गांव एरई और भीकनपुर में शौचालयों की तस्वीर बदसूरत
टूंडला, संवाद सहयोगी। नगर के गांव भीकनपुर में स्वच्छ भारत की तस्वीर बदसूरत है। जागरूकता के बाद भी ग्रामीणों ने शौचालयों को प्रयोग में लाने के बजाय उनमें उपले और लकड़ियां भर दी हैं।
संवाद सहयोगी, टूंडला: नगर के गांव भीकनपुर में स्वच्छ भारत की तस्वीर बदसूरत है। जागरूकता और प्रोत्साहन को शुरू हुई स्वच्छ सुंदर शौचालय की प्रतियोगिता का भी यहां कोई असर नहीं है। गांव में बने 70 फीसद शौचालयों में उपले, चारा और लकड़ियां भरी हैं। यहां के लोग आज भी खुले में शौच कर रहे हैं।
स्वच्छ भारत मिशन अभियान के तहत एक जनवरी से शौचालय ब्यूटी कांटेस्ट शुरू हुआ है। इसके तहत अंदर और बाहर से साफ सुथरे शौचालयों का सर्वे होगा। शौचालयों के बाहर रंगाई पुताई और चित्रकारी कराई जा रही है। सबसे सुंदर शौचालय को ब्लॉक और जिला स्तर पर पुरस्कृत किया जाएगा। जागरण ने टूंडला की ग्राम पंचायत भीकनपुर बजहेरा जाकर देखा तो हालात जस के तस नजर आए। शौचालयों पर ताले पड़े थे और लोग हाथ में लोटा लिए खेतों की दौड़ लगा रहे थे।
घर के बाहर काम कर रहीं फूलवती से पूछा तो उनका कहना था कि शौचालय में तो उपले भरे हैं और सब लोग खेत में ही जाते हैं। उपले रखने के कारण और ब्यूटी कांस्टेस्ट के बारे में पूछे जाने पर वह चुप रह गई। गांव में करीब तीन दर्जन से अधिक में केवल एक दर्जन शौचालय ही चालू थे। शेष सभी बंद मिले। एलई गांव में भी लगभग यही स्थिति है। यहां खेत पर बने शौचालय में लकड़ियां भरी हुई थीं। लाभार्थी को मौके पर बुलाया तो उसने बताया कि शौचालय प्रधान ने अपनी मर्जी से बहुत दूर बनवा दिया है। इसलिए वह सभी शौच के लिए खेतों में जाते हैं।
सवाल पूछते ही खाली होने लगे शौचालय: शौचालय के बारे में पड़ताल की खबर लगते ही कई जगह खलबली मच गई। कुछ लोगों ने शौचालयों में रखे सामान को बाहर निकालना भी शुरू कर दिया। जिन गांवों से शौचालय के प्रयोग न होने की सूचना मिलती है, वहां कर्मचारियों के साथ मैं खुद जाता हूं। भीकनपुर में जाकर ग्रामीणों को प्रेरित किया जाएगा। डॉ. नीरज गर्ग, बीडीओ टूंडला