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सरकारी ट्रॉमा सेंटर में तड़पते हैं घायल, ताले में कैद हैं उपकरण

गंभीर घायलों के इलाज के लिए दो साल पहले बना सरकारी ट्रॉमा सेंटर सिर्फ नाम का है। यहां गंभीर घायलों की जान बचाने के लिए कोई सहूलियत नहीं। कुछ माह पहले यहां लगी एक्सरे और सीटी स्कैन मशीन अभी शुरू नहीं हो पायी है। इस कारण अधिकतर घायल और रोगियों को आगरा रेफर करना पड़ता है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 11 Nov 2018 11:26 PM (IST)Updated: Sun, 11 Nov 2018 11:26 PM (IST)
सरकारी ट्रॉमा सेंटर में तड़पते हैं घायल, ताले में कैद हैं उपकरण
सरकारी ट्रॉमा सेंटर में तड़पते हैं घायल, ताले में कैद हैं उपकरण

जागरण संवाददाता, फीरोजाबाद: गंभीर घायलों के इलाज के लिए दो साल पहले बना सरकारी ट्रॉमा सेंटर सिर्फ नाम का है। यहां गंभीर घायलों की जान बचाने के लिए कोई सहूलियत नहीं। कुछ माह पहले यहां लगी एक्सरे और सीटी स्कैन मशीन अभी शुरू नहीं हो सकी है। इस कारण अधिकतर घायल और रोगियों को आगरा रेफर करना पड़ता है।

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आपात चिकित्सा कक्ष पहले जिला अस्पताल की बि¨ल्डग में था। यहां भी अधिक संसाधन नहीं थे। सपा शासनकाल में ट्रॉमा सेंटर का निर्माण कराया गया तो संसाधन बढ़ने की उम्मीद बनी, लेकिन ऐसा कुछ हुआ नहीं। इस साल की शुरूआत में यहां एक्सरे और सीटी स्कैन मशीन लगवाई गई। ये दोनों मशीनें अभी शुरू नहीं हुई हैं। इसी तरह ऑपरेशन थिएटर के भी शुरू होने का इंतजार है। मानवीय संसाधन की कमी के कारण ये सभी ताले में बंद हैं।

हालात यह कि यहां अलग से आर्थो सर्जन और जनरल सर्जन की तैनाती भी नहीं है, जबकि सबसे ज्यादा जरूरत इनकी ही है। इस कारण यहां घायलों को ऑपरेशन के लिए जिला अस्पताल शिफ्ट करना पड़ता है। यहां भी दोपहर दो बजे ओपीडी का समय समाप्त होने के बाद घायलों को अगले दिन अस्पताल खुलने का इंतजार करना पड़ता है।

रोजाना औसतन 125 मरीज आते हैं यहां: सरकारी ट्रॉमा सेंटर में प्रतिदिन औसतन 125 रोगी और घायल लाए जाते हैं। इनमें अनेक घायल ऐसे होते हैं जिन्हें तुरंत सीटी स्कैन, अल्ट्रासाउंड और एक्सरे जांच और ऑपरेशन की आवश्यकता पड़ती है।

स्टाफ की कमी के कारण ट्रॉमा सेंटर में उपलब्ध मशीनों की सेवाएं रोगियों को नहीं मिल पा रही हैं। स्टाफ के लिए शासन को लिखा गया है। सीटी स्कैन की सेवा रोगियों को शीघ्र मिलने लगेगी। डॉ. आरके पांडेय, सीएमएस

जिला अस्पताल


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