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बीहड़ में बिना रुके ही गुजर गई विकास की रेल

चुनावों में हर बार विकास के नाम पर ठगा गया निषाद बाहुल्य क्षेत्र यहां आजादी के बाद भी लोगों को मुंह चिढ़ा रही विकास योजनाएं।

By JagranEdited By: Published: Mon, 26 Oct 2020 05:06 AM (IST)Updated: Mon, 26 Oct 2020 05:06 AM (IST)
बीहड़ में बिना रुके ही गुजर गई विकास की रेल
बीहड़ में बिना रुके ही गुजर गई विकास की रेल

संस, टूंडला, (फीरोजाबाद): यमुना के बीहड़ का क्षेत्र अब भी विकास से अछूता है। चुनावों के दौरान चलने वाली वादों की बयार यहां सुकून नहीं दे पाई। विकास योजनाओं की रेल बिना ठहरे ही गुजर गई।

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दैनिक जागरण की टीम गांव गदलपुरा के सीयर देवी तिराहा पर पहुंची तो यहां कई बुजुर्ग चौपाल लगाकर बैठे थे। बातचीत का मुद्दा चुनाव ही था। क्षेत्र के विकास का जिक्र करते ही ठार हाथी निवासी 70 साल के देवकरन दिलावर बोल पड़े कि बड़ी संख्या में निषाद समाज का वोट होने के बाद भी इस इलाके में सरकारी योजनाएं हमेशा उनका मुंह चिढ़ाती रहीं हैं।

ठार खूबी, नगला अजीत, ठार टेकचंद, ग्वारई समेत दर्जनों गांव ऐसे हैं जहां आजादी के बाद से गांव जाने को पक्की सड़क नहीं बनी है। इन गांवों में पेयजल का भी संकट है। हर बार चुनाव में मतदाता को विकास के सब्जबाग दिखाकर ठगा गया है, लेकिन इस बार धोखा नहीं खाएंगे। अच्छे प्रतिनिधि का चुनाव करेंगे। -यहां आते-आते दम तोड़ गई सरकारी योजनाएं:

65 से 75 साल के गदलपुरा व ठार हाथी निवासी जवाहरलाल, मोहनलाल, ओमप्रकाश, महाराज सिंह, दौलतराम, जगन्नाथ ने बताया कि उन्हें अभी तक वृद्धावस्था पेंशन नसीब नहीं हुई। कई बार आवेदन किया, लेकिन हर बार सरकारी सिस्टम की भेंट चढ़ गया। किसान सम्मान निधि का लाभ लेने को तहसील से लेकर मुख्यालय तक भागे, लेकिन कुछ हासिल नहीं हुआ। ठार हाथी के गरीब शिवचरण झोंपड़ी में रहते हैं। उन्हें पीएम आवास योजना का लाभ नहीं मिला है। ठार खूबी के ही योगेश के दोनों पैर खराब हैं, चल नहीं सकते, विकलांग पेंशन क्या होती है, इन्हें पता ही नहीं है।

-जिला ओडीएफ, यहां चलती हैं लोटा-पार्टी:

जी हां सुनकर चौंकिए मत सरकारी आंकड़ों में जिला खुले में शौचमुक्त हो चुका है, लेकिन 250 मतदाताओं वाला गांव ठार हाथी में अब भी लोटा-पार्टी चलती है। गांव में बने अधिकांश शौचालय अपूर्ण हैं।

यदि शौचालय अधूरे पड़े हैं तो उनकी जांच कराई जाएगी। गांवों में विकास कार्य कराने की जिम्मेदारी ग्राम पंचायतों की है। कार्ययोजना में स्वीकृत कार्य कराए जाते हैं।

--नरेश कुमार, बीडीओ टूंडला


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