फीरोजाबाद: मुलायम गलीचों के गांवों में 'पथरीली' जिंदगानी
सबसे बड़ी ग्राम पंचायत क्षेत्र के हर गांव में पानी सबसे बड़ा दर्द कई गांवों में सड़कें खराब ग्रामीण अब दो टूक मांगेंगे जवाब।
'जिले का गठन होने के बाद हुए परिसीमन में एटा जिले से बार्डर के 46 गांव फीरोजाबाद में शामिल हुए थे। इनसे सबसे बड़ी पंचायत बनी रामगढ़-उम्मरगढ़। 22 गांवों की इस ग्राम पंचायत में आधा दर्जन गांवों में गलीचे बनाने का कारोबार होता है। यहां बनने वाला गलीचा जितना मुलायम होता है, यहां के रास्ते उतने ही ऊबड़-खाबड़ हैं। हर गांव में पानी की कहानी बिगड़ी नजर आती है। गांवों में दूर-दूर लगे सबमर्सिबल पंप से टंकी में पानी आता है और दिन भर गांव के लोग पानी ढोते नजर आते हैं। चुनाव में मीठे पानी के वादे उम्मीद बंधाते हैं और जीतने वाले फिर लौट कर नहीं आते। 'दैनिक जागरण' की 'इलेक्शन एक्सप्रेस' ने इन गांवों में चुनावी माहौल का जायजा लिया।' संवाद सहयोगी, नारखी : सुबह 11 बजे। ग्राम पंचायत रामगढ़-उम्मरगढ़ में एटा बार्डर का गांव चिलासनी। गांव से पहले ही महिलाएं पानी भर रही हैं। सेंगर नदी के किनारे लगी सरकारी सबमर्सिबल पंप से आ रही पाइप लाइन पर भीड़ लगी है। इन महिलाओं से चुनावी हाल पूछा तो 55 साल की सरोज छूटते ही कहने लगीं-काहे का चुनाव। वोट मांगवे सब आ जात, लेकिन बाद में पानी की पूछवे कोउ न आत। हमन तो पांच साल पेले भी जेई कर रए थे और आज जेई कर रए। हम तो पानी ढोत-ढोत मरें। सरोज की बातें सुन रहीं 58 साल की नसीरन बेगम ने पानी का कलश सिर पर उठाते हुए कहा- देखो भइया ये 22 गांव की प्रधानी वाला गांव है। जां सालन बाद भी पानी को इंतजाम नइया। गांव को पानी जहर सो है। एकई टंकी है जासे पूरी गांव पानी भरत है। 37 साल की महादेवी ने कहा- काहे का चुनाव, गांव में सड़कई नाए। एटा रोड से आओ चाए चौराए सें, हर सड़क पर ठोकरें खाओऐ।
इनसे बातचीत के बाद इलेक्शन एक्सप्रेसरामगढ़ की तरफ मुड़ती है। गांव में घुसते ही घनश्याम के मकान के द्वार पर चौपाल लगी है। 54 वर्षीय राधेश्याम प्रधानी के प्रत्याशियों के बारे में चर्चा कर रहे थे। इस दौरान एक बुजुर्ग ने एक की तरफदारी की तो 48 वर्षीय रमेश सिंह छूटते ही कहने लगे- कुछ नहीं.., हर बार बातों में आ जाते हैं, इस बार जो भी आएगा। चाहे जिला पंचायत का प्रत्याशी हो या फिर प्रधानी का। पहले सड़क की बात करेंगे। टूंडला एटा रोड पर गड्ढे हैं, गांव से गाड़ी नहीं निकल सकती है। विधायक ने पहले टीटीएसपी की टंकी लगाई थी, उससे ही पानी की आपूर्ति हो रही है।
इलेक्शन एक्सप्रेस यहां से लगभग चार किमी दूर सड़क किनारे बसे पहाड़पुर पहुंची। गांव के लोगों ने बताया कि यहां झगड़ा पानी का है। पहले हमारी बाल्टी और हमारा डिब्बा को लेकर रोज झगड़े होते हैं। पांच वर्ष पहले जिला पंचायत सदस्य ने चार किमी दूर से पाइप लाइन डलवा दी थी, लेकिन इस पाइप लाइन से पानी भरने को लेकर भी झगड़े होते हैं। धर्मेंद्र एवं जितेंद्र ने कहा कि सबको वोट की पड़ी है, आम आदमी की समस्या सुनने को कोई तैयार नहीं है। अबकी चुनाव में वोट से हम फैसला करेंगे।
यहां से रामगढ़ गांव पहुंचे तो जानकारी मिली कि यहां के ग्रामीण ठेके पर गलीचा बनाते हैं। घरों में खटके लगे हैं, जिस पर धागों को बुनकर गलीचा बनता है। गलीचा बनाने वाले 30 साल के अहमद हसन ने कहा कि गांव में रोजगार की समस्या नहीं है। मेहनत का पैसा तो मिलता है, लेकिन पानी की गांव में सबसे बड़ी समस्या है। चार किमी लंबी पाइप लाइन से सबमर्सिबल पंप से पानी आता है। जब बिजली न आए तो टंकी भर नहीं पाती। गांव में स्कूल है, लेकिन रास्ते खराब हैं। जनता के प्रतिनिधि जीतने के बाद सुनते नहीं है। हम सब मजबूर है। पंचायत के गांव उम्मरगढ़, लखनई समेत अन्य सभी गांव में विकास नजर नहीं आता और पानी सबसे बड़ी समस्या है।
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---ग्राम पंचायत के प्रमुख गांव---
रामगढ़, उम्मरगढ, बेलनगंज, नगला पार, लखनई, तजापुर, चिलासनी, कसगंजा, कैलाशपुर, ऐरई, रजापुर, जालिमपुर, कुतुकपुर, नगला बीरी सिंह, सिकंदरपुर, नगला गुमानी, गंगोरपुर।
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--एक नजर में--
आबादी : 51000
मतदाता : 15740
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इन गांवों में होता है गलीचों का काम : रामगढ़, उम्मरगढ़, गोधुआ, कनवार, चिलासनी। इत्ते बरस होए गए, कोऊ अबऊ तक पानीऊ नाए पिलाए पाओ। वोट मांगन वालेऊ फिर से द्वार बजावन लागे हैं, मगर इस बार बातन में नाए आवेंगे। पहले लिखवाकर लेगे फिर वोट देंगे।
कंचन सिंह, रामगढ़ हमने तो जबते सुध संवारी है। बा दिन से से गांव में पानी भरन में ही दिन बीतत है। हर घर की औरतें और बच्चन को पानी लावो ही सबसे जरूरी काम है। पता नाए, जा गांव की किस्मत कबऊ बदलेगी या नाय।
राजपाल सिंह, रामगढ़