ताले में कैद सरकारी स्वेटर, सर्दी से ठिठुर रहे छात्र
तीस नवंबर तक घरों से स्कूल बुलाकर बांटे जाने थे स्वेटर हजारों स्वेटर अभी भी ब्लाक एवं नगर संसाधन केंद्र के ताले में।
संवाद सहयोगी, फीरोजाबाद: कोरोना काल में आनलाइन चल रही शिक्षा के बीच छात्रों को योजनाओं का लाभ देने के सरकारी दावे सुहाग नगरी में ढेर होते नजर आ रहे हैं। हालत यह है कि दिसंबर की कड़ाके की सर्दी बीतने के बाद अब तक हजारों बच्चों को स्वेटर नहीं दिए गए हैं। तीस नवंबर तक बांटे जाने वाले स्वेटर अब भी ताले में कैद हैं।
कोरोना काल में लाकडाउन के बाद से परिषदीय स्कूलों में छात्र-छात्राओं का आना शुरू नहीं हुआ है। सरकार ने घर पर पढ़ाई कर रहे बच्चों को मिड डे मील की जगह कन्वर्जन कास्ट उनके एकाउंट में भिजवाई। इसी तरह स्वेटर और जूते भी बच्चों को अलग-अलग स्कूल में बुलाकर दिए जाने थे। निश्शुल्क उपलब्ध कराए जाने वाले स्वेटर वितरण के लिए 30 नवंबर की समय सीमा तय की गई थी। बेसिक शिक्षा विभाग इसमें फेल रहा। दिसंबर के पहले सप्ताह से स्वेटर आना शुरू हुए, लेकिन इनका वितरण नहीं हो पाया। सूत्रों के मुताबिक स्कूल पहुंचाए गए स्वेटर साइज के अनुरूप नहीं थे। इसकी शिकायतें भी हुई। हालत यह है कि दस हजार स्वेटर तीन दिन पहले ही जिले में आए हैं। नगर संसाधन केंद्र एवं ब्लाक संसाधन केंद्र के स्टोर में हजारों बच्चों के स्वेटर बंद हैं। कल साल का आखिरी दिन है। स्वेटर बच्चों के पास कब तक पहुंच पाएंगे, कोई नहीं बता पा रहा है।
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प्राथमिक स्कूल- 1232
उच्च प्राथमिक स्कूल- 346
कंपोजिट - 285
छात्र संख्या- 1.65 लाख छोटे-बड़े बांटे स्वेटर, अभिभावक परेशान
बीते वर्ष की तरह इस वर्ष भी बच्चों को छोटे-बड़े स्वेटर बांट दिए गए हैं। अभिभावक स्कूल पहुंच रहे हैं, लेकिन स्कूल में भी साइज के स्वेटर नहीं हैं। शासन स्तर पर हुआ है आपूर्ति का ठेका
दो साल पूर्व तक प्रधानाध्यापक को स्वेटर खरीदने और वितरित करने की जिम्मेवारी दी जाती थी। वे अपने स्तर से खरीद करते थे। इसके बाद से शासन स्तर पर जैम पोर्टल के माध्यम से आपूर्ति का ठेका होता है। इसलिए प्रधानाध्यापक भी कुछ नहीं कर सकते।
सभी छात्र-छात्राओं के लिए स्वेटर आ गए हैं। प्रधानाध्यापक संसाधन केंद्र से स्वेटर उठाकर बांट दें। स्वेटर छोटे-बड़े हैं तो उन्हें बदलकर समस्या का निराकरण कराएं। अधिकारियों के निरीक्षण के दौरान अगर कहीं पर भी स्वेटर वितरण नहीं होने की जानकारी मिली तो संबंधित प्रधानाध्यापक जिम्मेदार होंगे।
- डा. अरविंद पाठक, बीएसए