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ईजी से बन रहा था ¨सथेटिक दूध, एक गिरफ्तार

फीरोजाबाद: दूध के नाम पर पिला रहे थे सर्फ, एका के गांव कताना में एफडीए की कार्रवाई। खाद्य तेल, चीनी और मिल्क पाउडर भी बरामद, 600 लीटर दूध नष्ट कराया।

By JagranEdited By: Published: Thu, 14 Jun 2018 11:32 PM (IST)Updated: Thu, 14 Jun 2018 11:32 PM (IST)
ईजी से बन रहा था ¨सथेटिक दूध, एक गिरफ्तार
ईजी से बन रहा था ¨सथेटिक दूध, एक गिरफ्तार

जागरण संवाददाता, फीरोजाबाद: खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन ने गुरुवार सुबह एका थाना क्षेत्र के गांव कताना में ¨सथेटिक दूध के कारोबार का भंडाफोड़ किया है। टीम को सैकड़ों लीटर ¨सथेटिक दूध मिला। पुलिस ने कारोबारी को गिरफ्तार कर लिया। कारोबारी ऊनी कपड़े धोने में प्रयोग होने वाले वॉशिंग लिक्विड (ईजी), मिल्क पाउडर और खाद्य तेल से दूध बना कर बेचता था। उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया है।

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प्रशासन को सूचना मिल रही थी कि गांव कताना में दूध कलेक्शन सेंटर में ¨सथेटिक दूध तैयार कर दूधियों के जरिए बिक्री को भेजा जाता है। छानबीन के लिए गुरुवार सुबह मुख्य खाद्य सुरक्षा अधिकारी (सीएफएसओ) वीएस कुशवाहा ने एका पुलिस के साथ सेंटर पर छापा मारा। गोदामनुमा घर में चल रहे कलेक्शन सेंटर में कारोबारी प्रमोद यादव निवासी गांव जेड़ा वहां मिला। तलाशी में वहां काफी मात्रा में स्किम्ड मिल्क पाउडर, कई किलो चीनी, खाद्य तेल और करीब एक लीटर वॉ¨शग लिक्विड (ईजी) बरामद हुआ। दो ड्रमों में करीब 600 लीटर दूध रखा हुआ था। ¨सथेटिक होने के शक में नमूना लेने के बाद अधिकारियों ने दूध नष्ट कराया। अन्य सामग्री के भी नमूने लिए। सीएफएसओ ने बताया कि ¨सथेटिक दूध की पुष्टि होते ही प्रमोद यादव को पुलिस के हवाले कर दिया। उसके खिलाफ जसराना क्षेत्र के खाद्य सुरक्षा अधिकारी अनिल कुमार यादव ने मुकदमा दर्ज कराया है।

ऐसे बनाते थे ¨सथेटिक दूध

सीफएसओ ने बताया कि प्रमोद यादव स्किम्ड मिल्क पाउडर को पानी में मिलाकर लस्सी की तरह फेंटता था। पाउडर में फैट न होने के कारण इसमें चिकनाई के लिए खाद्य तेल व मिठास लाने के लिए चीनी डालता था। बाद में इसमें ईजी मिलाते थे। ¨सथेटिक दूध को शुद्ध दूध में मिलाकर बेचा जाता था।

एक साल से चल रहा था गोरखधंधा

कताना में ¨सथेटिक दूध बनाने का धंधा एक साल से से चल रहा था। फिर भी प्रशासन को भनक नहीं लग सकी। ग्रामीण इससे आक्रोशित थे। उन्होंने बताया कि रोजाना हजारों लीटर ¨सथेटिक दूध बनता था। जिसे दूधिया और टैंकरों के जरिए भेजा जाता था।


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