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पढ़े-लिखों की बस्ती में सिसका लोकतंत्र

जागरण संवाददाता, फीरोजाबाद : बुधवार को लोकतंत्र का महायज्ञ था। मगर पढ़े-लिखों की बस्ती में

By JagranEdited By: Published: Wed, 29 Nov 2017 09:30 PM (IST)Updated: Wed, 29 Nov 2017 09:30 PM (IST)
पढ़े-लिखों की बस्ती में सिसका लोकतंत्र
पढ़े-लिखों की बस्ती में सिसका लोकतंत्र

जागरण संवाददाता, फीरोजाबाद : बुधवार को लोकतंत्र का महायज्ञ था। मगर पढ़े-लिखों की बस्ती में लोकतंत्र सुबह से ही सिसकता नजर आया। जहां फरिहा एवं एका जैसी नगर पंचायतों में सुबह से मतदान का प्रतिशत ऊपर चढ़ रहा था तो फीरोजाबाद में शुरूआती रफ्तार ही काफी कम रही। शिकोहाबाद में तमाम अभियान हुए। यहां पर कई प्रमुख कॉलेज एवं स्कूल हैं, लेकिन मतदान में यह नगर भी थर्ड डिवीजन पर खड़ा रह गया। मतदान में बाजी मार गए वो क्षेत्र, जहां आज भी वोटर घूंघट में निकलते हैं।

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मतदान में अव्वल रही छोटी सी नगर पंचायत फरिहा। जहां मतदान 72 फीसद से ऊपर पहुंच गया। एका जैसी नई नगर पंचायत में भी मतदान 66.03 फीसद तक पहुंचा तो जसराना में 65.87 तथा सिरसागंज में 64.31 फीसद वोट पड़े। टूंडला भी जैसे-तैसे 58 फीसद तक पहुंचा, लेकिन शिकोहाबाद मात्र 44.29 फीसद पर ठिठक गया। फीरोजाबाद में 55.81 फीसद मतदान रहा। यह कहें तो भी गलत नहीं होगा कि फीरोजाबाद की भी लाज उन मतदान केंद्रों ने रख ली, जो कुछ साल पहले तक गांवों में शुमार होते थे। जहां पर जागरुकता का संदेश आज भी शहर की तुलना में शायद ही पहुंचता हो। 13 ग्राम सभाओं के रूप में शामिल होने वाले क्षेत्रों में मतदान के लिए लंबी लाइनें लगी रहीं। घूंघट की ओट से वोट की चोट करने के लिए महिलाएं बूथों पर दौड़ती हुई नजर आई, जो किसी जागरुकता कार्यक्रम में शामिल नहीं थी। मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र की बस्तियों में शाम तक लाइन ही नहीं टूटी। वहीं शहर की पॉश कॉलोनियों के मतदान केंद्रों पर सन्नाटा बिखरा रहा। गणेश नगर की पो¨लग जैन नगर के जिस मतदान केंद्र पर थी, वहां पर जैन नगर के बूथ पर दोपहर तक लाइन लगी रही तो गणेश नगर का बूथ खाली था।

आखिर कहां गया राजनैतिक दलों का बूथ मैनेजमेंट :

निकाय चुनाव को लेकर राजनैतिक दल कई महीनों से जुटे हुए थे। इसे 2019 का रिहर्सल बताते हुए हर पार्टी ने ताकत झोंक दी थी। कार्यकर्ता सम्मेलन हुए थे, लेकिन इसके बाद भी कई मुहल्लों में पूरी की पूरी गलियां गायब रही। हर बूथ पर वोट निकालने के लिए पार्टी कार्यकर्ताओं को जिम्मेदारी सौंपी थी, लेकिन इसके बाद भी मतदान का प्रतिशत इतना कम रहा।

--यह भी रहीं प्रमुख वजहें---

मतदाता सूचियों में बड़े पैमाने पर गड़बड़ियां।

कई वार्ड के मतदाताओं के नाम दूसरे वार्ड में पहुंच जाना।


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