एनजीटी ने मांगे रोक संबंधी आदेश
जागरण संवाददाता, फीरोजाबाद : कांच इकाइयों में गैस क्षमता विस्तारीकरण पर चल रही सुनवाई मे
जागरण संवाददाता, फीरोजाबाद : कांच इकाइयों में गैस क्षमता विस्तारीकरण पर चल रही सुनवाई में सोमवार को गेल की तरफ से अधिवक्ताओं ने सुनवाई जल्द पूरी करने की मांग की। अधिवक्ताओं में पर्यावरण एवं वन मंत्रालय के साथ टीटीजेड के आदेशों से कारोबार के प्रभावित होने का तर्क दिया। इस पर एनजीटी ने उन सभी आदेशों का ब्यौरा मांगा है। इस मामले में अब 19 मार्च को सुनवाई होगी।
कांच इकाइयों में गैस क्षमता विस्तारीकरण का मामला एनजीटी में है। इधर पर्यावरण एवं वन मंत्रालय के एक आदेश के आधार पर टीटीजेड अथॉरिटी ने जनवरी 2015 से इस पर रोक लगा रखी है। एनजीटी में लंबे वक्त से चल रही सुनवाई में अभी तक मंत्रालय के साथ में कई विभागों से जवाब तलब हो चुका है। सेफ संस्था द्वारा दायर की गई याचिका में कई विभागों को पार्टी बनाया है। इस मामले पर सोमवार को एनजीटी दिल्ली में सुनवाई थी। एनजीटी के समक्ष सोमवार को गेल के अधिवक्ताओं ने कहा कि एनजीटी उक्त प्रकरण की सुनवाई जल्द से जल्द करे। गैस क्षमता विस्तारीकरण पर रोक लगी होने से गेल का कारोबार प्रभावित हो रहा है। इकाई को गैस नहीं दे पा रहे हैं। गेल के तर्को को सुनने के बाद में एनजीटी ने उन सभी आदेशों का ब्योरा मांगा है, जिनके चलते रोक लगी हुई है। माना जा रहा है एनजीटी इन आदेशों का भी अध्ययन करना चाहती है। इसके बाद कोई फैसला देगी। फीरोजाबाद उद्योग केंद्र की तरफ से एनजीटी में सोमवार को जिला उद्योग केंद्र के अपर आयुक्त अमरेश कुमार पांडे उपस्थित रहे।
मंत्रालय में लंबे वक्त से चल रही है पैरवी :
गैस क्षमता विस्तारीकरण पर लगी हुई रोक हटाने के लिए टीटीजेड से लेकर मंत्रालय तक में 2016 में नीरी की रिपोर्ट आने के बाद से ही पैरवी चल रही है, लेकिन टीटीजेड अथॉरिटी ने गेंद मंत्रालय के पाले मे फेंक दी है तो मामला प्रदूषण से जुड़ा होने के कारण पर्यावरण मंत्रालय भी कोई फैसला बगैर आधार के नहीं लेना चाहता है। यही वजह है जांच टीम को भेज कर जांच कराने के बाद में कई बार दस्तावेज मांगने के बाद भी मंत्रालय ने इस संबंध में कोई फैसला नहीं दिया है। वहीं अपने प्रत्यावेदन को लेकर न्यायालय में जाने वाली इकाइयों के मामले में भी टीटीजेड ने कोई राहत भरा फैसला नहीं लिया है। ऐसे में गेल ने अब एनजीटी में उक्त बात को उठाया है। माना जा रहा है अगर एनजीटी राहत भरा फैसला देती है तो इसके आधार पर मंत्रालय में पैरवी आसान होगी तथा इस रोक को हटाने का आधार भी होगा।