बिलों में हेरीफेरी में ननि के लेखाधिकारी पर गिरी गाज, निलंबित
जागरण संवाददाता फिरोजाबाद नगर निगम में मनमानी और बिलों के भुगतान में फर्जीवाड़े की गाज
जागरण संवाददाता, फिरोजाबाद : नगर निगम में मनमानी और बिलों के भुगतान में फर्जीवाड़े की गाज लेखाधिकारी पर गिर गई। नगरायुक्त की ओर से भेजी गई संस्तुति के बाद लेखाधिकारी राजीव चौधरी को निलंबित कर दिया गया। पिछले साल भी उनके खिलाफ कार्रवाई करते हुए मुख्यालय से संबद्ध किया गया था। जिसके बाद वे हाईकोर्ट का आदेश लाकर दोबारा सीट पर काबिज होने में कामयाब रहे थे।
नगर विकास विभाग के प्रमुख सचिव अमृत अभिजात द्वारा जारी निलंबन आदेश में कहा गया है कि पदीय दायित्वों के निर्वहन में लापरवाही और नगर निगम को आर्थिक क्षति पहुंचाने के साथ-साथ फर्जी तरीके से शिकायत के निस्तारण और अपर नगरायुक्त के साथ अभद्र व गैर अनुशासनिक व्यवहार करने के मामले में निलंबन की कार्रवाई की गई है। निलंबन की अवधि में लेखाधिकारी राजीव चौधरी नगर निकाय निदेशालय से संबद्ध रहेंगे।
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13 फाइलों में इस तरह किया गया था फर्जीवाड़ा
नगर निगम के लेखाधिकारी द्वारा वित्तीय वर्ष 2017-18 की मे. एफके ट्रेडर्स की 13 कुटेशन की पत्रावलियां नगर आयुक्त प्रेरणा शर्मा के समक्ष भुगतान के लिए प्रस्तुत की गई। पूर्व में बिना किसी सूचना के चार साल पुराने कुटेशन की पत्रावली देखकर शक हुआ, इन पत्रावलियों पर तत्कालीन नगरायुक्त विजय कुमार के हस्ताक्षर थे, जो फर्जी प्रतीत हो रहे थे। इस मामले की जांच अपर नगरायुक्त को सौंपी गई। सभी पत्रावलियां विशेष वाहक के द्वारा सहारनपुर में सीडीओ के पद पर कार्यरत तत्कालीन नगरायुक्त विजय कुमार के पास भेजी गई। उन्होंने पत्रावलियां देखने के बाद स्पष्ट किया कि जो हस्ताक्षर हैं, वह उनके नहीं हैं। इसके साथ ही प्रभारी कार्यशाला के हस्ताक्षर भी भिन्न पाए गए। नगरायुक्त प्रेरणा शर्मा ने इस संबंध में एओ राजीव चौधरी से तीन बिंदुओं पर 13 जून तक स्पष्टीकरण तलब किया, लेकिन उनकी तरफ से कोई जवाब नहीं दिया। इसके बाद निलंबन के लिए नगरायुक्त ने संस्तुति भेजी थी। संविदाकर्मियों से थी मिलीभगत, हो चुकी है कार्रवाई
पूर्व नगरायुक्त के फर्जी हस्ताक्षर करके जिन पत्रावलियों को तैयार किया था, वे लेखा विभाग में आउटसोर्सिग के माध्यम से संविदा पर तैनात दो कंप्यूटर आपरेटर की थीं। मामला पकड़े जाने के बाद संविदाकर्मियों को तत्काल हटा दिया गया था। इसके बाद संविदाकर्मियों के पटल बदल दिए गए थे।
जागरण ने प्रमुखता से उठाया था मुद्दा
नगर निगम में लेखाधिकारी और उनके सहयोगी संविदाकर्मियों द्वारा भुगतान के फर्जीवाड़े का मुद्दा दैनिक जागरण ने प्रमुखता से उठाया था। इससे पूर्व के कार्यकाल में तैनाती के दौरान लेखाधिकारी पर भ्रष्टाचार के आरोप साबित हुए थे। उस समय भी जागरण ने खबरें प्रमुखता से प्रकाशित की थीं।