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खेतों में काम कराने के लिए झारखंड से लाए गए 17 बच्चे मुक्त

ठेकेदार के चंगुल से मुक्त कराए एक दर्जन से अधिक बच्चेठेकेदार के चंगुल से मुक्त कराए एक दर्जन से अधिक बच्चेठेकेदार के चंगुल से मुक्त कराए एक दर्जन से अधिक बच्चेठेकेदार के चंगुल से मुक्त कराए एक दर्जन से अधिक बच्चेठेकेदार के चंगुल से मुक्त कराए एक दर्जन से अधिक बच्चेठेकेदार के चंगुल से मुक्त कराए एक दर्जन से अधिक बच्चेठेकेदार के चंगुल से मुक्त कराए एक दर्जन से अधिक बच्चेठेकेदार के चंगुल से मुक्त कराए एक दर्जन से अधिक बच्चेठेकेदार के चंगुल से मुक्त कराए एक दर्जन से अधिक बच्चेठेकेदार के चंगुल से मुक्त कराए एक दर्जन से अधिक बच्चेठेकेदार के चंगुल से मुक्त कराए एक दर्जन से अधिक बच्चे

By JagranEdited By: Published: Mon, 20 May 2019 10:39 PM (IST)Updated: Mon, 20 May 2019 10:39 PM (IST)
खेतों में काम कराने के लिए झारखंड से लाए गए 17 बच्चे मुक्त
खेतों में काम कराने के लिए झारखंड से लाए गए 17 बच्चे मुक्त

जागरण संवाददाता, मोदीनगर (गाजियाबाद): बाल मजदूरी कराकर दिल्ली रेलवे स्टेशन पर छोड़ने के लिए ले जाए जा रहे झारखंड के बच्चों को सोमवार शाम को पुलिस ने ठेकेदार के चंगुल से मुक्त कराया। कानूनी कार्रवाई किए जाने के चलते बच्चों को फिलहाल चाइल्ड केयर को सौंप दिया गया है। पुलिस ठेकेदार व उसके साथी से पूछताछ कर रही थी। सोमवार शाम को पुलिस को गोपनीय सूचना मिली कि भैंसाली गेट डिपो की रोडवेज बस में एक दर्जन से अधिक बच्चों को मेरठ से दिल्ली ले जाया जा रहा है। बच्चों की उम्र 10 से 15 साल के बीच है। सूचना पाकर सक्रिय हुई पुलिस ने बस को कादराबाद पुलिस चौकी पर रोक लिया। पुलिस ने बच्चों को बस से नीचे उतार लिया और ठेकेदार व उसके सहयोगी को हिरासत में ले लिया। इसी बीच एएसपी बीबीजीटीएस मूर्थि व एसएचओ मोदीनगर संजीव कुमार शर्मा भी पुलिसबल के साथ मौके पर पहुंच गए। ठेकेदार ने पुलिस को पूछताछ में बताया कि वह मुजफ्फरनगर के मंसूरपुर का रहने वाला है। मंसूरपुर के गांव में उसने बच्चों को गेहूं की कटाई के सीजन में झारखंड से बुलवाया था। ठेकेदार ने एक बच्चे को एक माह से अधिक समय की मेहनत की पांच हजार मजदूरी दी थी। बच्चों की जानकारी मिलने पर आशा ज्योति फाउंडेशन की टीम भी कादराबाद पहुंच गई थी। चलता है कमीनखोरी का खेल

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पूछताछ में ठेकदार से पुलिस को पता चला कि जो ठेकेदार बच्चों को छोड़ने के लिए जा रहा था, उसने झारखंड के ठेकेदार से बच्चों को सात हजार प्रतिमाह के हिसाब से तय करके मंसूरपुर बुलवाया था। दो हजार कमीशन दोनों के बीच में बंट रहा था। इतना ही नहीं, मंसूरपुर गांव के जिस व्यक्ति के पास ये बच्चे रह रहे थे, वह उनकी दिनभर की मेहनत के बदले किसान से गेहूं की कटाई 65 किलो प्रतिबीघा के हिसाब से गेहूं लेकर कराता था। ऐसे में साफ है कि बच्चों की मेहनत का आधा हिस्सा भी उन्हें नहीं दिया जा रहा था। जबकि इसमें ठेकेदारों की बल्ले बल्ले हो रही थी। एसएचओ संजीव कुमार शर्मा ने बताया कि जांच में सामने आया है कि गेहूं कटाई, गन्ने की फसल के समय पर झारखंड से बड़ी संख्या में बाल मजदूरों को ये लोग कमीशन पर बुलवाते हैं। उनसे काम कराने के बाद पूरी मजदूरी उनको नहीं दी जाती।

इनका कहना है

बच्चों से पूछताछ की जा रही है। बच्चों को चाइल्ड केयर वालों को सौंपा जा रहा है। ठेकेदार व उसके एक साथी को हिरासत में ले लिया गया है। लिखित में अभी कोई शिकायत पुलिस को नहीं मिली है। जो भी तहरीर आएगी, उसी आधार पर कार्रवाई आगे बढ़ाई जाएगी।

-बीबीजीटीएस मूर्थि, एएसपी, गाजियाबाद।

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