हमने जेल में एक लाउड स्पीकर लगवाया है। इससे बार बार एनाउंसमेंट कर कैदियों को कोरोना के प्रति जागरूक किया जाता है। अभी शासन से मुलाकात करने के कोई निर्देश नहीं मिले हैं। जेल में मुलाकात के लिए 35 इंटर कॉलिग सिस्टम लगवाएं जाएंगे। इससे स्वजन दूर खड़े होकर कैदियों से बात कर सकेंगे। किसी भी कैदी को स्वजन के पास नहीं जाने दिया जाएगा। मुलाकात फोन पर बात करने के लिए 20 मिनट से अधिक का समय नहीं दिया जाएगा।
---- सवाल : जेल में कुख्यात बदमाश और हाईप्रोफाइल कैदियों की सुरक्षा की क्या व्यवस्था है?
जवाब : जेल में आने के बाद हमारे लिए सब बराबर हैं। जिन लोगों को जेल में अन्य कैदियों से सुरक्षा का खतरा रहता है, उन्हें अलग बैरक में रखा गया है। अलग से किसी कैदी को कोई सुविधा नहीं है। सभी को समान भोजन मिलता है। सभी कैदियों को काम करना पड़ता है। कैदी अपना भोजन खुद ही बनाते हैं। कुछ कैदियों को पीपीई किट दी गई है। यदि कोई बीमार हो जाता है तो जेल में डॉक्टर उसका इलाज करते हैं। ----
सवाल : क्या जेल में कैदियों को त्योहार मनाने और मनोरंजन करने की अनुमति दी जाती है। जवाब : हा बिल्कुल। जेल में कैदियों को त्योहार मनाने की अनुमति दी जाती है। मगर वह अपने घर के जैसा त्योहार तो नहीं मना सकते हैं। दीवाली, ईद आदि त्योहारों पर स्वजन भी मिलने के लिए आते हैं। समय-समय पर जेल में विभिन्न प्रकार के सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। कैदी मास्क बना रहे हैं। कैदियों द्वारा बनाए गए मास्क जनपद के विभिन्न गांवों में वितरित कराए गए हैं। जेल में महिलाएं सिलाई करती हैं। जेल में कई कैदी बहुत अच्छी चित्रकारी करती है। उनके चित्रों की प्रदर्शनी लगाई जाती है। इसके अलावा कुछ कैदियों में कविता, शायरी और किताब लिखने का हुनर है। इन कैदियों के हुनर को पूरी तवज्जो दी जाती है।
---- सवाल : कैदियों की शिक्षा और उनके सुधार के लिए क्या कदम उठाए गए हैं?
जवाब : जेल में प्रौढ़ शिक्षा दी जाती है। कैदियों की शिक्षा के लिए शिक्षक की व्यवस्था की गई है। कुछ कैदी पढ़ने बहुत रुचि दिखाते हैं। कैदियों के सुधार के लिए उनकी काउंसलिग की जाती है। कभी कभी जेल के अफसर भी कैदियों को पढ़ाते हैं। कैदियों की कापी-किताब की व्यवस्था कराई जाती है। यूपी बोर्ड में कई कैदियों ने अच्छे नंबर से परीक्षा पास की है।