Move to Jagran APP

खुद पोषण को तरस रहा है पोषण पुनर्वास केंद्र

- डेढ़ साल से केंद्र के लिए न डायटीशियन हैं और न ही बाल रोग विशेषज्ञ -मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर करते हैं इलाज नर्स देखती है डाइट की व्यवस्था

By JagranEdited By: Published: Thu, 10 Sep 2020 06:10 AM (IST)Updated: Thu, 10 Sep 2020 06:10 AM (IST)
खुद पोषण को तरस रहा है पोषण पुनर्वास केंद्र
खुद पोषण को तरस रहा है पोषण पुनर्वास केंद्र

जागरण संवाददाता, फीरोजाबाद: कुपोषित बच्चों को सेहतमंद बनाने के लिए मेडिकल कॉलेज अस्पताल में संचालित दस बेड का पोषण पुनर्वास केंद्र (एनआरसी) को खुद पोषण की दरकार है। यहां डायटीशियन हैं न इनके इलाज के लिए अलग से बाल रोग विशेषज्ञ की तैनाती। अस्पताल के चाइल्ड स्पेशलिस्ट ही यहां भर्ती बच्चों का इलाज करते हैं।

prime article banner

प्रदेश भर में एक सितंबर से पोषण माह मनाया जा रहा है। इस दौरान प्रशासन द्वारा जगह-जगह जागरूकता के कार्यक्रम किए जा रहे हैं, लेकिन एनआरसी की सेहत खुद नासाज है। 2014 में जिला अस्पताल के एक हाल में शुरू हुए केंद्र में कुपोषित बच्चों को भर्ती कर इलाज किया जाता है। उन्हें कम से कम 14 दिन यहां रखा जाता है। इस दौरान उनकी बीमारियों का इलाज करने के साथ ही उन्हें पौष्टिक आहार दिया जाता है। बच्चों के खानपान का ध्यान रखने के लिए डायटीशियन व इलाज के लिए बाल रोग विशेषज्ञ का पद है, लेकिन ये दोनों पद लगभग डेढ़ साल से खाली हैं। स्टाफ नर्स ही डायटीशियन का काम करती हैं, तथा मेडिकल कॉलेज के वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. एलके गुप्ता इन बच्चों का भी इलाज करते हैं। डेढ़ वर्ष पूर्व दोनों पदों पर संविदा पर नियुक्ति थी, लेकिन संविदा खत्म होने के बाद नई नियुक्ति नहीं हुई। वहीं डॉ. गुप्ता के पास बाल रोग विभाग की ओपीडी, बाल रोग सघन चिकित्सा इकाई कक्ष आदि की जिम्मेदारी पहले से है। सीएमएस डॉ. आलोक कुमार ने बताया कि संविदा पर डाक्टर्स की नियुक्ति के लिए व्यवस्था की जा रही है।

सेहतमंद होने के बाद घर भेजे जाते हैं बच्चे:

वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. एलके गुप्ता ने बताया कि केंद्र पर भर्ती कराए जाने वाले बच्चों की पूरी तरह जांच कराने के बाद इलाज किया जाता है। सेहत ठीक होने के बाद बच्चों को घर भेजा जाता है। फरवरी से अब तक ढाई सौ बच्चे यहां भर्ती हो चुके हैं। भर्ती कराए गए बच्चों के साथ उनकी मां को रहने की अनुमति हैं, जिनके लिए भोजन के अलावा 50 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से सहायता राशि दी जाती है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.